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सिंदूर का वार : मिसाइलें यों ही नहीं चुनी गई थीं, इसके पीछे था रणनीतिक उद्देश्य
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मिसाइल हमला (सांकेतिक तस्वीर)
- फोटो :
PTI
विस्तार
पहलगाम हमले के प्रतिशोधस्वरूप भारत ने ऑपरेशन सिंदूर नामक हमले में पाकिस्तान और उसके कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में तीन आतंकवादी संगठनों से जुड़े बुनियादी ढांचे को निशाना बनाया-जैश-ए- मुहम्मद, लश्कर-ए-ताइबा और हिजबुल मुजाहिदीन। सबसे महत्वपूर्ण लक्ष्यों में से एक था बहावलपुर, जहां जैश-ए-मुहम्मद का मुख्यालय है और 2019 में पुलवामा हमले के बाद से यह भारतीय रडार पर है। पाकिस्तान के भीतर घुसकर वायुसेना के लड़ाकू विमानों द्वारा किए गए मिसाइल हमले न केवल सोचे-समझे थे, बल्कि उनका प्रभाव भी काफी अधिक था।
ऐसी खबरें मिल रही हैं कि भारत के पसंदीदा हथियार स्कैल्प क्रूज मिसाइल और हैमर प्रिसिजन-गाइडेड युद्धक सामग्री थी, जो राफेल लड़ाकू विमानों में लगे हैं। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के लिए स्कैल्प क्रूज मिसाइलों और हैमर प्रिसिजन-गाइडेड हथियारों का चयन खास आतंकी ढांचों को तहस-नहस करने और नागरिकों को बचाने के रणनीतिक उद्देश्य से किया गया था। ऐसा बताया गया है कि इस मिशन में भारत ने इन हथियारों से लैस राफेल लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल किया था। 2019 में बालाकोट हवाई हमले के दौरान, भारत ने जिहादी प्रशिक्षण शिविरों पर हमला करने के लिए मिराज 2000 जेट तैनात किए थे।
स्कैल्प, जिसे स्टॉर्म शैडो के नाम से भी जाना जाता है, एक एयर-लॉन्च क्रूज मिसाइल है, जिसे लंबी दूरी के घातक हमलों के लिए डिजाइन किया गया है, जो बात इसे दुनिया भर के रक्षा बलों की पसंदीदा बनाती है, वह यह है कि यह रात में और सभी मौसम में संचालित हो सकती है। 450 किलोमीटर की रेंज होने के कारण, स्कैल्प मिसाइल की सटीकता की वजह उन्नत नेविगेशन प्रणाली है, जो जीपीएस (ग्राउंड पोजिशनिंग सिस्टम) और आईएनएस (इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम) का उपयोग करती है। एक यूरोपीय संघ एमबीडीए द्वारा निर्मित यह मिसाइल कठोर बंकरों को भेदने का आदर्श हथियार है। ऑपरेशन में इस्तेमाल किया गया दूसरा हथियार हैमर (हाइली एजाइल मॉड्यूलर म्यूनिशन एक्सटेंडेड रेंज) है, जो सभी मौसम में हवा से जमीन पर सटीकता से निर्देशित होने वाला हथियार (एक किस्म का बम) है, जो फ्रांसीसी कंपनी सफ्रान द्वारा निर्मित है। अब लौटते हैं पाकिस्तान की तरफ। जिस देश के रक्षा मंत्री खुले तौर पर आतंकवाद को प्रश्रय देने की बात स्वीकार कर चुके हों, उसका वैश्विक धन शोधन और आतंकवाद वित्तपोषण निगरानी संस्था वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफएटीएफ) की जांच से बच जाना भी हैरत में डालता है।