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छत्तीसगढ़ में बेचैन 'चायवाला': बॉर्डर बंद-संचार ठप, नेपाल में फंसे परिवार की खबर को तरसा,5 दिन से नहीं हुई बात
अमर उजाला नेटवर्क, रामानुजगंज
Published by: अमन कोशले
Updated Thu, 11 Sep 2025 01:13 PM IST
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सार
37 वर्षीय विजय मूल रूप से नेपाल के उत्तर-पश्चिमी इलाके के रहने वाले हैं। वे पिछले पांच वर्षों से रामानुजगंज में चाय बेचकर अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं।

नेपाल में तनाव, रामानुजगंज का चायवाला विजय बहादुर पांच दिन तक रहा बेचैन
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
छत्तीसगढ़ के रामानुजगंज के छोटे से चाय ठेले पर चाय परोसने वाला विजय बहादुर थापा बीते दिनों से जीवन के सबसे कठिन दौर से गुजरा। 37 वर्षीय विजय मूल रूप से नेपाल के उत्तर-पश्चिमी इलाके के रहने वाले हैं। वे पिछले पांच वर्षों से रामानुजगंज में चाय बेचकर अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं।
विजय की पत्नी, तीन बेटियां और दो बेटे नेपाल के उसी गाँव में रहते हैं, जहां अचानक तनाव का माहौल बन गया। इंटरनेट और संचार व्यवस्था पूरी तरह ठप हो गई। गांव के लोग घरों में कैद होकर रहने को मजबूर हो गए। इन पांच दिनों में विजय के लिए हर घंटा, हर मिनट किसी पहाड़ से कम नहीं था।
पांच दिन तक किसी से कोई बात नहीं हो पाई
विजय ने बताया कि पांच दिन तक किसी से कोई बात नहीं हो पाई। मैं बहुत परेशान था, नींद नहीं आती थी। नेपाल जाना चाहता था, लेकिन बॉर्डर पूरी तरह से बंद था। उन्होंने बताया कि पांच दिन बाद हालात थोड़े सामान्य हुए और संचार व्यवस्था आंशिक रूप से बहाल हुई। जैसे ही विजय की पत्नी का फोन आया और उन्होंने बच्चों की खैरियत बताई, विजय की आंखों में आंसू आ गए। मानो जान में जान आ गई।
रोज़ी-रोटी छत्तीसगढ़ में, दिल नेपाल में
रामानुजगंज में विजय की चाय दुकान अब उनकी जिंदगी का सहारा है। हर महीने वे अपनी कमाई से थोड़ा-थोड़ा पैसा नेपाल भेजते हैं, जिससे उनके परिवार का गुज़ारा चलता है। उन्होंने बताया कि यहां रोज़ी-रोटी ठीक चल रही है, लेकिन जब नेपाल में तनाव होता है तो दिल यहीं नहीं लगता। बस यही दुआ करता हूँ कि हालात जल्द सामान्य हों।

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विजय की पत्नी, तीन बेटियां और दो बेटे नेपाल के उसी गाँव में रहते हैं, जहां अचानक तनाव का माहौल बन गया। इंटरनेट और संचार व्यवस्था पूरी तरह ठप हो गई। गांव के लोग घरों में कैद होकर रहने को मजबूर हो गए। इन पांच दिनों में विजय के लिए हर घंटा, हर मिनट किसी पहाड़ से कम नहीं था।
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पांच दिन तक किसी से कोई बात नहीं हो पाई
विजय ने बताया कि पांच दिन तक किसी से कोई बात नहीं हो पाई। मैं बहुत परेशान था, नींद नहीं आती थी। नेपाल जाना चाहता था, लेकिन बॉर्डर पूरी तरह से बंद था। उन्होंने बताया कि पांच दिन बाद हालात थोड़े सामान्य हुए और संचार व्यवस्था आंशिक रूप से बहाल हुई। जैसे ही विजय की पत्नी का फोन आया और उन्होंने बच्चों की खैरियत बताई, विजय की आंखों में आंसू आ गए। मानो जान में जान आ गई।
रोज़ी-रोटी छत्तीसगढ़ में, दिल नेपाल में
रामानुजगंज में विजय की चाय दुकान अब उनकी जिंदगी का सहारा है। हर महीने वे अपनी कमाई से थोड़ा-थोड़ा पैसा नेपाल भेजते हैं, जिससे उनके परिवार का गुज़ारा चलता है। उन्होंने बताया कि यहां रोज़ी-रोटी ठीक चल रही है, लेकिन जब नेपाल में तनाव होता है तो दिल यहीं नहीं लगता। बस यही दुआ करता हूँ कि हालात जल्द सामान्य हों।