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रात्रि परागना के देवदूत पतंगे: ओलिएंडर हॉक मॉथ्स
सार
इसके पंखों का रंग सेना के कमांडो की वर्दी जैसा होता है, इसलिए इसे “फौजी कीट”, “नेचर की आर्मी”, या “ग्रीन आर्मी मॉथ” भी कहा जाता है।
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ओलिएंडर हॉक मॉथ्स
- फोटो : शशांक गांधी
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विस्तार
इस दुनिया की हरियाली, सारा फ्लोरा और फौना- सब परागण पर टिका हुआ है। और काफी हद तक, इस पूरे संसार में जीवन का आधार और जीवन चक्र भी इन्हीं परागण प्रक्रियाओं से जुड़ा हुआ है।
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यह परागण वो नन्हे-नन्हे जीव दिन-रात करते रहते हैं, जो हमारे आसपास ही होते हैं — लेकिन हम अक्सर उन्हें नज़रअंदाज़ कर देते हैं। तितलियां, बीटल्स, मधुमक्खियाँ और मॉथ्स जैसे कीट-पतंगे इस परागण के जिम्मेदार सिपाही हैं, जो पूरी निष्ठा से इस कार्य को निभाते रहते हैं। हमें उनका आभार मानना चाहिए और उनकी सुरक्षा का, उनके अस्तित्व का ध्यान रखना चाहिए।
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ओलिएंडर हॉक मॉथ्स- एक परिचय
ये सुंदर निशाचर पतंगे, प्रकृति का एक चमत्कारी उपहार हैं। ये परागण, पोषक तत्वों के चक्रण, खाद्य श्रृंखला और एक स्वस्थ पर्यावरण में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। कई फूल केवल रात में खिलते हैं — और उनके परागण का कार्य मुख्यतः ये पतंगे करते हैं।
ओलिएंडर हॉक मॉथ — सौंदर्य, शक्ति और संरक्षण का प्रतीक
• यह पतंगा दुनिया के सबसे सुंदर, तेज़ उड़ने वाले और जहरीले पत्तों को खाने वाले पतंगों में से एक है।
• इसके पंखों पर हरे, सफेद और गुलाबी रंगों के आकर्षक पैटर्न होते हैं, जो इसे कनेर और जैतून के पत्तों के बीच शिकारियों से छिपने में मदद करते हैं।
• पंखों का फैलाव 9 से 12 सेंटीमीटर तक होता है।
• भारत के अधिकांश भागों में यह पाया जाता है।
• पुणे में कनेर के पौधों की अधिकता, हरियाली और अनुकूल मौसम के कारण यह बड़ी संख्या में देखा जाता है।
• यह जुलाई से अक्टूबर के बीच यानी मानसून और उसके बाद सक्रिय रहता है।
प्रवास और उड़ान की रहस्यपूर्ण यात्रा
• यह एक प्रवास कीट है जो भोजन और मौसम की अनुकूलता के कारण गर्म क्षेत्रों से ठंडे क्षेत्रों की ओर उड़ान भरता है।
• यह सहारा रेगिस्तान पार करके दक्षिण और मध्य यूरोप तक प्रवास करता है।
• यह उड़ते समय तेज़ हवाओं की दिशा और गति के अनुसार अपने मार्ग को नियंत्रित करता है।
• इसकी यह लंबी दूरी की यात्रा अब भी वैज्ञानिकों के लिए रहस्य है।
प्राकृतिक छलावरण और रक्षा प्रणाली
· इसके पंखों का रंग सेना के कमांडो की वर्दी जैसा होता है, इसलिए इसे “फौजी कीट”, “नेचर की आर्मी”, या “ग्रीन आर्मी मॉथ” भी कहा जाता है।
· इसके लार्वा कनेर के ज़हरीले पत्ते खाकर उस विष को अपनी त्वचा पर एक रक्षा कवच की तरह संचित कर लेते हैं।
· इसके कैटरपिलर की पीठ पर नकली आंखों जैसी आकृति होती है, जिससे यह किसी सांप जैसे जीव का भ्रम देता है।
रात्रिकालीन फूलों के साथी
· दिन में अदृश्य रहने वाले ये पतंगे रात को खिलने वाले फूल जैसे - रजनीगंधा, रात की रानी, सीताफल, कद्दू, लौकी, तुरई, ड्रैगन फ्रूट, चंद्रमल्लिका, निशागंधा, ब्रह्मकमल, हनीसकल, जैस्मिन आदि का परागण करते हैं।
· इन पतंगों के बिना इन फूलों का अस्तित्व संकट में पड़ सकता है।
छत्तीसगढ़ की एक जनजातीय दंतकथा
• एक बार जंगल के फूलों को निशाचर कीटों ने खा लिया, जिससे फूलों का परागण बंद हो गया। तब चाँद ने एक हरे, शालीन पतंगे को भेजा जिसने हर फूल से मिलकर उसका रसपान किया और पराग फैलाकर जंगल को नवजीवन दिया।
• इस कथा के अनुसार, छत्तीसगढ़ की जनजातियाँ इस पतंगे को प्रकृति की जागृत आत्मा, पूर्वजों की मौन छाया, संदेशवाहक आत्मा और जंगलों की चेतना मानती हैं।
• वहां इसे देखना शुभ माना जाता है।
रात का रथ-अद्वितीय उड़ान
· इसकी उड़ान सटीक, बिना आवाज़, सीधी, स्थिर और शक्तिशाली होती है।
· यह हवा में एक ही स्थान पर मंडरा कर फूलों से रसपान कर सकता है।
· इसी विशेषता के कारण इसे “रात्रि का रथ- Chariot of the Night” भी कहा जाता है।
दुर्लभ मॉथ्स को संरक्षण की आवश्यकता
यह रंग-बिरंगा, रहस्यमय और मोहक पतंगा अपनी शांत, शालीन उड़ान से सभी को मोहित करता है। लेकिन दुर्भाग्यवश इसके महत्व को समझने वाले बहुत कम हैं।
संरक्षण चुनौतियां:-
• जंगलों की अंधाधुंध कटाई
• अत्यधिक रासायनिक कीटनाशकों का प्रयोग
• खेती के विस्तार से प्राकृतिक आवास का विनाश
• जलवायु परिवर्तन
• इनके भोजन और आश्रय स्थलों की कमी
संरक्षण के उपाय:-
● जन जागरूकता फैलाना
● इनके पसंदीदा पौधे जैसे कनेर लगाना
● कीटनाशकों का सीमित और विवेकपूर्ण उपयोग
● वृक्षों की कटाई पर नियंत्रण
● प्राकृतिक आवासों की सुरक्षा
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): यह लेखक के निजी विचार हैं। आलेख में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए अमर उजाला उत्तरदायी नहीं है। अपने विचार हमें blog@auw.co.in पर भेज सकते हैं। लेख के साथ संक्षिप्त परिचय और फोटो भी संलग्न करें।