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दंतेवाड़ा: मित्तल प्लांट की लोकसुनवाई में 'राजदरबार' जैसा दृश्य, क्षमता विस्तार पर टकराव तेज

अमर उजाला नेटवर्क, दंतेवाड़ा Published by: अमन कोशले Updated Wed, 31 Dec 2025 04:12 PM IST
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सार

दंतेवाड़ा के किरंदूल में आर्सेलर मित्तल निप्पॉन स्टील (एएमएनएस) के बेनिफिशिएशन प्लांट की क्षमता 8 से बढ़ाकर 12 मिलियन टन करने के प्रस्ताव पर मंगलवार को आयोजित लोकसुनवाई बहस और विरोध का मंच बन गई।

Mittal plant's public hearing sparks 'royal court'-like scenes, intensifying conflict over capacity expansion
क्षमता विस्तार पर लोकसुनवाई बनी टकराव का मंच - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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दंतेवाड़ा के किरंदूल में आर्सेलर मित्तल निप्पॉन स्टील (एएमएनएस) के बेनिफिशिएशन प्लांट की क्षमता 8 से बढ़ाकर 12 मिलियन टन करने के प्रस्ताव पर मंगलवार को आयोजित लोकसुनवाई बहस और विरोध का मंच बन गई। सीनियर सेकेंडरी स्कूल मैदान में हुई सुनवाई में नगर के लोगों के साथ आसपास की दस पंचायतों के प्रतिनिधि, जनप्रतिनिधि और बड़ी संख्या में ग्रामीण मौजूद रहे।
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सुनवाई स्थल को प्रशासन ने सुरक्षा की दृष्टि से पूरी तरह घेराबंदी कर दी थी। पीठासीन अधिकारी और पर्यावरण अधिकारी सुरक्षा जाली के भीतर बैठे और वहीं से ग्रामीणों की बातें सुनीं। कंपनी के प्रतिनिधि भी कड़े प्रबंधों के बीच मौजूद रहे। इस व्यवस्था को लेकर मंच और मैदान, दोनों जगह नाराजगी दिखी। कई वक्ताओं ने कहा कि अधिकारी मंच पर राजा–महाराजा की तरह बैठे हैं, जबकि ग्रामीणों को नीचे बैठाकर ‘प्रजा’ जैसा व्यवहार किया जा रहा है। इसे लोकतांत्रिक प्रक्रिया के विपरीत बताया गया।
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शबरी नदी के पानी पर कड़ा विरोध
लोकसुनवाई में शबरी नदी के जल उपयोग का मुद्दा सबसे ज्यादा गूंजता रहा। वक्ताओं ने कहा कि दो दशकों से कंपनी अपने वादे पूरे नहीं कर पाई और प्रशासन–कंपनी की मिलीभगत से प्राकृतिक संसाधनों का दोहन हुआ। आरोप लगाया गया कि सुकमा क्षेत्र के विकास के नाम पर किए गए वादे अधूरे रहे, इसलिए अब शबरी नदी का पानी देने का विरोध किया जाएगा और आवश्यकता पड़ी तो मामला न्यायालय में ले जाया जाएगा।

टेलिंग्स से पर्यावरण और खेती पर खतरे की चिंता
ग्रामीणों ने प्लांट से निकलने वाले टेलिंग्स को बड़ा खतरा बताया। कहा गया कि इनका प्रभाव आमजन, खेती और पर्यावरण पर गंभीर पड़ रहा है। सुझाव दिया गया कि कंपनी कृषि विज्ञान केंद्र के सहयोग से रिसर्च करे, ताकि टेलिंग्स को उपयोगी मिट्टी में बदला जा सके। आरोप यह भी लगाया गया कि टेलिंग्स विभिन्न जगहों पर डंप किए जाने से जमीन की उर्वरता घट रही है और जल स्रोत भी प्रभावित हो रहे हैं। साथ ही एनजीटी दिशानिर्देशों के उल्लंघन के आरोप भी लगाए गए।

पंचायतों ने सौंपा 12 सूत्रीय मांग पत्र
लोकसुनवाई में दस पंचायतों के प्रतिनिधियों ने कंपनी को 12 बिंदुओं का समझौता ज्ञापन सौंपा। इसमें स्थानीय युवाओं को रोजगार में प्राथमिकता, पंचायतों की सहमति से नियुक्तियां, सीएसआर कार्यों में पंचायतों की भागीदारी, प्रभावित गांवों में मॉडल स्कूल और शैक्षणिक सुविधाएं, निःशुल्क कंप्यूटर प्रशिक्षण और 24 घंटे एम्बुलेंस सुविधा जैसी मांगें शामिल हैं।

स्थानीयों ने ठेकेदारी व्यवस्था पर भी उठाए सवाल
वक्ताओं ने आरोप लगाया कि कंपनी अधिकतर काम बाहरी ठेकेदारों को देती है, जबकि स्थानीय लोगों और स्थानीय ठेकेदारों की अनदेखी होती है। जलापूर्ति से लेकर सड़क धुलाई तक के काम बाहरी लोगों के माध्यम से कराए जाने पर आपत्ति जताई गई। साथ ही कहा गया कि एनएमडीसी अस्पताल केवल रेफरल सेंटर बनकर रह गया है, इसलिए क्षेत्र में एक सुसज्जित अस्पताल की मांग भी जोरदार तरीके से उठाई गई।
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