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Pollution Solution: दिल्ली में बाहरी वाहनों के प्रवेश पर रोक के लिए 24 घंटे पिकेट चेकिंग, सैकड़ों की नो एंट्री

पुरुषोत्तम वर्मा, नई दिल्ली Published by: दुष्यंत शर्मा Updated Sat, 20 Dec 2025 03:21 AM IST
सार

दिल्ली पुलिस ने स्थानीय पुलिस के साथ मिलकर सभी छोटे-बड़े बॉर्डरों पर 24 पिकेट लगाकर चेकिंग शुरू कर दी है।

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24-hour picket checking to prevent the entry of outside vehicles into Delhi.
दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने सभी बॉर्डर पर वाहनों की जांच की व्यवस्था की है। - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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राजधानी में प्रदूषण की मात्रा बहुत अधिक होने के कारण ग्रेप-4 लागू हैं। सर्दियों में प्रदूषण में पीएम 10 में वाहनों का योगदान लगभग 19.7 प्रतिशत और पीएम 2.5 में 25.1 प्रतिशत रहा है। ऐसे में राष्ट्रीय राजधानी में ग्रेप-4 लागू होते ही ट्रैफिक पुलिस ने सख्त कदम उठाने शुरू दिए हैं। दिल्ली पुलिस ने स्थानीय पुलिस के साथ मिलकर सभी छोटे-बड़े बॉर्डरों पर 24 पिकेट लगाकर चेकिंग शुरू कर दी है। मानकों को पूरा नहीं करने वाले या फिर प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को दिल्ली में प्रवेश नहीं करने दिया जा रहा है। उन्हें वापस भेजा जा रहा है।

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दिल्ली पुलिस के विशेष पुलिस आयुक्त (ट्रैफिक डिवीजन ) नीरज ठाकुर ने बताया कि प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को दिल्ली में प्रवेश से पहले रोकने के लिए बॉर्डरों पर 24 घंटे पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं। मानकों को पूरा नहीं करने वाले ट्रकों व वाहनों को दिल्ली में प्रवेश करने से रोकने के अलावा वापस भेजा जा रहा है। दिल्ली ट्रैफिक पुलिस की सहायता के लिए सभी 15 जिलों से जो 400 पुलिसकर्मी मिले हैं उन्हें बॉर्डरों पर तैनात किया गया है।
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दिल्ली ट्रैफिक पुलिस की नई दिल्ली रेंज के पुलिस उपायुक्त राजीव कुमार ने बताया कि उनकी रेंज में कुल 11 बॉर्डर हैं। उन्हें जिला पुलिस के 40 जवान मिले हैं। सभी को ट्रैफिक पुलिसकर्मियों के साथ बॉर्डरों पर वाहनों की चेकिंग में लगाया गया है। यमुना पार कुल 46 बॉर्डर पड़ते हैं। शाहदरा जिले में 7 बॉर्डर हैं। शाहदरा जिले ने 35 पुलिसकर्मी दिल्ली ट्रैफिक पुलिस को दिए हैं। विशेष पुलिस आयुक्त ने बताया कि इसके अलावा ट्रैफिक पुलिस की 37 प्रखर वैन भी तैनात की गई हैं।

सर्दियों में क्यों बढ़ता है प्रदूषण
आईआईटी कानपुर द्वारा किए गए वायु प्रदूषण और ग्रीनहाउस गैसों पर व्यापक अध्ययन के अनुसार सर्दियों में पीएम 10 में वाहनों का योगदान लगभग 19.7 प्रतिशत और पीएम 2.5 में 25.1 प्रतिशत है और गर्मियों में पीएम 10 में लगभग 6.4 प्रतिशत और पीएम 2.5 में 8.5 प्रतिशत है। इसके अलावा, वार्षिक उत्सर्जन के आधार पर, शहर में सीएच 4 उत्सर्जन में वाहनों का योगदान लगभग 18 प्रतिशत, एन2ओ उत्सर्जन में 92 प्रतिशत और सीओ 2 उत्सर्जन में 30 प्रतिशत है। अध्ययन के अनुसार, सर्दियों में पीएम 10 में निर्माण सामग्री का योगदान लगभग 3.1 प्रतिशत और पीएम 2.5 में 1.5 प्रतिशत है।

ग्रेप स्टेज-4 (गंभीर+) में प्रतिबंध

  • दिल्ली में ट्रक यातायात का प्रवेश पूरी तरह बंद है। (आवश्यक वस्तुओं/आवश्यक सेवाएं प्रदान करने वाले ट्रकों को छोड़कर...)।
  • दिल्ली में पंजीकृत डीजल संचालित बीएच-4 और उससे नीचे के भारी माल वाहनों (एचजीवी) के चलने पर सख्त प्रतिबंध लागू है। (दिल्ली में आवश्यक वस्तुओं/आवश्यक सेवाओं को ले जाने वाले वाहनों को छोड़कर)
  • पीयूसीसी के बिना वाहनों को पेट्रोल नहीं मिलेगा। एएनपीआर या अन्यथा के माध्यम से पहचाने गए सभी वाहन, जो पेट्रोल पंपों से पेट्रोल लेते समय वैध प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र के बिना पाए जाते हैं, उनका चालान किया जाएगा।

