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प्रहार और संदेश : पाकिस्तान को लगा कि हम पहले मॉक ड्रिल करेंगे, मगर पर्दे के पीछे की पटकथा थी और
सेवानिवृत्त एयर मार्शल आरसी बाजपेई
Published by: शिव शुक्ला
Updated Thu, 08 May 2025 07:50 AM IST
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'ऑपरेशन सिंदूर' ।
- फोटो :
अमर उजाला
विस्तार
पहलगाम में आतंकियों ने जिस बर्बरता के साथ हमारे निर्दोष नागरिकों की हत्या की उसकी जितनी भर्त्सना की जाए वह कम है, लेकिन भारत ने पाकिस्तान में घुसकर जिस तरह प्रतिशोध लिया है, उसका संदेश स्पष्ट है कि आतंकी और उनके अड्डे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे। वायुसेना ने सिर्फ 25 मिनट में नौ आतंकी ठिकानों समेत कई स्थलों को नष्ट कर जिस बहादुरी के साथ ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिया है, उसके लिए सटीक और सक्षम योजना बनाई गई।
आतंकियों ने धर्म पूछकर हमारे निरीह नागरिकों को मारा, हमारी बहनों का सिंदूर उजाड़ा, उसके बदले में भारत ने फिर भी संयमित कार्रवाई की है। यदि जवाब में पाकिस्तान दुस्साहस करने का प्रयास करता है, तो उसे इसकी बहुत बड़ी कीमत चुकानी होगी। इस अभियान को भले ही वायुसेना ने एयर स्ट्राइक कर सफल बनाया है, लेकिन अरब सागर में हमारी नौसेना, तो बॉर्डर पर थलसेना पूरी मुस्तैदी के साथ तैयार थी। यह पूरा ऑपरेशन वायुसेना, नौसेना व थलसेना के बीच बेहतर तालमेल और हमारे नेतृत्व की दृढ़ इच्छाशक्ति की वजह से संपन्न हुआ है।
ऐसे अभियानों को सफल अंजाम देने के लिए बड़ी कुशल योजना की जरूरत होती है। इसलिए पहलगाम नरसंहार का बदला लेने के लिए 15 दिन का वक्त लग गया, क्योंकि ऐसी जवाबी कार्रवाई से पहले हमें अपनी सुरक्षा भी पुख्ता करनी होती है। इतना ही नहीं, हमने अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, फ्रांस समेत दुनिया के तमाम देशों को बताकर आतंकी ठिकानों को ध्वस्त किया है। इसको लेकर पाकिस्तान को भी चेतावनी दे दी थी, लेकिन वह अपनी गलती मानने को तैयार ही नहीं है। भारत ने सिर्फ आतंकियों और उनके अड्डों को ही निशाना बनाया है, किसी नागरिक या उनके सैन्य ठिकानों को नहीं, तो इससे पता चलता है कि भारत ने अपने ऑपरेशन को सफल बनाने के लिए कितना होमवर्क किया होगा। यह ऑपरेशन पूर्व में की गई सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट की एयर स्ट्राइक से भी कई गुना बड़ा है, तो योजना भी उससे कई गुना बड़ी बनी।
दरअसल, ऐसे ऑपरेशन से पहले दुश्मन के वायु ठिकानों और उनके रडार सिस्टम को निष्क्रिय करना होता है। भारत ने इसके लिए पहले से अपनी तैयारी कर रखी थी। समुद्र से होने वाली पाकिस्तान की तेल समेत सैन्य व अन्य सामानों की सप्लाई को रोकने के लिए नौसेना ने कराची के आसपास पूरे क्षेत्र को घेर रखा है। बॉर्डर पर थलसेना सजग है और वायुसेना ने अपने हथियारों का इस्तेमाल कर केवल 25 मिनट में अभियान पूरा किया। हमने कहा कि ब्लैकआउट और मॉक ड्रिल का अभ्यास करेंगे, पाकिस्तान इसी भ्रम में रहा कि भारत बाद में कोई कार्रवाई करेगा, लेकिन मॉक ड्रिल से पहले ही कार्रवाई करना भी युद्ध की योजनाओं का ही हिस्सा है।
इतने बड़े स्तर पर हुई भारतीय कार्रवाई से निश्चित रूप से पाकिस्तान बेचैन हो उठा है, वह कोई न कोई जवाबी हमला करने का दुस्साहस कर सकता है, लेकिन इसके लिए भारतीय सेना हर मोर्चे पर तैयार है। पाकिस्तान केवल गीदड़ भभकी देना जानता है, क्योंकि 1947 से लेकर अब तक चाहे 1965 का युद्ध हो, या फिर 1971 और कारगिल युद्ध, सब में उसे मुंह की खानी पड़ी है।
इसलिए वह भारत पर हमला करने की गलती शायद ही करे, यदि फिर भी वह दुस्साहस करता है, तो इस बार उसका जो अंजाम होगा, उसकी उसने कल्पना भी नहीं की होगी, क्योंकि पाकिस्तान के मुकाबले भारत सैन्य बल, तकनीक और संसाधनों में कई गुना मजबूत है। इसके अलावा, हमारे नेतृत्व और सेना में बेहतर तालमेल है, जबकि पाकिस्तान में न तो नेतृत्व मजबूत है, न ही उसका सेना के साथ कोई अच्छा सामंजस्य है। बलूचिस्तान, गिलगित-बाल्टिस्तान, पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के अलावा अन्य क्षेत्रों में पाकिस्तान की हुकूमत और उसकी सेना के खिलाफ बगावत हो रही है। पहले वह अपनी समस्याओं से तो निपटे।