सब्सक्राइब करें
Hindi News ›   Columns ›   Opinion ›   Who is the culprit of this tragedy in surat Fire

इस त्रासदी के गुनहगार कौन : ऐसी त्रासदी के लिए इन सभी को जिम्मेदार क्यों नहीं माना जाए?

Raman Singh Raman Singh
Updated Wed, 29 May 2019 04:28 AM IST
विज्ञापन
Who is the culprit of this tragedy in surat Fire
सुरत के कोचिंग सेंटर में आग - फोटो : सोशल मीडिया

चुनाव परिणाम और उसके बाद के राजनीतिक घटनाक्रम में गुजरात की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले सूरत की आगजनी की भयावह घटना चर्चा के केंद्र में नहीं आ सकी। हालांकि इस घटना ने देश को झकझोर दिया। भारत के होनहार 15 से 22 वर्ष की उम्र के 21 बच्चों का आग में झुलसकर या आग से बचने का कोई रास्ता न देखकर कूदकर जान गंवा देना ऐसी त्रासदी है, जो नहीं होनी चाहिए थी। सूरत जैसे शहर के मुख्य इलाके में स्थित कॉम्प्लेक्स में इस तरह की आग लगना और फिर बिल्कुल असहाय की अवस्था अकल्पनीय है। इस कॉम्प्लेक्स में कोचिंग सेंटर, जिम, फैशन डिजाइनिंग इंस्टीट्यूट, नर्सिंग होम समेत कई शॉपिंग सेंटर हैं, लेकिन आग लगने के बाद बचाव का कोई उपाय नहीं था।


loader

चुनाव परिणाम और उसके बाद के राजनीतिक घटनाक्रम में गुजरात की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले सूरत की आगजनी की भयावह घटना चर्चा के केंद्र में नहीं आ सकी। हालांकि इस घटना ने देश को झकझोर दिया। भारत के होनहार 15 से 22 वर्ष की उम्र के 21 बच्चों का आग में झुलसकर या आग से बचने का कोई रास्ता न देखकर कूदकर जान गंवा देना ऐसी त्रासदी है, जो नहीं होनी चाहिए थी। सूरत जैसे शहर के मुख्य इलाके में स्थित कॉम्प्लेक्स में इस तरह की आग लगना और फिर बिल्कुल असहाय की अवस्था अकल्पनीय है। इस कॉम्प्लेक्स में कोचिंग सेंटर, जिम, फैशन डिजाइनिंग इंस्टीट्यूट, नर्सिंग होम समेत कई शॉपिंग सेंटर हैं, लेकिन आग लगने के बाद बचाव का कोई उपाय नहीं था।

कॉम्प्लेक्स में दूसरी और तीसरी मंजिल पर कोचिंग क्लास चलती थी। कहा जा रहा है कि आग ट्रांसफॉर्मर में शॉर्ट सर्किट से शुरू हुई। बच्चों ने जान बचाने के लिए चौथी मंजिल से कूदना शुरू कर दिया। नीचे जमा स्थानीय लोगों ने कूद रहे बच्चों को कैच करना शुरू किया, ताकि बच्चों के सिर पर सीधी चोट न आए। इस तरह लोगों ने 11 बच्चों को बचा लिया और कूदने वाले एक बच्चे को नहीं बचाया जा सका। जो 20 बच्चे नहीं कूद पाए, उनकी झुलसकर जान चली गई। कुछ की दम घुटने से मौत हो गई।

मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने जांच के आदेश दे दिए हैं। लेकिन कुछ बातें तो साफ हैं। एक, इस भवन में अग्निशमन की कोई व्यवस्था नहीं थी। दूसरे, आग लगने या किसी हादसे में बाहर निकलने के लिए कोई वैकल्पिक सीढ़ी भी नहीं थी। तीसरे, बड़े कॉम्प्लेक्सों में ऐसी स्थिति में कूदने वालों को बचाने के लिए जाल की व्यवस्था भी नहीं थी। यानी कुल मिलाकर आपदा की स्थिति में लोगों को भगवान के भरोसे छोड़ दिया गया था। खबरों के मुताबिक सरकारी दस्तावेज में यह कॉम्प्लेक्स तीन मंजिला इमारत है, जबकि इमारत में चार मंजिल हैं। यानी चौथी मंजिल अवैध है, जिसका निर्माण रातोंरात तो नहीं ही हुआ होगा।

जाहिर है, शहर विकास प्राधिकरण, पुलिस, प्रशासन, नगर निगम आदि की संलिप्तता के बगैर ऐसा संभव नहीं है। तो ऐसी त्रासदी के लिए इन सभी को जिम्मेदार क्यों नहीं माना जाए? अगर इस कॉम्प्लेक्स में अग्निशमन की व्यवस्था नहीं थी, आपातकालीन रास्ता नहीं था, तो फिर इसे व्यवहार में लाने के लिए अनापत्ति प्रमाणपत्र कैसे मिल गया? इसलिए इस घटना की जांच का दायरा विस्तृत होना चाहिए। इसमें इस कॉम्प्लेक्स का नक्शा पास करने से लेकर इसके उपयोग की अनुमति देने वाले पूरे समूह तथा अवैध मंजिल न बने इसके लिए जिम्मेदार लोगों को जांच के दायरे में लाना होगा। यह भी सोचने वाली बात है कि जब एक भवन में लगी आग में लोगों को सुरक्षित नहीं निकाला जा सका, तो यदि आग फैलकर कई भवनों को अपनी चपेट में ले लेता, तो क्या होता?

अच्छी बात है कि गुजरात सरकार ने हादसा होते ही पूरे प्रदेश के ऐसे कोचिंग सेंटरों और स्थलों को अगले आदेश तक बंद रखने का आदेश दिया है। और सारे मॉल, वाणिज्यिक कॉम्प्लेक्स, स्कूलों, कॉलेजों सबमें अग्निशमन की व्यवस्था है या नहीं, इसकी ऑडिट आरंभ हो गई है। ऑडिट का कदम सही है, पर यह ईमानदारी से हो तब।

भारत के ज्यादातर शहरों में यही स्थिति है। ज्यादातर इमारतें सुरक्षा मानकों को ताक पर रखकर बनाई गई हैं। ऐसी दुर्घटनाओं को रोकने के लिए सुरक्षा मानकों का कड़ाई से पालन करवाया जाना चाहिए। सुरक्षा के प्रति लापरवाही भारत के भविष्य की जान से खिलवाड़ है। सूरत की त्रासदी से सबक लेकर सभी राज्य सरकारें अपने यहां सुरक्षा मानकों का ऑडिट कराएं। केंद्र सरकार को भी इस दिशा में पहल करनी चाहिए।
विज्ञापन
विज्ञापन
Trending Videos
विज्ञापन
विज्ञापन

Next Article

Election

Followed