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Ashes: किस तरह हुई एशेज की शुरुआत? ऑस्ट्रेलिया-इंग्लैंड के बीच बनी सबसे बड़ी प्रतिद्वंद्विता का प्रतीक; जानें
स्पोर्ट्स डेस्क, अमर उजाला, पर्थ
Published by: शोभित चतुर्वेदी
Updated Tue, 18 Nov 2025 02:16 PM IST
सार
इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच एशेज सीरीज को लेकर दोनों ही देशों में काफी क्रेज रहता है। इन दोनों टीमों के बीच ये मुकाबला वैसा ही जैसा भारत और पाकिस्तान के बीच देखने मिलता है। जिस तरह भारत-पाकिस्तान मैच को लेकर प्रशंसकों में उत्सुकता रहती है, वैसे ही एशेज को लेकर इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के लोगों में क्रेज रहता है।
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एशेज सीरीज
- फोटो : ICC/ECB
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विस्तार
इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच 21 नवंबर से एशेज टेस्ट सीरीज की शुरुआत होने जा रही है। दोनों टीमों ने इसके लिए कमर कस ली है। ऑस्ट्रेलिया के लिए नियमित कप्तान पैट कमिंस पहले टेस्ट मैच का हिस्सा नहीं होंगे क्योंकि वह फिलहाल पूरी तरह फिट नहीं हैं। कमिंस की जगह पहले मैच में स्टीव स्मिथ कमान संभालेंगे, जबकि इंग्लैंड की अगुआई बेन स्टोक्स करेंगे। दोनों टीमों के बीच एशेज सीरीज का पहला टेस्ट पर्थ में खेला जाएगा।
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दोनों देशों में एशेज को लेकर रहता है क्रेज
इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच एशेज सीरीज को लेकर दोनों ही देशों में काफी क्रेज रहता है। इन दोनों टीमों के बीच ये मुकाबला वैसा ही जैसा भारत और पाकिस्तान के बीच देखने मिलता है। जिस तरह भारत-पाकिस्तान मैच को लेकर प्रशंसकों में उत्सुकता रहती है, वैसे ही एशेज को लेकर इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के लोगों में क्रेज रहता है। इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच पांच मैचों की इस सीरीज का काउंटडाउन शुरू हो गया है, लेकिन इससे पहले जानते हैं कि किस तरह एशेज की शुरुआत हुई और कैसे ये दोनों देशों के बीच क्रिकेट की सबसे बड़ी प्रतिद्वंद्विता का प्रतीक बन गया।
इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच एशेज सीरीज को लेकर दोनों ही देशों में काफी क्रेज रहता है। इन दोनों टीमों के बीच ये मुकाबला वैसा ही जैसा भारत और पाकिस्तान के बीच देखने मिलता है। जिस तरह भारत-पाकिस्तान मैच को लेकर प्रशंसकों में उत्सुकता रहती है, वैसे ही एशेज को लेकर इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के लोगों में क्रेज रहता है। इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच पांच मैचों की इस सीरीज का काउंटडाउन शुरू हो गया है, लेकिन इससे पहले जानते हैं कि किस तरह एशेज की शुरुआत हुई और कैसे ये दोनों देशों के बीच क्रिकेट की सबसे बड़ी प्रतिद्वंद्विता का प्रतीक बन गया।
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100 साल से भी ज्यादा पुरानी है प्रतिद्वंद्विता
यह जानकर आश्चर्य होगा कि 1882 में एक समाचार पत्र में प्रकाशित शोक संदेश से एशेज की शुरुआत हुई जो बाद में ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच क्रिकेट की सबसे बड़ी प्रतिद्वंद्विता का प्रतीक बन गई। इन दोनों देशों के बीच एशेज को लेकर चली आ रही यह प्रतिद्वंद्विता 100 साल से भी पुरानी है। एशेज सीरीज अंतरराष्ट्रीय खेलों की सबसे पुरानी और सबसे प्रतिष्ठित प्रतिद्वंद्विताओं में से एक है, जिसमें ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच टेस्ट क्रिकेट प्रतियोगिताएं शामिल हैं।
