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कृत्रिम बुद्धिमत्ता: क्या एआई का बुलबुला फूटेगा? फिलहाल बदलाव लाने की इसकी ताकत पर भरोसा किया जा सकता है

मो. ए एल-एरियन, द न्यूयॉर्क टाइम्स Published by: ज्योति भास्कर Updated Sat, 29 Nov 2025 05:44 AM IST
सार

कृत्रिम बुद्धिमत्ता यानी एआई का बुलबुला फूटे या न फूटे, लेकिन बदलाव लाने की इसकी ताकत पर भरोसा किया जा सकता है।

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Artificial intelligence whether AI bubble burst or not For now its transformative power can be trusted
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (सांकेतिक) - फोटो : Freepik
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विस्तार
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यह चिंता वाजिब है कि क्या आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) कंपनियों की आसमान छूती वैल्यूएशन एक ऐसा बुलबुला है, जो फट जाएगा और आपके रिटायरमेंट पर कहर बरपाएगा। बुलबुले का फूटना सच में दर्दनाक हो सकता है। लेकिन क्या होगा अगर हम एक ऐसी स्थिति में हों, जब कंपनी की कीमत उसकी फंडामेंटल वैल्यू से ऊपर चली जाए, जो हमारी अर्थव्यवस्था को असल में बेहतर जगह पर ले जाए? बुलबुले तब बढ़ते हैं, जब निवेशक (जो अक्सर जोश में झुंड जैसा व्यवहार करते हैं) वैल्यूएशन को जमीनी स्तर पर जरूरी चीजों से कहीं ज्यादा बढ़ा देते हैं।

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लेकिन, एआई का जोश, जैसा कि एनविडिया की जबर्दस्त कमाई में देखा गया, पूरी अर्थव्यवस्था में होने वाले बदलाव को सही दिखाता है। अगर कुछ ही दांव हजार गुना रिटर्न दे सकते हैं, तो कई दांवों पर सब कुछ गंवाने का जोखिम लेना आर्थिक रूप से सही नहीं है। इसका मतलब यह नहीं है कि एआई का बुलबुला नहीं फूटेगा। निवेशकों और सरकारों ने रेस के घोड़े के एक समूह पर दांव लगाया है, जिनमें से कुछ ही जीतेंगे। प्रतिस्पर्धा खुद ऐसे नवाचार लाएगी, जिनसे कई लोगों के लिए बहुत बेहतर नतीजे निकल सकते हैं, जो आमतौर पर नहीं होते। यह बुलबुला इसलिए नहीं फूटेगा, कि निवेशक एआई को ज्यादा आंक रहे हैं, बल्कि इन तीन वजहों से फूटेगा: सबसे पहले, उन सभी टेक कंपनियों के बारे में सोचें, जो नए मॉडल पर काम कर रही हैं, यानी बड़ी कंपनियों के बीच हथियारों की होड़। सभी कामयाब नहीं होंगी, खासकर तब, जब जरूरी फंड बढ़ रहे हैं। गूगल व माइक्रोसॉफ्ट अपने रेवेन्यू जेनरेटर पर निर्भर रह सकते हैं, लेकिन दूसरी कंपनियों को डेट फंडिंग या सर्कुलर फाइनेंसिंग पर और भी ज्यादा निर्भर रहना होगा, जो टिकाऊ साबित नहीं होगा। 
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दूसरा, सोने की होड़ खोजकर्ताओं को आकर्षित करती है। कंपनियां आम सर्विस पर एआई का लेबल लगा देती हैं, जिससे कम जानकारी वाले निवेशक आकर्षित होते हैं। यह 1990 के दशक के आखिर के डॉट कॉम बुलबुले की याद दिलाती है, जब किसी स्टार्टअप के नाम में ‘डॉट कॉम’ जोड़ना आखिर में धोखा देने वाली वैल्यूएशन का शॉर्ट-कट था। तीसरा, बाहरी घटनाओं से कुछ कंपनियां पटरी से उतर सकती हैं। इनमें अचानक नियामकीय बदलाव, बुरे लोग, एआई आपूर्ति शृंखला में भू-राजनीतिक दिक्कतें और बड़े पैमाने पर एआई को अपनाने में कमी शामिल हो सकती है। इनमें से कोई भी चीज कंपनियों की राजस्व कमाने की काबिलियत में रुकावट डालेगी। ऐसा इसलिए है, क्योंकि कुछ बड़े टेक नामों की तरफ आकर्षित हुए निवेशकों ने इंडेक्स फंड्स समेत इन्वेस्टमेंट व्हीकल्स में बहुत ज्यादा खरीदारी की है। 

