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राष्ट्रमंडल खेलों की मेजबानी: गर्व, चुनौती और जिम्मेदारी का अहसास, संदेश भी निहित

अमर उजाला Published by: लव गौर Updated Fri, 28 Nov 2025 07:03 AM IST
सार
भारत की नजर 2036 में आयोजित होने वाले ग्रीष्मकालीन ओलंपिक पर भी है, इसलिए उम्मीद की जानी चाहिए कि अहमदाबाद राष्ट्रमंडल खेलों के जरिये यह साबित करने की कोशिश जरूर होगी कि देश अब बगैर किसी रुकावट के बड़े खेल आयोजन कर सकता है। 
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Hosting Commonwealth Games A sense of pride, challenge and responsibility
खेल मंत्री मनसुख मंडाविया - फोटो : अमर उजाला प्रिंट

विस्तार
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स्कॉटलैंड के ग्लासगो में कॉमनवेल्थ स्पोर्ट्स की महासभा में अहमदाबाद को वर्ष 2030 के राष्ट्रमंडल खेलों की मेजबानी के लिए औपचारिक स्वीकृति मिलना पूरे देश के लिए गर्व की बात है, जिसमें चुनौती और जिम्मेदारी, दोनों का संदेश छिपा है। हालांकि, भारत को यह सम्मान मिलने की पूरी संभावना तभी से जताई जा रही थी, जब राष्ट्रमंडल खेल महासंघ की कार्यकारी समिति ने सौवें राष्ट्रमंडल खेलों के प्रस्तावित मेजबान शहर के रूप में अहमदाबाद के नाम की सिफारिश की थी। ग्लासगो में लिया गया निर्णय एक तरह से उसकी आधिकारिक पुष्टि ही है।


घोषणा के कुछ ही क्षण बाद जिस तरह से बीस गरबा नर्तक और तीस भारतीय ढोल वादकों ने महासभा में समृद्ध सांस्कृतिक प्रदर्शन किया, उससे वहां मौजूद सभी लोगों को उस विरासत व गौरव का एहसास जरूर हुआ होगा, जिसकी उम्मीद सभी देशों के खिलाड़ी और प्रशंसक गुजरात में आयोजित हो रहे खेलों से कर सकते हैं। आयोजन में शामिल होने वाले खेलों की अंतिम सूची तय करने की प्रक्रिया अगले महीने से शुरू होगी, लेकिन माना जा रहा है कि 2030 में खेलों की संख्या अगले वर्ष ग्लासगो में होने वाले खेलों से कहीं अधिक होगी।


चूंकि भारत की नजर 2036 में आयोजित होने वाले ग्रीष्मकालीन ओलंपिक पर भी है, इसलिए उम्मीद की जानी चाहिए कि अहमदाबाद राष्ट्रमंडल खेलों के जरिये यह साबित करने की कोशिश जरूर होगी कि देश अब बगैर किसी रुकावट के बड़े खेल आयोजन कर सकता है। इस लक्ष्य के मद्देनजर ही शायद देश के राजनीतिक और खेल नेतृत्व ने यह सुनिश्चित किया कि भारत कई प्रमुख आयोजनों की शृंखला आयोजित करे, जिससे देश भर में मजबूत खेल बुनियादी ढांचा विकसित करने में मदद मिले। हाल ही में, नई दिल्ली में पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप और अपने पहले विश्व एथलेटिक्स इंटरकॉन्टिनेंटल टूर की मेजबानी इसी दिशा में उठाए गए कदम समझे जा सकते हैं।

अंतरराष्ट्रीय स्तर के खेलों की मेजबानी का मतलब सिर्फ खेल नहीं होता, बल्कि यह अर्थव्यवस्था को भी ताकत देता है। जाहिर है कि पर्यटन में उछाल, होटल उद्योग का विस्तार, स्थानीय हस्तशिल्प और खान पान को वैश्विक मंच, हजारों नई नौकरियां और शहर की ब्रांड वैल्यू में कई गुना बढ़ोतरी, ये सब इसके स्वाभाविक परिणाम होंगे। 2023 के क्रिकेट विश्वकप फाइनल की याद अब भी ताजा है, उम्मीद की जानी चाहिए कि 2030 में उससे कई गुना बड़े आयोजन का फायदा न सिर्फ गुजरात, बल्कि पूरे देश को मिलेगा।
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