स्वतंत्रता दिवस विशेष : चावल के एक दाने पर उकेरा राष्ट्रीय गान
- सूक्ष्म कला के क्षेत्र में स्वर्ण अक्षरों में अपना नाम दर्ज करा चुके डॉ. राम सिंह राजोरिया ने चावल के एक दाने पर संपूर्ण राष्ट्रीय गान को बारीकी से उकेरा है।
- 30 वर्षों से माइक्रो ऑर्टिस्ट डॉ. राजोरिया की कला न केवल तकनीकी दृष्टि से चुनौतीपूर्ण है, बल्कि यह भारत की एकता, गर्व और देशभक्ति का प्रतीक भी है।
विस्तार
देश को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद हुए आज 78 वर्ष हो गए। 79वें स्वतंत्रता दिवस के साथ हम एक नए युग में प्रवेश कर गए हैं। हर भारतीय अपने हिसाब से स्वतंत्रता दिवस के उत्सव को मना रहा है, लेकिन जयपुर के माइक्रो ऑर्टिस्ट डॉ. राम सिंह राजोरिया ने अपनी कला के माध्यम से आजादी का पर्व बिल्कुल अलग अंदाज में मनाया है।
सूक्ष्म कला के क्षेत्र में स्वर्ण अक्षरों में अपना नाम दर्ज करा चुके डॉ. राम सिंह राजोरिया ने चावल के एक दाने पर संपूर्ण राष्ट्रीय गान को बारीकी से उकेरा है। यह कार्य इतना सूक्ष्म और अद्वितीय है कि इसे नंगी आंखों से देख पाना असंभव है। डॉ. राजोरिया की रचना में हर शब्द एवं अक्षर को विशेष तकनीक और अत्यंत सूक्ष्म उपकरणों की मदद से चावल की छोटी सतह पर उकेरा गया है।
30 वर्षों से माइक्रो ऑर्टिस्ट डॉ. राजोरिया की कला न केवल तकनीकी दृष्टि से चुनौतीपूर्ण है, बल्कि यह भारत की एकता, गर्व और देशभक्ति का प्रतीक भी है। यह उनके देशप्रेम और राष्ट्रीय धरोहर के प्रति समर्पण का प्रत्यक्ष उदाहरण है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हर घर तिरंगा अभियान से प्रेरित होकर उन्होंने विश्व का सबसे सूक्ष्म हस्तनिर्मित भारत का तिरंगा तैयार किया, जिसका आकार मात्र 2 मिमी ×1 मिमी है। इस अद्वितीय तिरंगे को महीनों के धैर्य, साधना और सूक्ष्म कला कौशल के साथ धागे का उपयोग करके तैयार किया गया है। तिरंगे में तीनों रंग और अशोक चक्र की बारीक नक्काशी स्पष्ट रूप से दिखाई देती है।
यह तिरंगा सिर्फ कला नहीं, बल्कि हर भारतीय के दिल में बसी देशभक्ति और बलिदान की भावना का प्रतीक है।
अति लघु हस्तलिखित श्रीमद्भगवद् गीता की भी कर चुके हैं रचना
डॉ. राजोरिया एक विलक्षण और समर्पित सूक्ष्म कलाकार हैं। इन्होंने विश्व की अति लघु हस्तलिखित श्रीमद्भगवद् गीता की अद्वितीय रचना की है, जिसमें श्रीमद्भगवद्गीता के संपूर्ण 18 अध्यायों और 700 श्लोकों को मात्र 3.5 इंच ×5 इंच आकार की एक्रेलिक शीट पर हस्तलिखित रूप में उकेरा गया है। यह अत्यंत सूक्ष्म एवं साधनापूर्ण कार्य दो वर्षों की अथक मेहनत से संपन्न हुआ, जो न केवल आध्यात्मिक भक्ति का प्रतीक है, बल्कि भारतीय लघु लेखन-कला का एक अनमोल उदाहरण भी है। इसे एक्सक्लुसिव बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स ने विश्व रिकॉर्ड के रूप में मान्यता दी है।
डॉ. राजोरिया द्वारा चावल के दानों पर भी अद्भुत और सूक्ष्म कलात्मक कार्य किए गए हैं। इन्होंने एक चावल के दाने पर 203 हाथियों की प्रतिमाएं, 4000 सूक्ष्म अक्षर, णमोकार मंत्र और गायत्री मंत्र लिखा है। चावल के एक ही दाने पर उन्होंने 21 गणेश प्रतिमाएं उकेरना और देश की प्रसिद्ध हस्तियों के छायाचित्रों का सूक्ष्म चित्रण करना जैसे असंभव प्रतीत होने वाले कार्य भी संभव कर दिखाए हैं।
डॉ. राजोरिया को अब तक 11 अंतरराष्ट्रीय विश्व रिकॉर्ड्स से सम्मानित किया जा चुका है। घाना की वेबिक यूनिवर्सिटी द्वारा उन्हें मानद डॉक्टरेट की उपाधि भी प्रदान की गई है। उनका उद्देश्य अपनी कला के माध्यम से भारतीय संस्कृति, अध्यात्म और सूक्ष्म चित्रण की परंपरा को वैश्विक मंच पर प्रतिष्ठा दिलाना है, जिसके लिए वे निरंतर समर्पण और श्रद्धा के साथ कार्य कर रहे हैं।
उनका यह प्रयास न केवल भारत की सांस्कृतिक धरोहर को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाएगा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी अपनी कला और प्रतिभा के माध्यम से राष्ट्र के लिए योगदान देने के लिए प्रेरित करेगा।
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