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AI: आप एथलेटिक्स टीम में शामिल हैं पर दौड़ स्कूटर से रहे हैं; कहीं एआई तो आपके लिए नहीं सोच रहा
कार्लो रोटेला, द न्यूयॉर्क टाइम्स
Published by: पवन पांडेय
Updated Sat, 13 Dec 2025 08:08 AM IST
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एआई (सांकेतिक)
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AI
विस्तार
मैं बोस्टन कॉलेज में अंग्रेजी पढ़ाता हूं। एक दिन, क्लास खत्म होने ही वाली थी। छात्र अपनी किताबें समेट रहे थे कि तभी टायलर नाम का एक लड़का मेरे पास आया। उसने झिझकते हुए पूछा, 'क्या हम कभी इस पर बात कर सकते हैं कि खुद से सवाल कैसे पूछे जाएं?' मैंने टायलर को भरोसा दिलाया कि उसने एक महत्वपूर्ण बिंदु उठाया है और अगली क्लास में हम पूरी कक्षा के साथ इस पर चर्चा करेंगें।दरअसल, टायलर उन विद्यार्थियों में से है, जो रोबोटिक सहायक पर निर्भरता बिल्कुल पसंद नहीं करते। यह उस डरावनी तस्वीर के बिल्कुल उलट है, जो शिक्षा पर जेनरेटिव एआई के प्रभावों के बारे में फैल रही है कि सभी छात्र बेईमानी करते हैं और एआई का यह दौर पढ़ने और सोचने का अंत है। टायलर और उसकी पीढ़ी वह अंत नहीं लिख रही, बल्कि वे तो इस कहानी का उल्टा अध्याय शुरू कर रहे हैं। इसको ध्यान में रखकर ही मैंने एक नया कोर्स तैयार किया, जिसमें पढ़ने-लिखने के उद्देश्य पर जोर दिया गया और जिसमें तकनीकी के कम इस्तेमाल तथा आमने-सामने के समुदाय पर खास फोकस था। एआई विरोधी यह अंग्रेजी कोर्स तीन मजबूत स्तंभों पर टिका है: कलम और कागज व मौखिक परीक्षाएं, सिर्फ पेपर देने के बजाय लिखने की प्रक्रिया सिखाना और कक्षा में होने वाली गतिविधियों पर ज्यादा ध्यान देना। इस कोर्स का उद्देश्य छात्रों को यह समझाना है कि खुद काम करना उनके लिए बेहतर है।
मेरे साथ कई शिक्षक यह देखकर आश्चर्यचकित हैं कि वह एआई प्रलय, जिसके बारे में कहा जा रहा था कि वह शिक्षा को पूरी तरह बदल देगी, अब तक ऐसा कर नहीं सकी है। एआई के बढ़ते प्रभाव के जवाब में मानविकी विषयों के मानवीय पहलू पर ज्यादा ध्यान देना फिलहाल कारगर लग रहा है। मैं अपने टेस्ट छोटे-छोटे निबंधों के रूप में लेता हूं, जो छात्रों द्वारा पढ़े हुए पाठ की समझ, कक्षा में सीखी गई अवधारणाओं और विश्लेषण के तरीकों को मापते हैं। ज्यादा अंक छात्रों की विश्लेषण क्षमता पर दिए जाते हैं। कक्षा के आखिरी कुछ मिनटों में, हम अक्सर यह चर्चा करते हैं कि हमने जो पढ़ाया है, उस पर परीक्षा में कैसे प्रश्न पूछे जा सकते हैं, और छात्र भी सुझाव देते हैं। आप लेखन पर एआई के प्रभाव को समझ ही नहीं सकते, यदि आप इस बात पर ध्यान न दें कि एआई छात्रों को पूरा पढ़ने के बजाय सिर्फ सारांश से काम चलाने के लिए प्रेरित कर सकता है।
दरअसल, आज की संस्कृति की कई बड़ी ताकतें लोगों को गहराई से ध्यान केंद्रित पढ़ाई करने से दूर कर रही हैं। लोग उन विवरणों पर ध्यान देने का धैर्य खो रहे हैं, जो किसी निबंध, कहानी या उपन्यास को असली बनावट और गहराई देते हैं, खासकर तब, जब वे हर चीज को बुलेट-पॉइंट सारांशों में बदलकर पढ़ने या स्क्रीन पर स्क्रॉल करते हुए विषय के महत्वपूर्ण हिस्सों छोड़ देने के आदी हो गए हों। तकनीक की मदद से इस तरह सतही तौर पर पढ़ना किसी उपन्यास को पढ़ने जैसा बिल्कुल नहीं है-यह लगभग ऐसा है, जैसे शादी के बारे में पॉडकास्ट सुनकर शादी करने की कोशिश करना।
पिछले कुछ वर्षों में, मेरे लिए कक्षा में एक मजबूत समुदाय बनाना बहुत जरूरी हो गया है। मोबाइल फोन और अब एआई ने कॉलेज को पहले से ज्यादा अकेलापन वाला अनुभव बना दिया है। मेरे छात्र आम तौर पर मेरी पीढ़ी के छात्रों से अधिक पेशेवर और सक्षम हैं, लेकिन वे अधिक चिंतित और अकेला भी महसूस करते हैं। इसलिए, मैं कोशिश करता हूं कि कक्षा ऐसी जगह बने, जहां छात्र न केवल खुलकर बोल सकें, बल्कि उनसे बोलने की उम्मीद भी की जाए, ताकि उन्हें एक जिम्मेदार नागरिक की तरह अपना दायित्व निभाने का एहसास हो। इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए कई छोटी-छोटी आदतें बहुत महत्वपूर्ण हो जाती हैं-जैसे स्क्रीन पर पाबंदी लगाना, सभी को बातचीत में शामिल करना, सभी छात्रों के नाम पहचानना, क्या और क्यों कर रहे हैं, इस पर साफ बात करना, एवं गंभीर पढ़ाई के बीच हल्के-फुल्के मजाक का माहौल बनाना।
मैंने अपने छात्रों से कहा कि पढ़ना भी सोचना है और लिखना भी सोचना है। आपके लिए एआई की मदद से सोचना ऐसा है, जैसे एथलेटिक्स की टीम में शामिल होकर अपनी दौड़ इलेक्ट्रिक स्कूटर से पूरी करना। सोचने का काम दिमाग से करो। इसका इस्तेमाल करो, नहीं तो इसे खो दोगे।
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