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Red Fort Blast: बिना मान्यता आठ वर्ष से चल रहा था अल फलाह विश्वविद्यालय, जांच तेज होते ही खुलने लगे फर्जीवाड़े

अमर उजाला नेटवर्क, दिल्ली Published by: दुष्यंत शर्मा Updated Wed, 19 Nov 2025 03:52 AM IST
सार

विवि की ओर से ली गई एक्रिडेशन वर्ष 2018 में खत्म हो गई थी। इसके बाद विवि की ओर से कोई मान्यता नहीं ली गई थी।

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Al Falah University was running without recognition for eight years.
अल फलाह यूनिवर्सिटी - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा की ओर से अल फलाह विश्वविद्यालय को लेकर दर्ज की गईं दो एफआईआर की जांच तेज कर रही है। जांच तेज होते ही विवि का फर्जीवाड़ा सामने आने लगा है। विवि की ओर से ली गई एक्रिडेशन वर्ष 2018 में खत्म हो गई थी। इसके बाद विवि की ओर से कोई मान्यता नहीं ली गई थी। वर्ष 2018 से लेकर अब तक विवि बिना किसी मान्यता के ही चल रहा है। 

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अपराध शाखा ने इस मामले में समन देकर विवि से इस संंबंध में कागजात मांगे थे। विवि की ओर एक कर्मचारी को भेजकर सोमवार को कागजात शाखा की चाणक्यपुरी स्थित इंटरस्टेट सेल में जमा करा दिए थे। कुछ कागजात और जमा कराने थे। विवि ने ये कागजात एक अधिकारी को भेजकर मंगलवार को जमा कर दिए। अधिकारियों ने बताया कि कागजातों की जांच की जा रही है और इसमें यूजीसी की सहायता ली जा रही है। पुलिस अधिकारियों के अनुसार विवि स्कॉलरशिप मिलने का भी दावा झूठा है। 
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विवि ने ऐसी कोई मान्यता नहीं ले रखी थी। रिसर्च को लेकर मिलने वाली स्टाइफन का मामला भी फर्जी है। शाखा की टीमों ने इस मामले में ट्रस्ट के कार्यालय का भी दौरा किया। अपराध शाखा के एक अधिकारी ने बताया कि विवि ने यूजीसी के 12 बी एक्ट के तहत किसी तरह  की अनुमति नहीं ले रखी थी। इस कारण अपराध शाखा ने विवि के खिलाफ जालसाजी व धोखाधड़ी की दो अलग प्राथमिकी दर्ज की हैं।

विवि के चेयरमैन की भूमिका संदिग्ध... 
अल फलाह विवि के चेयरमैन जावेद अहमद सिद्दिकी की घर के चारों तरफ सुरक्षा बढ़ा दी गई है। हालांकि कोई अधिकारिक बयान नहीं है। पुलिस अधिकारियों के अनुसार अभी उनकी भूमिका की जांच की जा रही है। हालांकि पुलिस सूत्रों का कहना है कि सफेद पोश आतंकी मोड्यूल में उनकी कोई भूमिका फिलहाल सामने नहीं आई है। हालांकि जिस तरह उनकी यूनिवर्सिटी के दो डॉक्टरों का आतंक कनेक्शन सामने आया है, ऐसे में उनकी भूमिका संदिग्ध मानी जा रही है।

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