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Aravalli: भूजल का रिचार्ज इंजन...पेयजल संकट से जूझ रहे दिल्ली-एनसीआर, हरियाणा और राजस्थान के लिए संजीवनी

अमर उजाला नेटवर्क, दिल्ली Published by: दुष्यंत शर्मा Updated Fri, 26 Dec 2025 06:22 AM IST
सार

दिल्ली-एनसीआर, हरियाणा और राजस्थान के लिए अरावली पर्वत श्रृंखला केवल प्राकृतिक सुंदरता ही नहीं, बल्कि जीवनरक्षक संसाधनों का भी खजाना है।

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Aravalli: The groundwater recharge engine...a lifeline for Delhi-NCR
अरावली बचाने के लिए प्रदर्शन करते लोग
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विस्तार
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देश की सबसे प्राचीन पर्वत शृंखला अरावली भूजल संरक्षण के साथ ही जैव विविधता को भी सहारा देती है। इसकी चट्टानों में मौजूद प्राकृतिक दरारें बारिश के पानी को जमीन के भीतर संग्रहीत करने में मदद करती हैं, जिससे प्रति हेक्टेयर करीब 20 लाख लीटर पानी सुरक्षित हो सकता है। यही वजह है कि पानी की कमी से जूझ रहे दिल्ली-एनसीआर, हरियाणा और राजस्थान के लिए अरावली बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है। दिल्ली-एनसीआर, हरियाणा और राजस्थान के लिए अरावली पर्वत श्रृंखला केवल प्राकृतिक सुंदरता ही नहीं, बल्कि जीवनरक्षक संसाधनों का भी खजाना है।

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खनन से बिगड़ेगा बादलों का संतुलन
यह पर्वतमाला भूजल बैंक को समृद्ध बनाकर रखती है। इसलिए दिल्ली के खंडावप्रस्त, हरियाणा के काला पहाड़, गुड़गांव फरीदाबाद, नूंह को भू-जल संरक्षित क्षेत्र घोषित करने की बात चली थी। हरियाणा में जहां पहाड़ियां हैं, वहां मीठा पेयजल उपलब्ध है। शेष क्षेत्रों में खारा पानी है। पर्यावरणविद कहते हैं कि यदि पहाडि़यां नहीं रहीं तो बादलों का संतुलन बिगड़ जाएगा। बेमौसम वर्षा चक्र या सूखे से खेती का उत्पादन घटेगा, खाद्य व पेयजल सुरक्षा पर संकट बढ़ेगा। 
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क्रशर और खनन माफिया सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को अपने तरीके से परिभाषित कर गलत फायदा उठाएंगे। उच्चतम न्यायालय को अपने पहले 100 फीसदी अरावली को सुरक्षित रखने वाले फैसले को लागू करना चाहिए। अरावली नहीं, तो दिल्ली-एनसीआर नहीं...।
-संजय सिंह, पर्यावरणविद् 

जैव विविधता के लिहाज से भी यह पर्वतमाला हॉटस्पॉट 

केंद्रीय अरावली में 31 प्रकार के बड़े-छोटे स्तनधारी जानवर पाए जाते हैं। इसमें तेंदुआ, स्लॉथ बियर, नीलबाई, जैकल और मोंगूस शामिल है। दिल्ली और हरियाणा के अरावली में 15 प्रकार के स्तनधारी हैं। 300 से ज्यादा पक्षी प्रजातियां और कई सरीसृप हैं। कोलियोप्टेरा (बीटल) की 47 प्रजातियां भी यहां मौजूद हैं। पहाड़ियां कटती रहीं तो ये, जानवर विलुप्त हो सकते हैं या शहरों-गांवों की तरफ आएंगे। अरावली के जंगलों में सूखे पर्णपाती वन हैं यानी पतझड़ी जंगल हैं। जैसे-धोक, बबूल, नीम। यहां 200 से ज्यादा प्रजातियां हैं, जिनमें पोएसी (34 प्रजातियां), फैबेसी (28) और एस्टरासी (23) प्रमुख हैं। अरावली बायो-डायवर्सिटी पार्क में 240 से ज्यादा औषधीय पौधे हैं, जैसे ब्राह्मी, गुग्गुल और हडजोड़। ये पौधे मिट्टी को बांधते हैं।

  • अरावली के आसपास करीब 5 करोड़ लोग रहते हैं। यह आबादी राजस्थान, हरियाणा, गुजरात और दिल्ली में फैली हुई है। इन इलाकों में ग्रामीण और शहरी दोनों आबादी अरावली पर निर्भर है। अरावली जिले (गुजरात) में 2011 की जनगणना के अनुसार 10 लाख से ज्यादा लोग रहते हैं, जिनमें से 12 फीसदी शहरी हैं। 

अरावली ढाल बनकर खड़ी है तभी तो राजस्थान के रेगिस्तान से अच्छी वर्षा अरावली क्षेत्र में होती है। इस पर्वतमाला में सीधी दरार हैं, जिनसे वर्षा जल भूजल भंडारों में जमा होता रहता है। इसी से चारों राज्यों में जहां अरावली पर्वतमाला है, वहां मीठा जल, सुरक्षित पेयजल आज भी उपलब्ध होता रहता है।
-राजेंद्र सिंह, जलपुरुष




 

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