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अध्ययन कक्ष: बेस्टसेलर किताब- द कंप्लीट नोटबुक्स, विचार कैसे जन्म लेते हैं
अमर उजाला ब्यूरो, नई दिल्ली।
Published by: शिवम गर्ग
Updated Sun, 21 Dec 2025 07:34 AM IST
सार
इसी महीने प्रकाशित यह बेस्टसेलर किताब अल्बेयर कामू के निजी जीवन, परिवार या मित्रों के बारे में नहीं, बल्कि 1933 से 1953 के बीच लिखे उनके नोट्स के जरिये इतिहास के महानतम लेखकों में से एक के दिमाग की गहराइयों को समझाती है।
- द कंप्लीट नोटबुक्स
- लेखक : अल्बेयर कामू
- प्रकाशक : यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो प्रेस
- मूल्य : 4,065 रुपये (पेपरबैक)
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द कंप्लीट नोटबुक्स लेखक: अल्बेयर कामू
- फोटो : अमर उजाला प्रिन्ट
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विस्तार
फ्रांसीसी दार्शनिक और उपन्यासकार अल्बेयर कामू की इसी महीने प्रकाशित द कंप्लीट नोटबुक्स में पहली बार उनके नोट्स को संपूर्णता में संकलित किया गया है, जो इन दिनों सुर्खियां बटोर रही है। इस किताब में उनके 1935 से 1942 तक के नोट्स संकलित हैं।
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ध्यान रहे कि उनकी नोटबुक्स डायरी नहीं है। उसमें उनके दोस्तों या परिवार, युद्ध के समय के अनुभवों या उनकी व्यक्तिगत जिंदगी के बारे में लगभग कुछ भी नहीं है। ये नोट्स एक विचारक के तौर पर उनकी सोच की प्रक्रिया के बारे में भी जानकारी देते हैं। मात्र 44 साल की उम्र में वर्ष 1957 में उन्हें साहित्य का नोबेल पुरस्कार मिला था और वह सबसे कम उम्र में यह उपलब्धि हासिल करने वाले लेखक बन गए थे। तभी उन्होंने एक नोटबुक में लिखा, ‘जो मेरे साथ हो रहा है, उससे मैं डरा हुआ हूं, यह मैंने नहीं चाहा था।’ उन्होंने बताया कि उन्हें पैनिक अटैक आ रहे थे। कुछ दिनों बाद उन्होंने लिखा, ‘जिनके पास सच में कहने के लिए कुछ होता है, वे अपनेे बारे में कभी बात नहीं करते।’
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उनकी नोटबुक से उनके गहन अध्ययन का संकेत मिलता है, जिसमें मिल्टन और गोएथे से लेकर फॉकनर और रोजा लक्जमबर्ग तक सभी शामिल हैं। वह हमेशा चीजों का सार ढूंढते थे। इस नोटबुक से जो बात खास तौर पर सामने आती है, वह है साहित्य के प्रति उनका जुनून।
उनकी नोटबुक का अनुवाद फ्रेंच से अंग्रेजी में रायन ब्लूम ने किया है। इसमें कुछ ऐसे नोट्स भी हैं, जो पहले भी प्रकाशित हो चुके हैं, जैसे 1946 में अमेरिका और 1949 में लैटिन अमेरिका की यात्राओं के बारे में। लेकिन इस किताब में कुछ और भी चीजें सराहनीय हैं। कामू कभी-कभी अपने आलोचकों पर भी टिप्पणी करते हैं। 1942 में वह एक नोट में लिखते हैं, ‘एक किताब बनाने में तीन साल लगते हैं, और उसका मजाक उड़ाने में पांच पंक्तियां और वह भी गलत उद्धरण के साथ।’
बाद में वह लिखते हैं : ‘बुराई ही फ्रांस में एकमात्र ऐसा उद्योग है, जिसमें बेरोजगारी नहीं है।’ राजनीति के बारे में उनका विचार है : ‘मुझे प्रतिबद्ध साहित्य के बजाय प्रतिबद्ध लोग ज्यादा पसंद हैं।’ इसमें कामू की भावना साफ झलकती है, खासकर तैरने और धूप के प्रति उनके प्यार में। उन्हें घूमना पसंद था, लेकिन दिखावटी तौर पर नहीं। वह अपने एक शुरुआती नोट में लिखते हैं, ‘डर ही यात्रा को कीमती बनाता है’-यह एक ‘तपस्वी जैसा अनुभव’ होना चाहिए।
यह पुस्तक सतही व सपाट लग सकती है, पर इसमें सच्ची बातें हैं। 24 वर्षीय कामू वसंत की एक शाम को लिखते हैं कि कुछ दिन ऐसे होते हैं, जब दुनिया झूठ बोलती है, जबकि कुछ वह सच बोलती है।’ उनके प्रशंसकों के लिए, इन नोटबुक्स को पढ़ने से ज्यादा अंतरंग अनुभव और कुछ नहीं है। इसमें पाठक कामू की दार्शनिक कल्पना की गहराई का अनुभव करेंगे और देखेंगे कि उनके विचार कैसे आकार लेते हैं।