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दूसरा पहलू: कई लोग राक्षसों, परियों व भूतों के अलौकिक अस्तित्व को सच मानते हैं, क्या आप भी ऐसा मानते हैं?
पेनेलोप गेंग, अमर उजाला
Published by: नितिन गौतम
Updated Tue, 16 Dec 2025 07:44 AM IST
सार
साहित्य बताता है कि शुरुआती आधुनिक समय में भूतों को अक्सर दुखी और असहाय माना जाता था, जबकि राक्षसों को बुरा, धोखेबाज और शैतान का सेवक माना जाता था।
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आत्माओं की कहानियां
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
आत्माओं की दुनिया पर विश्वास हमेशा से कई धर्मों का हिस्सा रहा है। 2023 में 26 देशों के एक सर्वे में पाया गया कि लगभग आधे लोग स्वर्गदूतों, राक्षसों, परियों और भूतों के अलौकिक अस्तित्व को सच मानते हैं। हालांकि, दोनों ही डर का कारण हैं, पर भूत और राक्षस में फर्क समझना कठिन रहा है। लेखक पु सोंग्लिंग की स्ट्रेंज टेल्स फ्रॉम ए चाइनीज स्टूडियो के भूत और शेक्सपियर के रचित भूत बिल्कुल अलग तरह से दिखाई देते हैं, जबकि दोनों 17वीं सदी में लिखे गए।
पुनर्जागरण काल में लोग साहित्य के माध्यम से भूत-प्रेतों के अर्थ खोजते थे। साहित्यिक अभिलेखों को देखने पर समझ आता है कि लोग राक्षसों और भूतों के बारे में क्या सोचते थे। 1517 में मार्टिन लूथर ने अपनी नाइंटी फाइव थीसिस किताब में कैथोलिक चर्च के उस वादे को गलत बताया, जिसमें दावा किया गया था कि पैसे देने से आत्मा यातनागृह में कम समय बिताती है। यह विरोध धीरे-धीरे बड़े सुधार आंदोलन में बदल गया, जिसने प्रोटेस्टेंट चर्चों को जन्म दिया। इन चर्चों ने घोषित किया कि न तो यातनागृह जैसा कोई स्थान होता है और न ही आत्माएं जीवित लोगों को डराती हैं। कई लोग मानते थे कि भूतों की अवधारणा कैथोलिक पादरियों ने डर फैलाने के लिए गढ़ी थी, ताकि लोग उनकी बात मानें।
लुडविग लवाटर की किताब ऑफ घोस्ट्स एंड स्पिरिट्स वॉकिंग बाय नाइट के अंग्रेजी अनुवाद में भूतों को ‘भिक्षुओं का झूठ’ और ‘शैतानों का भ्रम’ कहा गया है। अभिलेख दिखाते हैं कि आम लोग धार्मिक आदेशों को नजरअंदाज करके अपनी लोकप्रिय मान्यताओं पर टिके रहे। ज्योतिषीय चिकित्सक रिचर्ड नेपियर की केसबुक में कई लोग आत्माओं द्वारा परेशान होने की कहानियां बताते हैं। शेक्सपियर का हैमलेट भी इसी विचार पर आधारित है, जहां हैमलेट के पिता की आत्मा न्याय की मांग करती है। मैकबेथ और रिचर्ड III में भी न्याय चाहने वाले भूतों की कहनी है। 1662 के एक पैम्फलेट में इसाबेल बिनिंगटन की रॉबर्ट एलियट के भूत से हुई डरावनी मुलाकात का जिक्र है, जो नुकसान नहीं पहुंचाता, बल्कि अपनी बात सुनाना चाहता है।
जहां प्रोटेस्टेंट विचारक भूतों को नकारते थे, वहीं वे राक्षसों को पूरी तरह वास्तविक मानते थे। साहित्य बताता है कि शुरुआती आधुनिक समय में भूतों को अक्सर दुखी और असहाय माना जाता था, जबकि राक्षसों को बुरा, धोखेबाज और शैतान का सेवक माना जाता था। भूत-राक्षसों की कहानियां आज भी डर और जिज्ञासा, दोनों पैदा करती हैं। जैसा कि हैमलेट अपने पिता के भूत से मिलने के बाद अपने दोस्त से कहता है कि होराशियो, स्वर्ग और पृथ्वी में ऐसी बहुत-सी चीजें हैं, जिनके बारे में तुमने कभी सोचा भी नहीं है।
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पुनर्जागरण काल में लोग साहित्य के माध्यम से भूत-प्रेतों के अर्थ खोजते थे। साहित्यिक अभिलेखों को देखने पर समझ आता है कि लोग राक्षसों और भूतों के बारे में क्या सोचते थे। 1517 में मार्टिन लूथर ने अपनी नाइंटी फाइव थीसिस किताब में कैथोलिक चर्च के उस वादे को गलत बताया, जिसमें दावा किया गया था कि पैसे देने से आत्मा यातनागृह में कम समय बिताती है। यह विरोध धीरे-धीरे बड़े सुधार आंदोलन में बदल गया, जिसने प्रोटेस्टेंट चर्चों को जन्म दिया। इन चर्चों ने घोषित किया कि न तो यातनागृह जैसा कोई स्थान होता है और न ही आत्माएं जीवित लोगों को डराती हैं। कई लोग मानते थे कि भूतों की अवधारणा कैथोलिक पादरियों ने डर फैलाने के लिए गढ़ी थी, ताकि लोग उनकी बात मानें।
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लुडविग लवाटर की किताब ऑफ घोस्ट्स एंड स्पिरिट्स वॉकिंग बाय नाइट के अंग्रेजी अनुवाद में भूतों को ‘भिक्षुओं का झूठ’ और ‘शैतानों का भ्रम’ कहा गया है। अभिलेख दिखाते हैं कि आम लोग धार्मिक आदेशों को नजरअंदाज करके अपनी लोकप्रिय मान्यताओं पर टिके रहे। ज्योतिषीय चिकित्सक रिचर्ड नेपियर की केसबुक में कई लोग आत्माओं द्वारा परेशान होने की कहानियां बताते हैं। शेक्सपियर का हैमलेट भी इसी विचार पर आधारित है, जहां हैमलेट के पिता की आत्मा न्याय की मांग करती है। मैकबेथ और रिचर्ड III में भी न्याय चाहने वाले भूतों की कहनी है। 1662 के एक पैम्फलेट में इसाबेल बिनिंगटन की रॉबर्ट एलियट के भूत से हुई डरावनी मुलाकात का जिक्र है, जो नुकसान नहीं पहुंचाता, बल्कि अपनी बात सुनाना चाहता है।
जहां प्रोटेस्टेंट विचारक भूतों को नकारते थे, वहीं वे राक्षसों को पूरी तरह वास्तविक मानते थे। साहित्य बताता है कि शुरुआती आधुनिक समय में भूतों को अक्सर दुखी और असहाय माना जाता था, जबकि राक्षसों को बुरा, धोखेबाज और शैतान का सेवक माना जाता था। भूत-राक्षसों की कहानियां आज भी डर और जिज्ञासा, दोनों पैदा करती हैं। जैसा कि हैमलेट अपने पिता के भूत से मिलने के बाद अपने दोस्त से कहता है कि होराशियो, स्वर्ग और पृथ्वी में ऐसी बहुत-सी चीजें हैं, जिनके बारे में तुमने कभी सोचा भी नहीं है।