Air Pollution: दिल्ली में हवा को सबसे ज्यादा प्रदूषित कर रहे हैं दोपहिया वाहन, हल्के मालवाहकों की भी भागीदारी
अन्य वाहनों के मुकाबले दोपहिया वाहन दिल्ली में सबसे ज्यादा 78.45 प्रतिशत प्रदूषण फैला रहे हैं। दूसरे नंबर पर कारें हैं। प्रदूषण फैलाने में अन्य वाहनों के मुकाबले कारों का प्रतिशत 17.06 फीसदी है।
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राष्ट्रीय राजधानी में प्रदूषण फैलाने को लेकर वाहनों की तुलना करें तो दोपहिया वाहन सबसे ज्यादा प्रदूषण फैला रहे हैं। अन्य वाहनों के मुकाबले दोपहिया वाहन दिल्ली में सबसे ज्यादा 78.45 प्रतिशत प्रदूषण फैला रहे हैं। दूसरे नंबर पर कारें हैं। प्रदूषण फैलाने में अन्य वाहनों के मुकाबले कारों का प्रतिशत 17.06 फीसदी है।
यातायात पुलिस के आंकड़ों को देखे तो दिल्ली में ग्रेप 14 अक्तूबर, 2025 को लागू हुआ। अभी राजधानी में ग्रेप-3 लागू है। इस दौरान यातायात पुलिस प्रदूषण के कुल 105516 चालान किए हैं। इनमें 82774 दोपहिया वाहनों के चालान किए गए हैं। इसके अलावा प्रदूषण फैलाने वाली 18579 कारों के, 1266 थ्रीव्हीलर और 79 बसों के चालान किए गए। सबसे ज्यादा दोपहिया वाहनों के चालान किए गए। यानी सभी वाहनों में दोपहिया वाहन 78.45 प्रतिशत प्रदूषण फैलाने के लिए जिम्मेदार हैं। सबसे कम प्रतिशत 1.12 प्रतिशत थ्री-व्हीलरों का है।
अगर माल वाहक वाहनों की तुलना करें तो हल्के माल वाहन सबसे आगे हैं। ग्रेप पीरियड के दौरान 1615 हल्के माल वाहन (एलजीवी) को प्रदूषण फैलाने पर चालान किया गया है। इसके बाद 253 भारी माल वाहन (एचटीवी) के चालान किए गए हैं।
दिल्ली में वाहनों की संख्या अलग-अलग स्रोतों और समय के अनुसार भिन्न है, लेकिन हाल के आंकड़ों के अनुसार, 79.5 लाख से अधिक वाहन पंजीकृत हैं, जिनमें 20.7 लाख निजी कारें शामिल हैं। कुल वाहनों की संख्या लगभग 1.5 करोड़ से अधिक हो सकती है, जिसमें विभिन्न प्रकार के वाहन शामिल हैं जैसे कि दोपहिया वाहन (51 लाख से अधिक), मालवाहक वाहन (3.51 लाख से अधिक) और अन्य वाहन।
विभिन्न प्रकार के वाहनों की संख्या
- कुल वाहन : 79.5 लाख से अधिक (मार्च 2023 तक)
- निजी कारें : 20.7 लाख (मार्च 2023 तक)
- दोपहिया वाहन : 51 लाख से अधिक (2022 में)
- मालवाहक वाहन : 3.51 लाख से अधिक (2022 में)
अन्य महत्वपूर्ण जानकारी
पिछले कुछ वर्षों में वाहनों की संख्या में वृद्धि हुई है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के नियमों के कारण कुछ वाहनों को हटाया भी गया है। दिल्ली में पंजीकृत वाहनों की कुल संख्या 1.5 करोड़ से अधिक है, जो मुंबई, कोलकाता और चेन्नई के कुल वाहनों की संख्या के बराबर है। दिल्ली में वायु प्रदूषण में वाहनों से होने वाला उत्सर्जन एक प्रमुख कारक है, और सरकार प्रदूषण को कम करने के लिए विभिन्न कदम उठा रही है।
दिल्ली में कितने वाहन
साल 2023 के अंत तक दिल्ली में कुल 79.5 लाख वाहन पंजीकृत थे, जिनमें से 20.7 लाख निजी कारें थीं। सड़क परिवहन मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार एक समय में दिल्ली में करीब 1.5 करोड़ से अधिक वाहन पंजीकृत थे। हालांकि, हालिया आंकड़ों से पता चलता है कि अब इसकी संख्या में काफी गिरावट आ चुकी है।
