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विदेश नीति: 75 साल बाद गणतंत्र दिवस पर फिर इंडोनेशिया, राष्ट्राध्यक्षों को आमंत्रित करना महज औपचारिकता नहीं
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इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबिआंतो
- फोटो :
ANI
विस्तार
इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबिआंतो गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर शिरकत करेंगे। देश इस बार गणतंत्र दिवस की 75वीं वर्षगांठ मनाने के लिए तैयार है। संयोग से पहले गणतंत्र दिवस समारोह में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णो मुख्य अतिथि थे। वह भारत के मित्र होने के साथ-साथ एक करिश्माई नेता थे, जिन्होंने इंडोनेशिया को डच औपनिवेशिक शासन से मुक्ति दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। भारत सरकार ने उन्हें बहुत सोच-विचार करने के बाद देश के पहले गणतंत्र दिवस समारोह के लिए आमंत्रित किया था। उनके प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, उड़ीसा (अब ओडिशा) के पूर्व मुख्यमंत्री बीजू पटनायक और कई अन्य नेताओं से गहरे संबंध थे। उन्होंने गुटनिरपेक्ष आंदोलन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।भारत के गणतंत्र दिवस समारोह में राष्ट्राध्यक्षों को आमंत्रित करना सिर्फ एक औपचारिकता नहीं, बल्कि यह भारत की विदेश नीति का भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है। यह द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने, सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने और अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की उपस्थिति को मजबूत करने का एक महत्वपूर्ण तरीका है। देखा जाए, तो गणतंत्र दिवस पर राष्ट्राध्यक्षों को आमंत्रित करना, भारत और उस देश के बीच मजबूत और मैत्रीपूर्ण संबंधों का प्रतीक है। यह दोनों देशों के बीच राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक सहयोग को बढ़ावा देने का एक अवसर भी है।
गणतंत्र दिवस के मंच का असर
गणतंत्र दिवस एक ऐसा मंच प्रदान करता है, जहां भारत अपने अंतरराष्ट्रीय भागीदारों के साथ जुड़ सकता है और वैश्विक मुद्दों पर अपनी राय रख सकता है। यह भी ध्यान रखना होगा कि गणतंत्र दिवस भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों, सांस्कृतिक विविधता और प्रगति को प्रदर्शित करने का एक मंच है। एक विदेशी राष्ट्राध्यक्ष की उपस्थिति इस अवसर को और भी अधिक महत्वपूर्ण बनाती है और दुनिया भर में भारत की सकारात्मक छवि को बढ़ावा देती है। यह निमंत्रण सांस्कृतिक आदान-प्रदान को भी बढ़ावा देता है। यह एक ऐसा अवसर होता है, जब आमंत्रित राष्ट्राध्यक्ष भारतीय संस्कृति, परंपराओं और उपलब्धियों को करीब से देख पाते हैं। एक बात और कि कभी-कभी यह एक राजनीतिक संकेत भी हो सकता है। उदाहरण के लिए, किसी विशेष देश को आमंत्रित करना, उस देश के प्रति भारत के समर्थन या प्रशंसा का संकेत हो सकता है।
कुछ ऐसा था पहले गणतंत्र दिवस का आयोजन
भारत का पहला गणतंत्र दिवस समारोह राजधानी के नेशनल स्टेडियम (अब ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम) में आयोजित किया गया था। पहले और 75 साल बाद फिर गणतंत्र दिवस पर इंडोनेशिया के राष्ट्रपति का मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होना भारत और इंडोनेशिया के बीच गहरे संबंधों का एक स्पष्ट प्रमाण है। इंडोनेशिया के राष्ट्राध्यक्ष 2011 और 2018 में भी गणतंत्र दिवस पर भारत आए थे। गणतंत्र दिवस पर वार्षिक अतिथियों के क्रम में पिछले साल फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों मुख्य अतिथि के रूप में आए थे। वह जब कर्तव्य पथ पर पधारे होंगे, तो उन्हें इंडिया गेट को देखकर अच्छा लगा होगा। कारण यह है कि इंडिया गेट और पेरिस में स्थित द आर्क डी ट्रायंफ में गजब की समानता है।
इंडिया गेट बना था प्रथम विश्वयुद्ध में शहीद हुए सैनिकों की याद में। वहां पर शहीदों के नाम भी अंकित हैं। द आर्क डी ट्रायंफ उन शहीदों की याद में बनाया गया था, जो फ्रांस के लिए विभिन्न जंगों में लड़े और अपनी जान दी। लगता है कि एडविन लुटियंस ने इंडिया गेट का डिजाइन बनाते हुए फ्रांस के सबसे बड़े प्रतीक द आर्क डी ट्रायंफ को गहराई से देखा होगा।
नेल्सन मंडेला का गर्मजोशी से हुआ था स्वागत
यों तो गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा से लेकर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन मुख्य अतिथि रहे हैं, पर दक्षिण अफ्रीका के मुक्ति योद्धा नेल्सन मंडेला और महान मुक्केबाज मोहम्मद अली का कर्तव्य पथ पर सबसे गर्मजोशी से उपस्थित अपार जनसमूह ने स्वागत किया था। मंडेला 1995 में गणतंत्र दिवस परेड के मुख्य अतिथि थे। मंडेला जब परेड का आनंद ले रहे थे, तब वहां मौजूद दर्शक मंडेला के नारे लगा रहे थे। गणतंत्र दिवस परेड का लंबे समय तक आंखों देखा हाल सुनाने वाले जसदेव सिंह बताते थे कि उस गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि आयरलैंड के राष्ट्रपति प्रेट्रिक हिलेरी थे। बहरहाल, भारत आगे भी मित्र देशों के नेताओं को गणतंत्र दिवस समारोहों में आमंत्रित करता रहेगा।