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Delhi: पांच साल में मिलीं प्रदूषण की करीब 1 लाख शिकायतें, अधिकांश का किया गया निपटारा

अमर उजाला नेटवर्क, दिल्ली Published by: दुष्यंत शर्मा Updated Sat, 20 Dec 2025 03:33 AM IST
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Delhi: Nearly 100,000 pollution complaints in five years.
Delhi Pollution - फोटो : अमर उजाला
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दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) की ओर से संकलित ग्रीन दिल्ली एप के आंकड़ों में बड़ा खुलासा हुआ है। इसके तहत अक्तूबर 2020 से 18 दिसंबर 2025 तक प्रदूषण संबंधी कुल 99,435 शिकायतें दर्ज की गईं। इनमें से 86,984 शिकायतों का समाधान हो चुका है, जबकि 12,451 अभी विभिन्न विभागों में लंबित हैं। 

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कुल मिलाकर 87.48 प्रतिशत शिकायतों का निपटारा किया गया है। सबसे अधिक शिकायतें दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) को 63,965 मिलीं। इनमें से 54,226 का समाधान हुआ, जो 84.77 प्रतिशत है, लेकिन 9,739 लंबित हैं। 
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इसमें 9,600 से अधिक पुरानी शिकायतें शामिल हैं। निर्माण स्थलों पर धूल, कचरा जलाना और खुले में डंपिंग जैसी समस्याएं प्रमुख हैं। लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) को 14,937 शिकायतें मिलीं, जिनमें से 13,824 का निपटारा हुआ। 92 प्रतिशत से अधिक की समाधान दर रहा। दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने 5,197 में से 4,804 शिकायतें सुलझाईं। 

दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) ने 3,351 शिकायतों में से 97.73 प्रतिशत का समाधान किया, जबकि नई दिल्ली नगर परिषद (एनडीएमसी) की समाधान दर 98.83 प्रतिशत रही। दिल्ली पुलिस कंट्रोल रूम (112) ने भी 1,437 में से 1,398 शिकायतें निपटाईं।

परिवहन विभाग, दिल्ली अग्निशमन सेवा और दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) ने अपनी सभी शिकायतों का 100 प्रतिशत निपटारा किया। हालांकि, कुछ एजेंसियों का रिकॉर्ड कमजोर रहा। मिलिट्री इंजीनियर सर्विसेज (एमईएस) ने 31 शिकायतों में से सिर्फ 3 का समाधान किया, यानी 90 प्रतिशत से अधिक लंबित। नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) की समाधान दर भी कम रही।

ग्रीन दिल्ली एप के माध्यम से लोग धूल, कचरा जलाना, वाहन प्रदूषण और औद्योगिक उत्सर्जन जैसी शिकायतें दर्ज कराते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि सर्दियों में प्रदूषण बढ़ने की शिकायतें अधिक होती हैं, लेकिन लंबित मामलों में कार्रवाई की गति पर सवाल उठते हैं। 

डीपीसीसी के अनुसार, 30 विभागों में बंटी इन शिकायतों से दिल्ली की हवा को साफ रखने की चुनौती सामने आती है। आंकड़े बताते हैं कि नागरिक जागरूकता बढ़ी है, लेकिन विभागीय समन्वय और तेज कार्रवाई की जरूरत है।

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