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ऑपरेशन सिंदूर : यह अंत है या अंत की शुरुआत... एक्शन के बाद रिएक्शन के लिए हर दम रहना होगा तैयार
समीर चौहान
Published by: शिव शुक्ला
Updated Thu, 08 May 2025 07:20 AM IST
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पाकिस्तान में मिसाइल हमले के बाद ध्वस्त आतंकी ढांचा
- फोटो :
पीटीआई
विस्तार
सात मई, 2025 की सुबह राष्ट्र एक सुखद आश्चर्य के साथ जागा। ऐसा सुखद आश्चर्य, जिसका वैसे तो लंबे वक्त से इंतजार था, लेकिन बीते पखवाड़े से यह इंतजार ज्यादा बेचैन करने लगा था। ज्यादा सुखद यह इसलिए भी है, क्योंकि जब पूरा देश सायरन और मॉक ड्रिल के लिए तैयार ही हो रहा था, ठीक तभी पड़ोसी मुल्क में आतंकवादियों के गढ़ को असलियत का कड़वा स्वाद चखाया जा रहा था। पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में नौ आतंकवादी प्रशिक्षण केंद्रों पर भारतीय सैन्य बलों ने सटीक निशाना साधा, जिनमें लाहौर के बाहर मुरीदके में लश्कर-ए-ताइबा (एलईटी) का मुख्यालय और बहावलपुर में जैश-ए-मुहम्मद (जेईएम) का मुख्यालय शामिल था, जो दोनों पाकिस्तान वाले पंजाब में स्थित हैं।
सात मई की आधी रात भारत ने आखिरकार प्रतिशोधात्मक न्याय के अपने अधिकार का उपयोग करना शुरू किया। ऐसा करना उसकी बाध्यता इसलिए भी थी, क्योंकि दोषी पाकिस्तान न तो पहलगाम में किए गए अपने अपराध को स्वीकार रहा था, और न ही भविष्य में ऐसी किसी वारदात को रोकने के लिए प्रतिबद्धता जाहिर कर रहा था। ऐसे में पाकिस्तान के खिलाफ एक सख्त कदम उठाना जरूरी हो गया था। लेकिन ऐसा करते हुए भी, लक्ष्य के चयन और कार्रवाई के तरीके में काफी संयम दिखाते हुए केवल आतंकियों के गढ़ों पर हमला करके भारत ने वैश्विक समुदाय में अपनी ‘जवाबदेह राष्ट्र’ वाली स्थिति को बरकरार रखा है।
भारतीय कार्रवाई कितनी नपी-तुली थी, इसका अंदाजा इससे ही लगता है कि किन्हीं भी पाकिस्तानी सैन्य सुविधाओं या नागरिक क्षेत्रों को निशाना नहीं बनाया गया है, जैसा रक्षा मंत्रालय की प्रेस विज्ञप्ति भी बताती है। इस तथ्य को अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने भी अच्छे ढंग से स्वीकारा है कि भारत ने जानबूझकर निर्दोष नागरिकों और सक्रिय पाकिस्तानी सैन्य ढांचे को निशाना न बनाते हुए उत्कृष्ट कोटि का रणनीतिक संयम दिखाया है। दुनिया भारत की सैन्य क्षमता और योग्यता के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जिम्मेदारियों की समझने की क्षमता से भी वाकिफ है। अमेरिकी कांग्रेस के एक सदस्य ने कहा है कि भारत को अपने लोगों और क्षेत्र की रक्षा का अधिकार है। इस्राइल ने भी भारत के आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन किया है। भारत में इस्राइल के राजदूत रियुवेन अजार ने एक्स पर कहा, ‘इस्राइल भारत के आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन करता है और आतंकवादियों को पता होना चाहिए कि निर्दोष लोगों के खिलाफ जघन्य अपराध करने के बाद उनके लिए छिपने की कोई जगह नहीं है।’ ज्यादातर देशों के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र ने भी भारत और पाकिस्तान से संयम बरतने की अपील की है।