यह जानकर आश्चर्य होगा कि 1882 में एक समाचार पत्र में प्रकाशित शोक संदेश से एशेज की शुरुआत हुई जो बाद में ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच क्रिकेट की सबसे बड़ी प्रतिद्वंद्विता का प्रतीक बन गई। इन दोनों देशों के बीच एशेज को लेकर चली आ रही यह प्रतिद्वंद्विता 100 साल से भी पुरानी है। एशेज सीरीज अंतरराष्ट्रीय खेलों की सबसे पुरानी और सबसे प्रतिष्ठित प्रतिद्वंद्विताओं में से एक है, जिसमें ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच टेस्ट क्रिकेट प्रतियोगिताएं शामिल हैं।
एशेज के पीछे की दिलचस्प है कहानी
इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच टेस्ट क्रिकेट की शुरुआत 1877 में हुई थी। खेल के नियमों के संरक्षक मैरीलेबोन क्रिकेट क्लब (एमसीसी) के अनुसार, एशेज शब्द का पहली बार इस्तेमाल अगस्त 1882 में द स्पोर्टिंग टाइम्स में छपे एक व्यंग्यात्मक श्रद्धांजलि लेख में हुआ था, जब इंग्लैंड की टीम पहली बार घरेलू धरती पर ऑस्ट्रेलिया से हार गई थी। इस शोक संदेश में कहा गया था कि इंग्लिश क्रिकेट का अंतिम संस्कार किया जाएगा और एशेज यानी राख को ऑस्ट्रेलिया ले जाया जाएगा। इंग्लैंड के कप्तान इवो ब्लाई ने उसी साल बाद में एशेज वापस लाने की शपथ लेकर अपनी टीम के साथ ऑस्ट्रेलिया का दौरा किया था। इंग्लैंड की जीत के बाद एक प्रशंसक ने ब्लाई को एशेज के प्रतीक के रूप में एक छोटा सा टेराकोटा कलश भेंट किया और इस तरह एशेज और कलश का अटूट संबंध हो गया। उसी दिन ब्लाई की मुलाकात अपनी भावी पत्नी से हुई। यह दंपत्ति इस कलश को अपने साथ इंग्लैंड ले गया तथा ब्लाई के निधन तक यह उनके परिवार के पास ही रहा। हालांकि, बाद में इसे एमसीसी को सौंप दिया गया। इस तरह से इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच एशेज सीरीज की शुरुआत हुई।
इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच टेस्ट क्रिकेट की शुरुआत 1877 में हुई थी। खेल के नियमों के संरक्षक मैरीलेबोन क्रिकेट क्लब (एमसीसी) के अनुसार, एशेज शब्द का पहली बार इस्तेमाल अगस्त 1882 में द स्पोर्टिंग टाइम्स में छपे एक व्यंग्यात्मक श्रद्धांजलि लेख में हुआ था, जब इंग्लैंड की टीम पहली बार घरेलू धरती पर ऑस्ट्रेलिया से हार गई थी। इस शोक संदेश में कहा गया था कि इंग्लिश क्रिकेट का अंतिम संस्कार किया जाएगा और एशेज यानी राख को ऑस्ट्रेलिया ले जाया जाएगा। इंग्लैंड के कप्तान इवो ब्लाई ने उसी साल बाद में एशेज वापस लाने की शपथ लेकर अपनी टीम के साथ ऑस्ट्रेलिया का दौरा किया था। इंग्लैंड की जीत के बाद एक प्रशंसक ने ब्लाई को एशेज के प्रतीक के रूप में एक छोटा सा टेराकोटा कलश भेंट किया और इस तरह एशेज और कलश का अटूट संबंध हो गया। उसी दिन ब्लाई की मुलाकात अपनी भावी पत्नी से हुई। यह दंपत्ति इस कलश को अपने साथ इंग्लैंड ले गया तथा ब्लाई के निधन तक यह उनके परिवार के पास ही रहा। हालांकि, बाद में इसे एमसीसी को सौंप दिया गया। इस तरह से इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच एशेज सीरीज की शुरुआत हुई।
फिलहाल ऑस्ट्रेलिया के पास है एशेज की ट्रॉफी
शेन वॉर्न ने 1993 में ओल्ड ट्रैफर्ड में एशेज में की गई अपनी पहली गेंद पर ही माइक गैटिंग को बोल्ड किया था। अत्यधिक टर्न लेने वाली इस गेंद को बाद में बॉल ऑफ द सेंचुरी चुना गया था। एशेज 2017 से ऑस्ट्रेलिया के पास है और इंग्लैंड को उसे वापस पाने के लिए अपनी तरफ से एड़ी चोटी का जोर लगाना होगा। इंग्लैंड ने 2011 से ऑस्ट्रेलिया में कोई टेस्ट मैच नहीं जीता है। उसने आस्ट्रेलिया में आखिरी सीरीज भी 2011 में ही जीती थी।
शेन वॉर्न ने 1993 में ओल्ड ट्रैफर्ड में एशेज में की गई अपनी पहली गेंद पर ही माइक गैटिंग को बोल्ड किया था। अत्यधिक टर्न लेने वाली इस गेंद को बाद में बॉल ऑफ द सेंचुरी चुना गया था। एशेज 2017 से ऑस्ट्रेलिया के पास है और इंग्लैंड को उसे वापस पाने के लिए अपनी तरफ से एड़ी चोटी का जोर लगाना होगा। इंग्लैंड ने 2011 से ऑस्ट्रेलिया में कोई टेस्ट मैच नहीं जीता है। उसने आस्ट्रेलिया में आखिरी सीरीज भी 2011 में ही जीती थी।