Haridwar: रेलवे स्टेशन से हटाए गए भिखारी, लावारिस शवों की संख्या में आई कमी, पुलिस-जीआरपी का विशेष अभियान
हरिद्वार स्टेशन परिसर में एक माह में पांच से छह लावारिस शव मिल रहे थे। प्लेटफार्मों पर भी भिखारियों ने डेरा जमाए हुए थे। पुलिस जीआरपी की ओर से इसे लेकर विशेष अभियान चलाया गया।
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रेलवे स्टेशन पर बढ़ती भिखारियों की संख्या को देखते हुए राजकीय रेलवे पुलिस जीआरपी की ओर से चलाए गए विशेष अभियान का सकारात्मक असर दिखने लगा है। अब प्लेटफार्मों पर भिखारियों का जमावड़ा नहीं लग रहा है। इसके साथ ही हर महीने मिलने वाले पांच से छह अज्ञात शवों की संख्या में भी कमी आई है जिससे रेलवे और जीआरपी दोनों को होने वाली परेशानी कम हुई है।
हरिद्वार रेलवे स्टेशन पर प्रतिदिन 44 जोड़ी से अधिक ट्रेनों का संचालन होता है और रोजाना 18 हजार से ज्यादा यात्रियों का आवागमन होता है। यात्री बहुल क्षेत्र होने के कारण यहां गंगा घाटों के साथ-साथ रेलवे स्टेशन पर भी भिखारियों की अच्छी-खासी संख्या रहती थी। स्थिति यह थी कि प्लेटफार्म नंबर एक पर फुटओवर ब्रिज के नीचे, तीन, चार नंबर तथा मेला प्लेटफार्म पर भिखारियों के ठिकाने बने रहते थे जिससे अत्यधिक भीड़ और गंदगी फैली रहती थी।
2024 में जनवरी से दिसंबर तक कुल 55 लावारिस शव थे मिले
जीआरपी के आंकड़ों के अनुसार साल 2024 में जनवरी से दिसंबर तक कुल 55 लावारिस शव मिले थे जिनमें अधिकांश भिखारियों के थे और उनकी पहचान करना पुलिस के लिए एक बड़ी मशक्कत का काम था। जीआरपी कप्तान तृप्ति भट्ट के निर्देश पर अगस्त माह से जीआरपी ने यह अभियान शुरू किया जिसके बाद लावारिस शवों की संख्या में कमी आई।
माहवार आंकड़ों पर गौर करें तो बीते साल सितंबर में सात, अक्तूबर में छह और नवंबर में तीन लावारिस शव मिले थे। जबकि इस साल सितंबर में यह संख्या घटकर दो, अक्तूबर में एक, और नवंबर में भी अभी तक केवल एक शव तक सीमित रही है। स्टेशन परिसर का जायजा लेने पर जिन प्लेटफार्मों और स्थानों पर पहले भिखारी रहते थे वे अब खाली और साफ नजर आ रहे हैं।
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रेलवे स्टेशन परिसर में अनाधिकृत व्यक्तियों की रोकथाम के लिए लगातार निगरानी की जा रही है। प्लेटफार्म और पूरे परिसर में भी पड़े रहने वाले अनाधिकृत लोगों को नहीं रुकने दिया जा रहा है। पहले हर महीने कई शव मिलते थे। अब इसमें भी कमी आई है। - बिपिन चंद्र पाठक, प्रभारी निरीक्षक, जीआरपी थाना हरिद्वार