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सामरिक: और खेल हो गया, क्योंकि आतंकवाद की सरपरस्ती में कोई नहीं पाकिस्तान के साथ
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सार
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ऑपरेशन सिंदूर के तहत पीओजेके के मुजफ्फराबाद में हमले के बाद का मंजर
- फोटो :
एएनआई / रॉयटर्स
विस्तार
सात मई, 2025 को इतिहास रचा गया। ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के आतंकवादी ठिकानों पर बेहद सटीक कार्रवाई कर डाली। हमले के कुछ घंटों बाद दो भारतीय महिला सैन्य अधिकारियों, एक हिंदू व एक मुसलमान, ने मीडिया को बताया कि हमने क्या किया है। विवाह और नारीत्व का प्रतीक ‘सिंदूर’ नाम महिलाओं के सम्मान और गरिमा की रक्षा के बारे में एक शक्तिशाली कथन है। हम अपने देश को भारत माता कहते हैं और जब पहलगाम में इसी मां की दो दर्जन से अधिक बेटियों के माथे का सिंदूर कुछ अमानवीय लोगों ने मिटा दिया, तो मां का रूप बदला और वह हाथ में खड्ग लेकर दुर्गा बन गईं।
हमने वैश्विक आतंकवाद के गॉडफादरों के मन में भ्रम पैदा कर दिया, जिससे वे हमारे जवाब की आशंका से डरने लगे। वे भ्रमित थे और परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की धमकियां देते रहे। हमने तब हमला किया, जब उन्हें उम्मीद नहीं थी। हमने आतंकिस्तान की छाती पर पल रहे सांपों को कुचलने के लिए बहुत अंदर जाकर हमला किया। हमारे कदम से एक दिन पहले छह मई को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने पाकिस्तान के अनुरोध पर बंद कमरे में बैठक बुलाई। पर इस्लामाबाद तब हैरान रह गया, जब सुरक्षा परिषद, जिसके स्थायी और अस्थायी सदस्यों को हमने पहले ही जानकारी दे दी थी, ने पाकिस्तान से लश्कर-ए-ताइबा की पाकिस्तान में मौजूदगी पर ही पूछ लिया। नोटिस टू एयरमैन (एनओटीएएम) जारी किए बगैर पाकिस्तान के मिसाइल परीक्षण पर भी सवाल उठा, तो पाकिस्तान की हेकड़ी निकल गई। यही नहीं, कई देशों ने पाकिस्तानी हवाई क्षेत्र का उपयोग करना बंद कर दिया। यूएन सुरक्षा परिषद ने पाकिस्तान की अर्जी खारिज करते हुए उसे द्विपक्षीय मामलों में भारत से बात करने के लिए कहा। सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष ने जब पहलगाम हमले की निंदा की और जवाबदेही की मांग की, तो अपनी निराशा को छिपाने के लिए उसने आरोप लगाया कि सिंधु जल संधि को निलंबित करना अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है।
यह हमारा पहला कदम था, जो आने वाले महीनों में पाकिस्तान को गंभीर नुकसान पहुंचाएगा। गॉडफादर चीन खुद मुसीबत में है, इसलिए मदद करने में असमर्थ है। पाकिस्तान की दूसरी मुश्किल उसका सेना प्रमुख मुल्ला मुनीर है, जो मध्ययुगीन मानसिकता का इन्सान है। वह बलूचिस्तान में स्वतंत्रता सेनानियों से लड़ रहा है और हर हफ्ते अपने ही दर्जनों सैनिकों को खा रहा है। खैबर पख्तूनख्वा में वह तहरीक-ए-तालिबान से लड़ रहा है और उसकी सेना वहां लड़ने से इन्कार कर रही है। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ने दावा किया कि वह भारत को सबक सिखाएंगे और फिर विनम्रतापूर्वक हमसे कहा कि हम उनके देश पर दोबारा हमला न करें।
वाशिंगटन में उनका राजदूत कहता है कि पाकिस्तान भारत जैसे अधिक मजबूत राष्ट्र से नहीं लड़ सकता। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ईरान, सऊदी अरब, संयुक्त राष्ट्र वगैरह से गुहार लगाते फिरते रहे कि वे भारत से कहें कि वह उन पर हमला न करे। अमेरिकी विदेश मंत्री ने अपने पाकिस्तानी समकक्ष से बात करने के लिए जब फोन लगाया, तो पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने उठाया और उनसे भी मदद मांगी। कुल मिलाकर पाकिस्तान में पूरी तरह से भ्रम और घबराहट है। एक दुष्ट सेना, मूर्ख सरकार और निराश लोग, चाणक्य के विनाश की शाश्वत रेसिपी हैं। खुद पर गोल करने के मामले में पाकिस्तान ने रिकॉर्ड बनाया है। प्रधानमंत्री मोदी ने अंग्रेजी में कहा था, ताकि दुनिया समझ सके कि भारत आतंकवादियों का पीछा करेगा और उन्हें दंडित करेगा। उन्होंने अपनी बात रखी।