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झूठे सपने नहीं, हकीकत जमीन पर उतारने वाला है कांग्रेस का घोषणा पत्र: किरण वालिया

अमित शर्मा, नई दिल्ली Published by: प्राची प्रियम Updated Sun, 02 Feb 2020 05:53 PM IST
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Delhi Assembly Elections Congress leader Kiran Walia interview after manifesto release
किरण वालिया - फोटो : अमर उजाला
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दिल्ली कांग्रेस ने आज अपना घोषणा पत्र जारी किया। पार्टी ने बेरोजगार युवाओं को शानदार पेंशन घोषित करने के साथ ही महिलाओं को आरक्षण और बुजुर्गों को पेंशन देने का वादा किया। इस घोषणा पत्र के पीछे शीला दीक्षित सरकार में अहम भूमिका निभाने वाली किरण वालिया ने महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाई है। वे मैनिफेस्टो कमेटी की कन्वेनर रही हैं। हमारे विशेष संवाददाता अमित शर्मा ने किरण वालिया से मिलकर घोषणा पत्र के अहम बिंदुओं पर कांग्रेस की राय समझने की कोशिश की। पेश है बातचीत के प्रमुख अंश- 

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प्रश्न-  किरण जी, कांग्रेस ने आज अपना घोषणा पत्र जारी कर दिया। आपके हिसाब से इस घोषणा पत्र की सबसे खास बात क्या है?

उत्तर- घोषणापत्र बनाते समय हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौती आज के हालात में युवाओं को ताकत देने की थी। हमारे शीर्ष नेता राहुल गांधी युवाओं की समस्या से बहुत चिंतित थे। यही कारण है कि हमने स्नातक के बेरोजगार युवाओं को ₹5000 और पोस्ट ग्रेजुएट बेरोजगार युवाओं के लिए ₹7500 प्रति माह बेरोजगारी भत्ता देने की सोचा। आज हमारे देश का बेरोजगार युवा यह समझ नहीं पा रहा है कि उसे किस दिशा में जाना चाहिए।  मुझे लगता है कि अगर बेरोजगार युवाओं को हम बेरोजगारी भत्ता देंगे तो उनके अंदर कुछ समय के लिए आत्मनिर्भरता आएगी और वे एक रचनात्मक तरीके से अपने लिए सही करियर का चुनाव आसानी से कर पाएंगे।  यही कारण है कि हमने अपने घोषणा पत्र में सबसे ज्यादा ध्यान युवाओं पर ही फोकस किया।
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प्रश्न-  आपने सरकारी नौकरियों में महिलाओं के लिए एक तिहाई आरक्षण देने की घोषणा की है। इसे किस प्रकार से देखा जाना चाहिए?

उत्तर- इसे आप शीला दीक्षित की लाडली योजना का विस्तार कह सकते हैं। हमारी पार्टी संसद में भी महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण देने के लिए वचनबद्ध है। हम चाहते हैं कि समाज में महिलाओं की भूमिका ताकतवर बने, वह ज्यादा सशक्त बने और ज्यादा निर्णयकारी भूमिका निभा सके। इसके लिए हमें समाज के महत्वपूर्ण पदों पर उनकी भागीदारी को बढ़ाना होगा। लाडली योजना चलाकर शीला दीक्षित ने बेटियों को ताकत देने की कोशिश  की था, लेकिन आम आदमी पार्टी सरकार ने इस योजना को रोककर महिलाओं को आगे बढ़ने से रोकने की साजिश की है। हम चाहते हैं कि महिलाएं आगे आएं। यही कारण है कि हमने महिलाओं को सरकारी नौकरियों में एक तिहाई पदों का आरक्षण देने पर विचार किया।

प्रश्न- मेनिफेस्टो बनाते समय आपने किन बातों का ध्यान रखा?