यहां यह उल्लेखनीय है कि अगर पाकिस्तान इस हमले को हल्के में लेते हुए कोई दुस्साहस दिखाने की जुर्रत करता है, तो भारत का धैर्य जवाब दे जाएगा। इस तथ्य को हमारी महिला वायुसेना की अधिकारी ने अपनी प्रेस वार्ता में भी व्यक्त किया है। भारतीय रक्षा बल पाकिस्तान के किसी भी सीमा पार दुस्साहस का जवाब देने को तैयार बैठे हैं। दुनिया को और खासकर हमारे बेलगाम पड़ोसी को यह नहीं भूलना चाहिए कि हमारी दो महिला रक्षा अधिकारियों ने आज ऑपरेशन सिंदूर पर मीडिया ब्रीफिंग का संचालन किया है। यह सीमा पार से बुरी नजर रखने वालों को संदेश है-आप हमारे परिवारों को निशाना बनाते हैं; हमारी दुर्गा और काली शक्तियां आपको समझ आने वाली भाषा में जवाब देने को तैयार हैं। भारतीय महिलाओं की शक्ति को कम मत समझिए।
फिर भी, आज की कार्रवाई के उत्साह में हमें अपनी चौकसी कम नहीं करनी चाहिए। पूरे देश में नागरिक सुरक्षा मॉक ड्रिल, खासकर दुश्मन के हवाई और मिसाइल हमलों के खिलाफ, नए जोश व ईमानदारी और विश्वसनीयता के साथ आयोजित करानी चाहिए। यह एक राष्ट्रीय प्रयास होना चाहिए, जो सभी तरह के क्षेत्रीय, सांप्रदायिक या भाषाई पक्षपातों से परे हो। जिस तरह से हमने उनके आतंकी ढांचे, जिन्हें पड़ोसी मुल्क अपनी राष्ट्रीय संपत्ति मानता है, पर हमला किया है, उसी तरह हमें भी खुद की रणनीतिक राष्ट्रीय संपत्तियों की रक्षा पर ध्यान देना होगा। हमारी कमजोरियों का नए सिरे से विश्लेषण, खास तौर पर पाकिस्तानी सीमा से निकटवर्ती और पाकिस्तानी हथियारों की मारक क्षमता के भीतर आने वाले क्षेत्रों में पूरी तत्परता के साथ किया जाना चाहिए।
इस संदर्भ में, उधमपुर-श्रीनगर-बारामुला रेल लिंक (यूएसबीआरएल) की पूरी लंबाई में सुरक्षा अति महत्वपूर्ण हो गई है। आम नागरिकों, स्थानीय प्रशासन और साथ ही पूरे सुरक्षा तंत्र के प्रयासों के बीच तालमेल ऐसा होना चाहिए कि न केवल किसी भी नापाक इरादे को रोका और विफल किया जा सके, बल्कि दुश्मन के हमलों के प्रभावों को झेलने के लिए भी यह पर्याप्त मजबूत हो। यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि देश के नागरिक तैयारी के इस राष्ट्रीय प्रयास में एकजुट हों। प्रत्येक व्यक्ति अपनी भूमिका समझता है। हमें याद रखना चाहिए कि विपरीत परिस्थितियों में नागरिकों की एकजुटता और संयुक्त प्रयास एक बड़ी शक्ति बन जाते हैं। आइए, हम खुद को फिर से समर्पित करें और अपने बिगड़ैल पाकिस्तान को सबक सिखाने के राष्ट्रीय प्रयासों में रचनात्मक रूप से योगदान दें।
क्या ऑपरेशन सिंदूर अंत है, या फिर अंत की शुरुआत है? क्या यह इस्लामी आतंकवाद के लंबे समय से जीवित पाकिस्तानी भूत को खत्म करने के स्थायी समाधान की ओर एक कदम है? इसका जवाब भविष्य में छिपा है। जैसा हमारे पूर्व सीओएएस जनरल मनोज नरवणे ने एक्स पर ट्वीट किया है, ‘पिक्चर अभी बाकी है।’ हमें और सुखद आश्चर्यों का इंतजार है, लेकिन हम पाकिस्तान की तरफ से किसी भी जवाबी कार्रवाई के लिए तैयार हैं।