IND vs SA: 'गड़बड़ी की हद!' भारत की रणनीति पर फूटा पूर्व क्रिकेटर का गुस्सा, सुंदर को लेकर उठाए गंभीर पर सवाल
दूसरे टेस्ट में एक और फेरबदल हुआ। इस बार सुदर्शन को प्लेइंग-11 में शामिल किया गया और उन्हें नंबर तीन पर भेजा गया। वहीं, पिछले मैच में दो अच्छी पारियां खेलने वाले सुंदर को सीधे नंबर आठ पर गिरा दिया गया। इस फैसले ने आलोचना की आग को और बढ़ा दिया।
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भारतीय टेस्ट टीम की चयन रणनीति और बैटिंग ऑर्डर अब चर्चा से ज्यादा सवालों में घिर चुका है। दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ दो मैचों की टेस्ट सीरीज में जो निर्णय लिए गए हैं, उन्होंने भारतीय क्रिकेट फैन्स से लेकर पूर्व खिलाड़ियों तक सभी को हैरान किया है। सबसे बड़ा विवाद रहा नंबर-तीन की बल्लेबाजी पोजिशन को लेकर। सीरीज से पहले करुण नायर और साई सुदर्शन को इस जगह के विकल्प के रूप में देखा जा रहा था, लेकिन गुवाहाटी टेस्ट में अचानक वॉशिंगटन सुंदर को नंबर तीन पर भेजा गया, वह भी तब जब सुदर्शन टीम में थे, लेकिन प्लेइंग-11 में जगह नहीं दी गई थी।
बार-बार बदलते फैसले और बढ़ते सवाल
दूसरे टेस्ट में एक और फेरबदल हुआ। इस बार सुदर्शन को प्लेइंग-11 में शामिल किया गया और उन्हें नंबर तीन पर भेजा गया। वहीं, पिछले मैच में दो अच्छी पारियां खेलने वाले सुंदर को सीधे नंबर आठ पर गिरा दिया गया। इस फैसले ने आलोचना की आग को और बढ़ा दिया। पूर्व भारतीय तेज गेंदबाज डोडा गणेश ने अपने एक्स पोस्ट में टीम प्रबंधन को निशाना बनाते हुए लिखा, 'सुंदर को नंबर तीन पर दो बेहतरीन पारियां खेलने के बाद अगले ही मैच में नंबर आठ पर भेज दिया गया। इससे ज्यादा कन्फ्यूज्ड भारतीय टेस्ट टीम कभी नहीं देखी।'
Washington Sundar, after playing two quality inns in the last test at no 3, inexplicably gets demoted to no 8, in the very next test. Never seen a more confused Indian test team ever #INDvSA
— Dodda Ganesh | ದೊಡ್ಡ ಗಣೇಶ್ (@doddaganesha) November 24, 2025
भारत की पहली पारी सिर्फ 201 रन पर सिमट गई। जहां टॉप ऑर्डर फ्लॉप रहा, वहीं वॉशिंगटन सुंदर (48) और कुलदीप यादव (134 गेंदों पर 19) ने मिलकर 72 रन की साझेदारी कर भारत की पारी में कुछ सम्मान बचाया। अगर यह साझेदारी नहीं होती, तो स्थिति और भी शर्मनाक हो सकती थी। मार्को यानसेन ने 6/48 के आंकड़ों के साथ भारतीय बल्लेबाजी की कमर तोड़ी, जबकि साइमन हार्मर ने तीन विकेट हासिल किए।
इस प्रदर्शन और चयन के फैसलों ने एक बड़ा सवाल उठा दिया है। क्या भारतीय टीम के पास कोई स्पष्ट टेस्ट योजना है, या सब कुछ प्रयोगों पर चल रहा है? जब एक खिलाड़ी को प्रदर्शन के बावजूद उचित जगह नहीं मिलती और युवा बल्लेबाज बिना तैयारी के बार-बार ऑर्डर में उछाले जाते हैं, तब यह कन्फ्यूजन सिर्फ टीम का नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम पर सवाल बन जाता है।