उत्तर- मेनिफेस्टो बनाते समय हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौती विश्वसनीयता की थी। हम ऐसा मैनिफेस्टो पेश करना चाहते थे जिसे प्राप्त करना संभव हो। हम कोई ऐसा वादा नहीं करना चाहते थे जिसे पूरा नहीं किया जा सके। आप घोषणा पत्र में जिन वादों को देख रहे हैं, हमारी एक पूरी टीम ने रिसर्च करके पाया है कि दिल्ली सरकार के बजट में जितना पैसा आता है उससे इनको प्राप्त किया जा सकता है। इसलिए हमने जनता को झूठे सब्जबाग नहीं दिखाए, बल्कि पैसों के सही उपयोग के जरिए जो प्राप्त किया जा सकता है, केवल उन्हीं मुद्दों की बात की है।  हमें अपनी विश्वसनीयता सबसे ज्यादा प्यारी है। हम कोई झूठा वादा नहीं करना चाहते थे। 

प्रश्न- शीला दीक्षित के नेतृत्व में कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव बहुत मजबूती के साथ लड़ा। आपने अच्छा प्रदर्शन भी किया। विधानसभा चुनाव में इसे आगे बढ़ाए जाने की जरूरत जरूरत थी, लेकिन ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस उतनी कोशिश नहीं कर रही है। आपके शीर्ष नेता चुनाव से दूर हैं। आपका क्या कहना है?

उत्तर- नहीं, ऐसा बिल्कुल नहीं है। हम अपनी पूरी ताकत के साथ चुनाव लड़ रहे हैं और हम चुनाव जीतकर रहेंगे। हमारे बहुत से उम्मीदवार बड़ी मजबूती से लड़ाई लड़ रहे हैं और वे जीत भी हासिल करेंगे। बड़े नेता भी कल से चुनाव प्रचार में उतर रहे हैं। 

प्रश्न- विधानसभा चुनाव में आप के कई बड़े नेता चुनावी मैदान में नहीं उतरे। किरण वालिया, सुभाष चोपड़ा, जेपी अग्रवाल, संदीप दीक्षित और अजय माकन जैसे कई बड़े नेता हैं जो अगर चुनावी मैदान में उतरते तो कई सीटों पर कांग्रेस के लिए स्थिति बदल सकती थी। क्या आपको ऐसा नहीं लगता कि इन चेहरों को चुनाव में न उतारने पर पार्टी को नुकसान हो सकता है? 

उत्तर- मुझे नहीं लगता कि यह कोई मुद्दा है। पार्टी के कई बड़े चेहरे चुनाव मैदान में हैं। अपने इन्हीं प्रत्याशियों के दम पर हम अच्छी चुनौती पेश कर रहे हैं। सबकी अपनी कुछ निजी व्यस्तताएं हो सकती हैं जिसकी वजह से ये नेता चुनाव में नहीं उतरे, लेकिन इसको किसी दूसरे संदर्भ में नहीं देखा जाना चाहिए।

प्रश्न- मौजूदा चुनाव में  शाहीन बाग का मुद्दा खूब उछाला जा रहा है। आपको क्या लगता है यह चुनाव को कितना प्रभावित कर पायेगा?

उत्तर- अगर किसी व्यक्ति को 70 साल एक जगह रहने के बाद कहा जाएगा कि वह यहां का रहने वाला नहीं है तो इसके खिलाफ उग्र प्रतिक्रिया होनी स्वाभाविक है। लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि समाज को बांटने का काम कोई और नहीं, बल्कि सरकार खुद कर रही है। ऐसे में कुछ लोगों की नाराजगी सामने आना बेहद स्वाभाविक है और मुझे लगता है कि जनता अपनी बात वोटों के जरिए जरूर रखेगी। लेकिन यह बहुत दुर्भाग्य की बात है कि आम आदमी पार्टी सरकार के मुखिया अरविंद केजरीवाल आज तक शाहिनबाग नहीं पहुंच सके। वे दिल्ली सरकार के प्रमुख हैं और पूरी दिल्ली में कहीं भी कुछ भी गलत हो तो वहां उनका पहुंचना बेहद आवश्यक है, लेकिन वे आजतक तक वहां पर नहीं पहुंच सके जो यह दिखाता है कि उनकी सोच में कुछ गलत है। उन्हें स्पष्ट करना चाहिए कि वे आज वहां क्यों नहीं हैं। 

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