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Delhi : ठोस कचरे का होगा स्थायी समाधान, गृहमंत्री अमित शाह ने किया परियोजनाओं का शिलान्यास
विनोद डबास, नई दिल्ली
Published by: दुष्यंत शर्मा
Updated Thu, 18 Sep 2025 02:17 AM IST
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- फोटो : एएनआई
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राजधानी की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक ठोस कचरे का स्थायी समाधान होगा। नरेला-बवाना में तीन हजार मीट्रिक टन प्रतिदिन क्षमता वाला वेस्ट टू एनर्जी प्लांट और ओखला प्लांट में एक हजार मीट्रिक टन प्रतिदिन क्षमता के विस्तार के साथ दिल्ली में कचरे के निपटान व ऊर्जा उत्पादन दोनों में बड़ी उपलब्धि हासिल होने जा रही है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की ओर से बुधवार को दोनों परियोजनाओं का शिलान्यास किया गया।

नरेला-बवाना में प्रस्तावित प्लांट की क्षमता तीन हजार मीट्रिक टन प्रतिदिन होगी जिसे दिसंबर-2027 तक चालू करने का लक्ष्य रखा गया है। दिल्ली में रोजाना लगभग 11,000 टन ठोस कचरा निकलता है। इस प्लांट के संचालन में आने से करीब 27 प्रतिशत कचरे को सीधे ऊर्जा उत्पादन में बदला जा सकेगा। इससे भलस्वा, गाजीपुर और ओखला जैसी लैंडफिल साइटों पर दबाव घटेगा जहां फिलहाल कचरे के पहाड़ न केवल बदबू और जहरीली गैस फैला रहे हैं बल्कि जलभराव व मच्छरजनित बीमारियों का खतरा भी बढ़ा रहे हैं।
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ओखला प्लांट का विस्तार
ओखला वेस्ट टू एनर्जी प्लांट की क्षमता भी बढ़ाई जा रही है। वर्तमान में करीब दो हजार मीट्रिक टन प्रतिदिन क्षमता वाला यह प्लांट एक हजार मीट्रिक टन प्रतिदिन की अतिरिक्त क्षमता के साथ करीब तीन हजार मीट्रिक टन प्रतिदिन तक पहुंच जाएगा। परियोजना के लिए लगभग 15 एकड़ भूमि का उपयोग किया जाएगा। ओखला प्लांट के विस्तार से न केवल दक्षिणी दिल्ली बल्कि पूरे एनसीआर में कचरे का दबाव कम होगा। इस प्लांट से भी बड़ी मात्रा में ऊर्जा का उत्पादन होगा जिससे दिल्ली की बिजली जरूरतों को आंशिक सहारा मिलेगा।
छह हजार मीट्रिक टन कचरा निस्तारित होगा
नरेला-बवाना और ओखला प्लांट विस्तार को मिलाकर दिल्ली में लगभग छह हजार मीट्रिक टन प्रतिदिन कचरे को वैज्ञानिक रूप से निस्तारित करने की क्षमता विकसित हो जाएगी। यह राजधानी के कुल ठोस कचरे का लगभग आधा हिस्सा होगा। इन परियोजनाओं से दिल्लीवासियों को साफ-सुथरा माहौल, प्रदूषण में कमी, बिजली उत्पादन में बढ़ोतरी और लैंडफिल साइटों से राहत जैसे लाभ मिलेंगे।
कई तरह से फायदेमंद होगी यह योजना
- कचरे का स्थायी निपटान और नई डंपिंग साइटों की जरूरत में कमी
- जहरीली गैसों और बदबू से होने वाले प्रदूषण पर अंकुश
- बिजली उत्पादन के जरिए ऊर्जा आपूर्ति को सहारा
- संगठित कचरा संग्रहण से सड़कों और नालियों की सफाई में सुधार