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अवस्थापना में किया गया निवेश तभी सार्थक जब समाज को तीन गुना लाभ हो : प्रो. कुमार
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केंद्रीय अकादमी राज्य वन सेवा में हरित अवसंरचना और विकास विषय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू
अमर उजाला ब्यूरो
देहरादून। सीबीआरआई निदेशक और मुख्य अतिथि प्रो. आर प्रदीप कुमार ने कहा कि इंफ्रास्ट्रक्चर में किया गया निवेश तभी सार्थक है जब उसका लाभ समाज को तीन गुना तक लौटे। मानव और प्रकृति का सह-अस्तित्व अनिवार्य है पर वर्तमान चुनौतियां इसलिए उत्पन्न हो रही हैं क्योंकि मनुष्यों द्वारा बनाए गए तरीके प्रकृति के अनुरूप नहीं हैं।
यह बात प्रो. कुमार ने केंद्रीय अकादमी राज्य वन सेवा में हरित अवसंरचना और विकास विषय पर शुरू हुए प्रशिक्षण कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में कही। उन्होंने पांच प्रकार की कल्चर में से बिल्डिंग कल्चर का उल्लेख करते हुए स्थानीय सामग्रियों के उपयोग तथा सस्टेनेबल प्रैक्टिसेज अपनाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। संस्थान के प्रधानाचार्य व आईएफएस इ. विक्रम ने कहा कि वन विभाग ऐसा विभाग है जो जीव-जंतुओं एवं पारिस्थितिकी के संरक्षण के लिए कार्य करता है। बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन में वृद्धि से वैश्विक तापवृद्धि (ग्लोबल वार्मिंग) बढ़ती है, इसलिए आवश्यकता है कि पारंपरिक प्रथाओं को आधुनिक तकनीक के साथ अपनाया जाए, जिससे विकास के साथ-साथ हरित विकास (ग्रीन डेवलपमेंट) भी सुनिश्चित हो सके। इससे पूर्व पाठ्यक्रम निदेशक अंकित गुप्ता ने तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का ब्यौरा प्रस्तुत किया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में वन विभाग, एनएचएआई, सीपीडब्लूडी समेत अन्य संस्थान के प्रतिनिधि शामिल हैं।
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देहरादून। सीबीआरआई निदेशक और मुख्य अतिथि प्रो. आर प्रदीप कुमार ने कहा कि इंफ्रास्ट्रक्चर में किया गया निवेश तभी सार्थक है जब उसका लाभ समाज को तीन गुना तक लौटे। मानव और प्रकृति का सह-अस्तित्व अनिवार्य है पर वर्तमान चुनौतियां इसलिए उत्पन्न हो रही हैं क्योंकि मनुष्यों द्वारा बनाए गए तरीके प्रकृति के अनुरूप नहीं हैं।
यह बात प्रो. कुमार ने केंद्रीय अकादमी राज्य वन सेवा में हरित अवसंरचना और विकास विषय पर शुरू हुए प्रशिक्षण कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में कही। उन्होंने पांच प्रकार की कल्चर में से बिल्डिंग कल्चर का उल्लेख करते हुए स्थानीय सामग्रियों के उपयोग तथा सस्टेनेबल प्रैक्टिसेज अपनाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। संस्थान के प्रधानाचार्य व आईएफएस इ. विक्रम ने कहा कि वन विभाग ऐसा विभाग है जो जीव-जंतुओं एवं पारिस्थितिकी के संरक्षण के लिए कार्य करता है। बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन में वृद्धि से वैश्विक तापवृद्धि (ग्लोबल वार्मिंग) बढ़ती है, इसलिए आवश्यकता है कि पारंपरिक प्रथाओं को आधुनिक तकनीक के साथ अपनाया जाए, जिससे विकास के साथ-साथ हरित विकास (ग्रीन डेवलपमेंट) भी सुनिश्चित हो सके। इससे पूर्व पाठ्यक्रम निदेशक अंकित गुप्ता ने तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का ब्यौरा प्रस्तुत किया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में वन विभाग, एनएचएआई, सीपीडब्लूडी समेत अन्य संस्थान के प्रतिनिधि शामिल हैं।
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