कॉर्बेट टाइगर रिजर्व: सुप्रीम कोर्ट का आदेश...अब निगरानी भी होगी, वन महकमे को नुकसान की भरपाई भी करनी होगी
कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में निगरानी भी होगी और वन महकमे को नुकसान की भरपाई भी करनी होगी। सुप्रीम कोर्ट ने तीन माह में सभी अवैध संरचनाएं ध्वस्त करने के निर्देश दिए हैं।
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सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद वन महकमे को इको रेस्टोरेशन समेत अन्य कार्य और तेजी के साथ पूरे करने होंगे। इको रेस्टोरेशन के तहत हरियाली बढ़ाने समेत अन्य कार्य करने होंगे, जिससे निर्माण और पेड़ों के कटान के कारण जैव विविधता को नुकसान हुआ है, उसकी पूरी भरपाई हो सके।
इसके साथ ही पूर्व की तरह वास स्थल तैयार हो सकें। इस काम की निगरानी के लिए भी जिम्मेदारी केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति को सौंपी गई है। बता दें कि बाघों के लिए प्रसिद्ध सीटीआर विवादों में है। यहां के पाखरों रेंज में वर्ष-2019 में बिना अनुमति के निर्माण कार्य शुरू किया गया था। यहां पर पेड़ों की अवैध कटान का मामला भी सामने आया था। इसके बाद कई अधिकारियों पर कार्रवाई हुई थी। मामले की जांच एनटीसीए से लेकर सीबीआई ने की हुई है। ईडी ने भी मामले में कार्रवाई की थी।
कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में तीन माह में सभी अवैध संरचनाएं ध्वस्त करें : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार को निर्माण गतिविधियों और वृक्षों की अवैध कटाई से जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व को हुए पारिस्थितिक नुकसान की मरम्मत और पुनर्स्थापन का निर्देश दिया है। भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस के विनोद चंद्रन और जस्टिस एनवी अंजारिया की पीठ ने मुख्य वन्यजीव वार्डन को तीन महीने के भीतर टाइगर रिजर्व में सभी अवैध संरचनाओं को ध्वस्त करने का आदेश दिया है।
बाघ अभयारण्य में टाइगर सफारी के संबंध में न्यायालय ने व्यापक दिशा-निर्देश जारी
न्यायालय ने केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (सीईसी) को उत्तराखंड की ओर से विकसित पारिस्थितिक पुनर्स्थापन योजना की निगरानी करने के लिए कहा है। न्यायालय ने निर्देश दिया कि उत्तराखंड राज्य को कॉर्बेट टाइगर रिजर्व को हुए पारिस्थितिक नुकसान की मरम्मत और पुनर्स्थापन का निर्देश दिया जाता है। बाघ अभयारण्य में टाइगर सफारी के संबंध में न्यायालय ने व्यापक दिशा-निर्देश जारी किए और कहा कि गतिविधियां राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के 2019 के नियमों के अनुरूप होनी चाहिए। न्यायालय ने बचाव केंद्र स्थापित करने और वाहनों की संख्या को विनियमित करने का आदेश भी दिया।
न्यायालय ने कहा कि बाघ अभयारण्य के अंदर केवल इको-टूरिज्म की अनुमति दी जाए और तीन महीने के भीतर एक बाघ संरक्षण योजना तैयार करने का निर्देश दिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि कर्मचारियों के कार्यों की आउटसोर्सिंग नहीं होनी चाहिए। इसने प्रोत्साहन के रूप में कर्मचारियों को पदक प्रदान करने का भी सुझाव दिया। सीजेआई गवई ने फैसला सुनाते हुए कहा, हमने मानव-पशु संघर्ष से बचने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। हमने राज्यों को हितधारकों को शामिल करने का निर्देश दिया है। हमने क्षेत्र में धार्मिक पर्यटन के संबंध में भी निर्देश जारी किए हैं।
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वृक्षों की अवैध कटाई को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता
मार्च, 2024 में न्यायालय ने कहा था कि जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान के बफर जोन में टाइगर सफारी की अनुमति दी जा सकती है, लेकिन इसके मुख्य क्षेत्र में नहीं। उस फैसले में न्यायालय ने राष्ट्रीय उद्यान को नष्ट करने के लिए उत्तराखंड के पूर्व वन मंत्री हरक सिंह रावत और प्रभागीय वन अधिकारी (डीएफओ) किशन चंद की खिंचाई की थी। न्यायालय ने कहा था कि पार्क में हुई वृक्षों की अवैध कटाई को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इसके अलावा न्यायालय ने उस फैसले में नुकसान की भरपाई और बहाली की लागत का आकलन करने के लिए एक समिति के गठन का आदेश दिया था, जो उत्तराखंड के जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान में प्रस्तावित पाखरो टाइगर सफारी परियोजना की अनुमति से संबंधित एक मामले में आया था।