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चमत्कार: किडनी देकर मां ने बचाई बेटे की जान, सफदरजंग अस्पताल में पहली बार हुआ बच्चे के गुर्दे का ट्रांसप्लांट

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: विकास कुमार Updated Tue, 25 Nov 2025 10:35 PM IST
सार

पीडियाट्रिक नेफ्रोलॉजी विभाग की प्रभारी डॉ. शोभा शर्मा ने बताया कि ऐसे बच्चों का विकास ठीक से नहीं होता है। खून नहीं बनता है। भूख ठीक से नहीं लगती है। उलटी की समस्या देखने को मिलती है। ऐसे बच्चों को समय रहते उपचार मिलना जरूरी है।

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mother saved her son life by donating her kidney Safdarjung Hospital performed first kidney transplant on a ch
किडनी समस्या की ऐसे करें पहचान पीडियाट्रिक नेफ्रोलॉजी विभाग की प्रभारी डॉ. शोभा शर्मा ने बताया कि ऐस - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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किडनी देकर एक मां ने अपने बच्चे को नई जिंदगी दी है। सफदरजंग अस्पताल में पहली बार 11 वर्षीय बच्चे की किडनी ट्रांसप्लांट की सर्जरी हुई। सफदरजंग अस्पताल बच्चे की किडनी ट्रांसप्लांट करने वाला पहला अस्पताल बन गया है।

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जन्म से खराब थी बच्चे की किडनी
अस्पताल के पीडियाट्रिक नेफ्रोलॉजी विभाग की प्रभारी डॉ. शोभा शर्मा ने बताया कि बच्चे की किडनी की बनावट जन्म से खराब थी। बच्चे को अस्पताल में डेढ़ साल पहले लाया गया था। बच्चे की किडनी काम नहीं कर रही थी इस कारण उसकी हालत बहुत खराब थी। दिमाग और दिल में पानी भर गया था। बच्चे का कई बार डायलिसिस भी हुआ है।

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यूपी का रहने वाला है परिवार
बच्चे का परिवार उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले का रहने वाला है। पिता दिहाड़ी मजदूरी करते हैं। बच्चे की जान बचाने के लिए किडनी ट्रांसप्लांट जरूरी था। इसके लिए बच्चे की 35 वर्षीय मां आगे आई। पिछले तीन महीने से ट्रांसप्लांट के लिए संसाधनों पर काम चल रहा था। जिन बच्चों की जन्म से किडनी खराब होती है उनमें आठ-दस साल बाद किडनी की समस्या सामने आती है।

ढाई घंटे में हुई ट्रांसप्लांट की सर्जरी
सर्जिकल ट्रांसप्लांट टीम का नेतृत्व करने वाले यूरोलॉजी और किडनी ट्रांसप्लांट विभाग प्रमुख निदेशक डॉ. पवन वासुदेवा ने बताया कि ट्रांसप्लांट से पहले बच्चे की मां की लेप्रोस्कोपी सर्जरी से किडनी निकाली गई। इस प्रक्रिया में दो घंटे का समय लगा। लेप्रोस्कोपी सर्जरी प्रक्रिया में ज्यादा चीरफाड़ की जरूरत नहीं होती है। उसके बाद बच्चे में किडनी ट्रांसप्लांट करने में ढाई घंटे का समय लगा। इसमें 30 मिनट का समय सबसे अधिक महत्पूर्ण होता है जब किडनी को ट्रांसप्लांट किया जाता है।

बच्चे में किडनी ट्रांसप्लांट था चुनौतीपूर्ण
डॉ. पवन ने बताया कि व्यस्क की किडनी को बच्चे में लगाना काफी चुनौतीपूर्ण था। किडनी लगाने के लिए पेट के अंदर जगह बनाई गई। बच्चे की दो आर्टरी थी। जबकि अमूमन बच्चों में एक आर्टरी होती है। ट्रांसप्लांट के बाद किडनी ने 24 घंटे के अंदर सामान्य तौर पर काम करना शुरू कर दिया। बच्चे को बुधवार को डिस्चार्ज किया जा सकता है। बच्चे की मां को तीन दिन बाद ही डिस्चार्ज कर दिया था। किडनी ट्रांसप्लांट से पहले बच्चे को दो महंगे इजेक्शन की डोज दी गई थी। जिससे किसी प्रकार का संक्रमण न हो और बच्चे का पूरा वैक्सीनेशन भी किया जा चुका है। बच्चे की दवाओं का खर्च भी भविष्य में अस्पताल ही उठाएगा।

सफदरजंग में पहली बार बच्चे का ट्रांसप्लांट हुआ
अस्पताल के चिकित्सा निदेशक डॉ. संदीप बंसल ने बताया कि अस्पताल में पहली बार बच्चे में किडनी का ट्रांसप्लांट हुआ है। केंद्र सरकार के अस्पताल में सफदरजंग पहला अस्पताल है जिसने 19 नवंबर को बच्चे का सफलतापूर्वक किडनी ट्रांसप्लांट किया। अस्पताल में यह सुविधा निशुल्क है। निजी अस्पताल में ट्रांसप्लांट की कीमत करीब 15-20 लाख रुपये बताई जाती है।

सर्जरी को इन डॉक्टरों ने दिया अंजाम
किडनी ट्रांसप्लांट को लेकर अस्पताल की चिकित्सा अधीक्षक डॉ. चारू बाम्बा ने खुशी जाहिर की। वहीं सर्जरी की टीम में यूरोलॉजी के प्रो. डॉक्टर नीरज कुमार, पीडियाट्रिक विभाग प्रमुख डॉ. प्रदीप के. डेबाटा, डॉ. श्रीनिवास वर्धन, एनेस्थीसिया टीम से डॉ. सुशील, डॉ. ममता, डॉ. सोनाली और विभाग प्रमुख डॉ. कविता रानी शर्मा शामिल रही।

किडनी समस्या की ऐसे करें पहचान
पीडियाट्रिक नेफ्रोलॉजी विभाग की प्रभारी डॉ. शोभा शर्मा ने बताया कि ऐसे बच्चों का विकास ठीक से नहीं होता है। खून नहीं बनता है। भूख ठीक से नहीं लगती है। उलटी की समस्या देखने को मिलती है। ऐसे बच्चों को समय रहते उपचार मिलना जरूरी है।

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