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Chhattisgarh Liquor Scam: शराब घोटाला मामले में ईडी की बड़ी कार्रवाई, 38 करोड़ की संपत्ति जब्त

अमर उजाला नेटवर्क, रायपुर Published by: ललित कुमार सिंह Updated Tue, 30 Dec 2025 08:07 PM IST
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सार

Chhattisgarh Liquor Scam: छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बड़ी कार्रवाई की है। कुल 31 आबकारी अधिकारियों की लगभग 38.21 करोड़ रुपये की चल-अचल संपत्ति को कुर्क किया गया है।

CG Liquor Scam: ED takes major action in Chhattisgarh liquor scam case, seizes assets worth ₹38 crore
सांकेतिक तस्वीर - फोटो : अमर उजाला डिजिटल
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विस्तार
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Chhattisgarh Liquor Scam: छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बड़ी कार्रवाई की है। कुल 31 आबकारी अधिकारियों की लगभग 38.21 करोड़ रुपये की चल-अचल संपत्ति को कुर्क किया गया है। ये संपत्तियां स्थाई रूप से कर्क की गई है। यह कार्रवाई धन शोधन निवारण अधिनियम 2002 के तहत की गई है। इन संपत्तियों की बात करें तो, इनमें तत्कालीन आबकारी आयुक्त आईएएस निरंजन दास भी शामिल हैं।
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कुल 78 संपत्तियां जब्त की गई हैं। इनमें 21.64 करोड़ रुपये की अचल संपत्ति शामिल हैं। इनमें कमर्शियल शॉप, लग्जरी बंगले, महंगे फ्लैट और कृषि भूमि शामिल हैं। वहीं 16.56 करोड़ रुपये कीचल संपत्ति भी शामिल हैं। इनमें 197 मदों में फिक्स्ड डिपॉजिट, कई बैंक एकाउंट के रुपये, शेयर, म्यूचुअल फंड और बीमा पॉलिसियां शामिल हैं।
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ईडी की जांच में पता चला है कि इस घोटाले से राज्य सरकार को  करीब 2,800 करोड़ रुपये से ज्यादा की राजस्व की क्षति हुई है। जांच एजेंसी के अनुसार, आबकारी विभाग के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों और राजनीतिक संरक्षण प्राप्त लोगों ने पूरे सिस्टम को अपने कब्जे में लेकर उगाही को अंजाम दिया।

मिलता था कमीशन
जांच में मालूम चला है कि आबकारी अधिकारियों को अपने-अपने इलाकों में पार्ट-बी शराब बिकवाने के बदले में प्रति मामले में 140 रुपये का कमीशन दिया जाता था। ऐसे में आईएएस ऑफिसर निरंजन दास ने अकेले 18 करोड़ रुपये से ज्यादा की अवैध कमाई की। उन्हें हर महीने लगभग 50 लाख रुपये की रिश्वत मिलती थी। कुल मिलाकर 31 आबकारी अधिकारियों ने 89.56 करोड़ रुपये की अवैध कमाई की है। 


डुप्लिकेट होलोग्राम लगाकर बड़ी मात्रा में अवैध शराब बेची
ईडी के मुताबिक, छत्तीसगढ़ में भूपेश सरकार के कार्यकाल के दौरान वर्ष 2019-2022 तक लाइसेंसी शराब दुकानों में  डुप्लिकेट होलोग्राम लगाकर बड़ी मात्रा में अवैध शराब बेची गई थी। इस वजह से छत्तीसगढ़ के राजस्व विभाग को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ था। शराब को स्कैनिंग से बचाने के लिए नकली होलोग्राम भी लगाया जाता था, जिससे वह किसी की पकड़ में न आ सके। घोटाले में संलिप्त लोगों ने इस होलोग्राम को बनाने के लिए उत्तर प्रदेश के नोएडा में होलोग्राफी का काम करने वाली प्रिज्म होलोग्राफी सिक्योरिटी फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को टेंडर दिया था। यह कंपनी होलोग्राम बनाने के लिए पात्र नहीं थी, फिर भी नियमों में संशोधन करके यह टेंडर कंपनी को दे दिया गया था। 

शराब खरीदी में रिश्वतखोरी 
CG Liquor Scam: पूर्व की कांग्रेस सरकार पर आरोप है कि सीएसएमसीएल (शराब की खरीद और बिक्री के लिए राज्य निकाय) से शराब खरीदने के दौरान रिश्वतखोरी हुई। प्रति शराब मामले के आधार पर राज्य में डिस्टिलर्स से रिश्वत ली गई और देशी शराब को ऑफ-द-बुक बेचा गया। ईडी के मुताबिक, डिस्टिलर्स से कार्टेल बनाने और बाजार में एक निश्चित हिस्सेदारी की अनुमति देने के लिए रिश्वत ली गई थी।

शराब घोटाला से मिले रकम को अपने परिजनों के नाम पर किया निवेश
एफआईआर के मुताबिक अनिल टुटेजा, अरुणपति त्रिपाठी और अनवर ढेबर ने शराब घोटाला से मिले रकम को अपने परिवार वालों के नाम पर निवेश किया। टुटेजा ने अपने बेटे यश टुटेजा के नाम पर निवेश किया और त्रिपाठी ने अपनी पत्नी अपनी पत्नी मंजूला त्रिपाठी के नाम पर फर्म बनाया जिसका नाम रतनप्रिया मीडिया प्रइवेट लिमिटेड था। ढेबर ने अपने बेटे और भतीजों के फर्म पर पैसे निवेश किया।

ऐसे खुला राज!
ईडी की चांच में पता चला कि टेंडर दिलाने के एवज में कंपनी के मालिक से कमीशन लिया गया था। इस मामले में जब कंपनी के मालिक विधु गुप्ता को ईडी ने अरेस्ट किया तो उसने कांग्रेस सरकार में सीएसएमसीएल में एमडी अरुणपति त्रिपाठी, रायपुर महापौर के बड़े भाई शराब कारोबारी अनवर ढेबर और अनिल टुटेजा का नाम लिया। जब ईडी ने इन तीनों आरोपियों को गिरफ्तार किया, तो मामले में और भी खुलासे हुए। फिर साल 2024 में कांग्रेस विधायक और पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा का नाम सामने आया। ED की जांच में पता चला है कि लखमा को शराब घोटाले से पीओसी (प्रोसीड ऑफ क्राइम) से हर महीने कमिशन मिलता था।

शराब घोटाले केस में अब तक ये अरेस्ट
  1. सेवानिवृत्त आईएएस ऑफिसर अनिल टुटेजा
  2. शराब कारोबारी अनवर ढेबर (रायपुर के पूर्व महापौर एजाज ढेबर के बड़े भाई) 
  3. अरुण पति त्रिपाठी (तत्कालीन सीएसएमसीएल के एमडी)
  4. अरविंद सिंह
  5. नितेश पुरोहित
  6. सुनील दत्त
  7. त्रिलोक सिंह  ढील्लन (कारोबारी)
  8. पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा 
  9. विकास अग्रवाल
  10. अनुराग द्विवेदी
  11. अनुराग सिंह
  12. दिलीप पांडे
  13. दीपक द्वारी
  14. चैतन्य बघेल
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