यह देखना आसान है कि इसका अंत कितना बुरा होगा। लेकिन क्या होगा, अगर बुलबुला एक क्रांतिकारी टूल को विकसित करने और अपनाने का जरूरी हिस्सा हो, जो उत्पादकता और विकास को असल में बेहतर बनाए? एआई एक ऐसी तकनीक है, जो शायद कई आर्थिक गतिविधियों को पूरी तरह से बदल देगी। एआई खासतौर पर स्वास्थ्य व शिक्षा के क्षेत्र में नई खोजों के लिए तैयार है। इस तरह के फायदों से अर्थव्यवस्था बिना महंगाई बढ़ाए तेजी से बढ़ेगी, जिसे अर्थशास्त्री नॉन-इन्फ्लेशनरी ग्रोथ के लिए ‘गति-सीमा’ बढ़ाना कहते हैं। बढ़ी हुई उत्पादकता और एक बड़ी अर्थव्यवस्था हमें उन समस्याओं को हल करने के ज्यादा मौके देती है, जो एक पीढ़ी अपनी भावी पीढ़ियों के लिए छोड़ रही है: ज्यादा कर्ज, जलवायु परिवर्तन और अधिक आय असमानता। 

एआई में निवेश करने के बहुत फायदे हैं। निवेशकों के अनुसार, ज्यादा निवेश करने से पीछे रह जाना ज्यादा नुकसानदायक है, और उन्हें कुछ खोने का डर है। उनके नजरिये से, जिसे कुछ लोग बहुत ज्यादा खर्च मान सकते हैं, वह असल में एक सोचा-समझा पोर्टफोलियो प्ले है, जो प्रतिस्पर्धा व नवाचार को बढ़ावा देता है। 

आर्थिक भलाई के लिए मेरी उम्मीद आज सिर्फ एआई की काबिलियत पर आधारित है। फिर भी, आर्टिफिशियल जनरल इंटेलिजेंस की खोज यह पक्का करती है कि यह सीमा स्थिर नहीं है; यह आगे बढ़ती रहेगी, और ऐसे विकास का वादा करेगी, जिन्हें अभी पूरी तरह समझना मुश्किल है। इनमें रोबोटिक्स, लाइफ साइंस और आखिर में क्वांटम कंप्यूटिंग में नवाचार के साथ एआई का संयोजन शामिल होगा। एआई की बदलाव लाने वाली ताकत पर भरोसा सही है। इसके नतीजे में पूंजी की बाढ़ एक तार्किक जवाब है। बेशक कुछ लोग नुकसान में रहेंगे, लेकिन कुल मिलाकर, हम बहुत बेहतर हालत में होंगे।

डैल-ई 3 
डैल-ई 3 ओपनएआई द्वारा विकसित एक बेहद उन्नत एआई इमेज जनरेशन टूल है। यह किसी टेक्स्ट को आसानी से समझकर उससे जुड़ी शानदार और बेहद सटीक तस्वीरें बना सकता है। इसमें बस एक विस्तृत टेक्स्ट प्रॉम्प्ट (निर्देश) डालना होता है और यह ठीक उसी तरह की छवि तैयार कर देता है जैसी उपयोगकर्ता चाहता है। इसकी खासियत है कि यह छोटे-से-छोटे विवरण-जैसे रंग, माहौल, बैकग्राउंड, स्टाइल, आदि को भी समझ लेता है, और उन्हें तस्वीर में बेहद बारीकी व खूबसूरती से शामिल करता है। इसकी मदद से तस्वीर के किसी खास हिस्से पर क्लिक करके उसे बदला, हटाया या उसमें सुधार भी किया जा सकता है।

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