Delhi HC: टेरर फंडिंग के आरोपी कश्मीरी व्यवसायी वटाली को जमानत देने से किया इनकार, आदेश को दी थी चुनौती
वटाली ने ट्रायल कोर्ट के 15 मई 2021 के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उसे कोर्ट ने पिछले साल कोविड-19 के आधार पर टेरर फंडिंग मामले में जमानत देने से इनकार किया गया था। उच्च न्यायालय ने भी जमानत याचिका खारिज कर दी है।
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दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को टेरर फंडिंग के आरोपी कश्मीरी व्यवसायी जहूर अहमद शाह वटाली को जमानत देने से इनकार कर दिया। याची ने ट्रायल कोर्ट के 15 मई 2021 के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उसे पिछले साल कोविड-19 के आधार पर टेरर फंडिंग मामले में जमानत देने से इनकार किया गया था।
ट्रायल कोर्ट ने उनकी मधुमेह, हाइपर थायरायडिज्म, बवासीर आदि सहित विभिन्न बीमारियों से पीड़ित होने के ध्यानार्थ 31 जनवरी 2022 को वटाली को इलाज के लिए उसके गुरुग्राम स्थित आवास में नजरबंद रखने का निर्देश दिया था। न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता और न्यायमूर्ति अनीश दयाल की खंडपीठ ने जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि स्थिति रिपोर्ट के अनुसार, वटाली का नियमित रूप से इलाज किया जा रहा है। उसे निर्धारित दवाएं भी मिल रही हैं और उसकी हालत स्थिर और संतोषजनक है।
आज की तारीख में यह नहीं कहा जा सकता है कि कोविड-19 की स्थिति अभी भी ठीक नहीं है और सामान्य स्थिति में लौटने वाला जीवन उन कैदियों पर भी लागू होगा, जो हिरासत में हैं। पीठ ने निर्देश दिया कि अगले आदेश तक वटाली को उसके गुरुग्राम स्थित आवास में नजरबंद रखा जाए। पीठ ने यह भी कहा कि अगर उसे अस्पताल में भर्ती कराया जाता है तो नजरबंदी का स्थान उसके आवास से अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया जाएगा। नजरबंदी की अवधि के दौरान वटाली परिवार के करीबी सदस्यों और वकील के अलावा किसी से नहीं मिल सकता। पीठ ने हालांकि मौखिक रूप से वटाली के वकील से कहा कि वह नियमित जमानत के लिए निचली अदालत में जा सकते हैं या कानून के अनुसार आदेश को चुनौती दे सकते हैं।
हुर्रियत नेताओं को धन स्थानांतरित करने का है आरोप
वटाली पर लश्कर-ए-तैयबा के प्रमुख हाफिज सईद, नई दिल्ली में पाकिस्तान उच्चायोग, पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस सहित अन्य से प्राप्त धन को हुर्रियत नेताओं को स्थानांतरित करने का आरोप लगाया गया है। उसके खिलाफ आरोप यह है कि उसने आतंकवादी हाफिज मुहम्मद सईद, आईएसआई, पाकिस्तान उच्चायोग, नई दिल्ली और दुबई के एक स्रोत से प्राप्त धन को हुर्रियत नेताओं, अलगाववादियों और आतंकवादियों को हस्तांतरण के लिए एक माध्यम के रूप में काम किया और उनकी मदद की। इस धन से सुरक्षा बलों और सरकारी प्रतिष्ठानों पर बार-बार हमले करके और स्कूलों आदि को जलाने सहित सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाकर भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ा गया। इस मामले में वटाली पर भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी, 121 और 121ए और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 की धारा 13,16,17,18,20,38,39 और 40 के तहत आरोप लगाए गए हैं।