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दिल्ली धमाके में नया खुलासा: विस्फोटक का 'शिपमेंट' और 'पैकेज' कोडवर्ड नाम...विदेशी हैंडलर्स से ऐसे करते थे बात

अमर उजाला नेटवर्क, दिल्ली Published by: शाहरुख खान Updated Thu, 13 Nov 2025 04:01 PM IST
सार

दिल्ली धमाके में नया खुलासा हुआ है। विस्फोटक को कोडवर्ड में शिपमेंट और पैकेज कहा जाता था। आरोपी विदेशी हैंडलर्स से एन्क्रिप्टेड रूट माध्यम से बात करते थे। इन्हें आदेश मिलते थे।

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Delhi Blast News Update Explosive ‘Shipment’ and ‘Package’ Were Codewords Know Details in Hindi
Delhi Blast - फोटो : अमर उजाला
दिल्ली में लाल किले के पास हुए सोमवार शाम को हुए धमाके के मामले में जांच एजेंसियों को एक महत्वपूर्ण सुराग हाथ लगा है। सूत्रों के अनुसार, आतंकी संगठन अपने विदेशी हैंडलर्स से एन्क्रिप्टेड रूट के माध्यम से संवाद करते थे और इसी माध्यम से उन्हें आदेश भी मिलते थे। इस मामले में एक चौंकाने वाला खुलासा यह हुआ है कि अमोनियम नाइट्रेट, ऑक्साइड और फ्यूल ऑयल जैसे पदार्थों से तैयार किए जाने वाले विस्फोटक को आतंकी "शिपमेंट" और "पैकेज" जैसे कोडवर्ड से संबोधित करते थे।
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डॉ. मुजम्मिल की फाइल फोटो - फोटो : अमर उजाला
एन्क्रिप्टेड संचार और कोडवर्ड का प्रयोग
जांच एजेंसियों ने आतंकियों के फोन से इन कोडवर्ड्स को बरामद किया है, जिससे उनके संचार के तरीके का पर्दाफाश हुआ है। यह पता चला है कि आतंकी डॉक्टर, जो इस विस्फोटक सामग्री को तैयार करने का काम करता था, इन विस्फोटक को "शिपमेंट" और "पैकेज" के नाम से पुकारता था। इस प्रकार के कोडवर्ड का इस्तेमाल यह दर्शाता है कि आतंकी संगठन अपनी गतिविधियों को छिपाने और सुरक्षा एजेंसियों को चकमा देने के लिए किस हद तक सुनियोजित तरीके से काम कर रहे थे। एन्क्रिप्टेड संचार माध्यमों का उपयोग उन्हें अपनी योजनाएं बनाने और उन्हें क्रियान्वित करने में मदद करता था, जिससे उनकी पहचान और गतिविधियों का पता लगाना एजेंसियों के लिए और भी कठिन हो जाता था।

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संदिग्ध डॉ. मोहम्मद उमर - फोटो : पीटीआई
विस्फोटक की तैयारी और कोडवर्ड का महत्व
विस्फोटक बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाले अमोनियम नाइट्रेट, ऑक्साइड और फ्यूल ऑयल जैसे रसायन आम तौर पर औद्योगिक या कृषि कार्यों में उपयोग किए जाते हैं। हालांकि, जब इनका इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों के लिए किया जाता है, तो यह अत्यंत खतरनाक हो जाता है। इन पदार्थों को मिलाकर एक शक्तिशाली विस्फोटक तैयार किया जाता है। इस विस्फोटक को "शिपमेंट" और "पैकेज" जैसे कोडवर्ड में संबोधित करने का उद्देश्य यह था कि यदि उनके संचार को इंटरसेप्ट भी किया जाए, तो भी सामान्य शब्दों से उनका अर्थ स्पष्ट न हो सके। यह उनकी गोपनीयता बनाए रखने की एक चाल थी।
 
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दिल्ली में हुए धमाके में जले वाहन - फोटो : पीटीआई
लालकिला की कई बार रेकी
आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के फरीदबाद मॉड्यूल के संदिग्ध आतंकी यानी 'सफेदपोश आतंकी' मॉड्यूल के संबंध में गिरफ्तार किए गए डॉ. मुजम्मिल गनई लालकिला क्षेत्र की पहले भी रेकी कर चुका है। उसके मोबाइल फोन के डेटा के विश्लेषण से पता चला है कि उसने इस साल जनवरी में लाल किला क्षेत्र की कई बार टोह ली थी। दूसरी तरफ दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल फरीदाबाद की अल फलाह यूनिवर्सिटी को लोगों से लगातार पूछताछ कर रही है। दिल्ली पुलिस अभी तक 10 से ज्याादा लोगों से पूछताछ कर चुकी है।
 
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दिल्ली में हुए धमाके में जले वाहन - फोटो : पीटीआई
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि उन्हें संदेह है कि ये रेकी 26 जनवरी को ऐतिहासिक स्मारक को निशाना बनाने की एक बड़ी साजिश का हिस्सा थी, जो उस समय क्षेत्र में गहन गश्त के कारण विफल हो गई होगी। सूत्रों के मुताबिक जांच के दौरान खुलासा हुआ कि दो प्रमुख संदिग्ध, धमाके वाली आई-20 कार चला रहे डॉ. उमर और मुजम्मिल तुर्किये गए थे।
 
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