दिल्ली के बाहर पंजीकृत वाहनों पर प्रवेश प्रतिबंध
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के बाहर पंजीकृत सभी मोटर वाहनों और बीएस-6 उत्सर्जन मानकों से नीचे के वाहनों को ग्रेप स्टेज-4 (गंभीर) के संचालन के दौरान दिल्ली में चलने की अनुमति नहीं दी जाएगी, सिवाय सीएनजी या इलेक्ट्रिक पावर पर चलने वाले वाहन, सार्वजनिक परिवहन, आवश्यक वस्तुओं को ले जाने वाले या आवश्यक सेवाएं प्रदान करने वाले वाहनों के।

निर्माण सामग्री ले जाने वाले वाहनों पर प्रतिबंध
ग्रेप स्टेज 4 (गंभीर+) के दौरान, निर्माण सामग्री ले जाने वाले किसी भी वाहन, जिसमें रेत, समुच्चय, पत्थर, ईंटें, सीमेंट, रेडी-मिक्स कंक्रीट, मलबा या इसी तरह की सामग्री शामिल है, लेकिन इन्हीं तक सीमित नहीं है, को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। ग्रेप 4 के दौरान के दौरान निर्माण सामग्री ले जाने वाला कोई भी वाहन प्रचलित नियमों के अनुसार भारी जुर्माना/जब्त किया जाएगा।

11,776  वाहनों के चालान 24 घंटे में 
नई दिल्ली। दिल्ली में वायु प्रदूषण पर सरकार की सख्ती बढ़ गई है। प्रशासन ने 24 घंटों में प्रदूषण फैलाने और नियमों का उल्लंघन करने वाले 11,776 वाहनों के चालान काटे। शहर में सामूहिक अभियान चला। इसमें वाहनों की जांच, धूल नियंत्रण, कचरा प्रबंधन और नियमों का सख्ती से पालन कराने की निगरानी हो रही है। पर्यावरण मंत्री मंजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि इसके कारण इस साल अभी वायु गुणवत्ता सूचकांक पिछले साल की तुलना में बेहतर है। उन्होंने बताया कि शहर में 24 घंटे में 12,164.88 मीट्रिक टन कचरा उठा। 2,068.81 किलोमीटर सड़कों की मशीनों से सफाई हुई। धूल को दबाने के लिए 1,830 किलोमीटर सड़कों पर पानी का छिड़काव हुआ, जबकि 5,528 किलोमीटर क्षेत्र में एंटी-स्मॉग गन का उपयोग हुअा। निर्माण स्थलों पर धूल उड़ने से रोकने के लिए 160 एंटी-स्मॉग गन तैनात हैं।

30,000 मीट्रिक टन कचरे का किया निपटान
मंत्री ने कहा कि पिछले 24 घंटों में औसतन 30,000 मीट्रिक टन से अधिक पुराने कचरे का वैज्ञानिक तरीके से निपटान हुआ। वहीं, जनता से जुड़ी शिकायतों पर तेज कार्रवाई की गई। 311, ग्रीन दिल्ली ऐप, समीर और सोशल मीडिया से मिली 57 शिकायतों का समाधान किया गया। बिना तय मार्गों पर चल रहे 542 ट्रकों को रोका गया और शहर से बाहर लौटा िदया गया है। 

 धीरे-धीरे जहरीली हो रही हवा रविवार से फिर घुटेगा दम
राजधानी में स्थानीय कारकों के कारण अधिक प्रदूषण बढ़ रहा है। हवा की गति धीमी होने के कारण लगातार चौथे दिन भी हवा बेहद खराब श्रेणी में बरकरार है। सुबह की शुरुआत धुंध और कोहरे की मोटी परत से हुई। वहीं, पूरे दिन स्मॉग की घनी चादर भी दिखाई दी। इससे लोगों को आंखों में जलन व सांस के मरीजों को परेशानी हुई। ऐसे में शुक्रवार को वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 374 दर्ज किया गया। यह हवा की बेहद खराब श्रेणी है। इसमें बृहस्पतिवार की तुलना में एक सूचकांक की बढ़ोतरी दर्ज की गई। दूसरी ओर, दिल्ली एनसीआर में नोएडा की हवा सबसे अधिक प्रदूषित रही। यहां एक्यूआई 410 दर्ज किया गया, यह हवा की गंभीर श्रेणी है। वहीं, ग्रेटर नोएडा में 322, गाजियाबाद में 358 और गुरुग्राम में 322 एक्यूआई दर्ज किया गया। 
 

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