प्रदूषण के चालान को लेकर दिल्ली-एनसीआर में विशेष नियम
- बिना पीयूसी प्रमाणपत्र- 10,000 रुपये तक का भारी जुर्माना
- ग्रेप-3 नियम: बीएस-3 पेट्रोल और बीएस-4 डीजल वाहनों पर 20,000 रुपये तक का जुर्माना लग सकता है
- ये नियम सभी वाहनों के लिए लागू हैं
चालान से बचने के तरीके
- प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण पत्र (पीयूसी): सुनिश्चित करें कि आपके वाहन का पीयूसी प्रमाणपत्र वैध है
- नियमित जांच : प्रदूषण की जांच नियमित अंतराल पर करवाएं
- वाहन की मरम्मत : यदि वाहन से अधिक धुआं निकल रहा है, तो तुरंत किसी मैकेनिक से संपर्क करें
एक्यूआई में सुधार, जहरीली फिजा बरकरार
राजधानी में हवा की दिशा बदलने से प्रदूषण में भले ही थोड़ा सुधार आया हो, लेकिन जहरीली फिजा से लोंगों को राहत नहीं मिल रही है। मंगलवार सुबह की शुरुआत धुंध और हल्के कोहरे से हुई। वहीं, आसमान में स्मॉग की चादर भी दिखाई दी। इसके चलते दृश्यता भी कम रही। इस दौरान लोग मास्क पहने नजर आए। साथ ही, सांस के मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ा।
वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 353 दर्ज किया गया। यह हवा की बेहद खराब श्रेणी है। इसमें सोमवार की तुलना में 34 सूचकांक की गिरावट दर्ज की गई। दूसरी ओर, एनसीआर में नोएडा की हवा सबसे अधिक प्रदूषित रही। यहां एक्यूआई 373 दर्ज किया गया, यह बेहद खराब श्रेणी है। वहीं, ग्रेनो में 364, गाजियाबाद में 349 और गुरुग्राम में 303 एक्यूआई दर्ज किया गया। इसके अलावा, फरीदाबाद की हवा सबसे साफ रही। यहां सूचकांक 220 दर्ज किया गया। यह हवा की खराब श्रेणी है।
दिल्ली में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए निर्णय सहायता प्रणाली के अनुसार, वाहन से होने वाला प्रदूषण 21.07 फीसदी रहा। इसके अलावा, पराली जलाने से होने वाला प्रदूषण 1.93, निर्माण गतिविधियां से होने वाला 3.11 और आवासीय इलाकों की भागीदारी 5.23 फीसदी रही। सीपीसीबी के अनुसार, मंगलवार को हवा उत्तर-पश्चिम दिशा से 10 किलोमीटर प्रतिघंटे के गति से चली। वहीं, अनुमानित अधिकतम मिश्रण गहराई 1400 मीटर रही। इसके अलावा, वेंटिलेशन इंडेक्स 6500 मीटर प्रति वर्ग सेकंड रहा।
दूसरी ओर, दोपहर तीन बजे हवा में पीएम10 की मात्रा 319.9 और पीएम2.5 की मात्रा 178.9 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज की गई। वहीं, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) का पूर्वानुमान है कि शुक्रवार तक हवा बेहद खराब श्रेणी में ही बरकरार रहेगी। इसके चलते सांस के मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा। साथ ही, लोगों को आंखों में जलन जैसी समस्या का सामना करना पड़ सकता है। सीपीसीबी के अनुसार, राजधानी के कई मॉनिटरिंग स्टेशनों पर हवा बेहद खराब, खराब और एक में गंभीर रिकॉर्ड की गई।
इन इलाकों में इतना रहा एक्यूआई
- रोहिणी-405
- आनंद विहार-388
- वजीरपुर-386
- बवाना-385
- मुंडका-384
- डीटीयू-383
- जहांगीरपुरी-382
- विवेक विहार-381
- नेहरू नगर-380
- आरके पुरम -379
- पंजाबी बाग-410