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हर साल डूब रही दिल्ली: 50 साल पुराना है सिस्टम, 'नया ड्रेनेज मास्टर प्लान है जरूरी'; 1970 में की थी ये गलती

धनंजय मिश्रा, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: अनुज कुमार Updated Tue, 08 Jul 2025 09:11 AM IST
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सार

राजधानी दिल्ली में हर बार बारिश की वजह से पानी भरने की समस्या से निपटने के लिए सरकार लगातार काम कर रही है। विशेषज्ञों के अनुसार, पुराना ड्रेनेज सिस्टम को अपडेट करना जरूरी है। वहीं मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने मानसून से पहले नालों की सफाई के लिए सख्त निर्देश दे चुकी हैं।

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रिंग रोड में बारिश के कारण जलभराव। - फोटो : अमर उजाला

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भारी बारिश के बाद राजधानी की सड़कों पर पानी का जमाव, ट्रैफिक जाम और जनजीवन का ठप होना हर साल की कहानी बन चुका है। शहरी नियोजकों और विशेषज्ञों के अनुसार, पुराना ड्रेनेज सिस्टम अनियोजित शहरीकरण और नालों की खराब स्थिति इसकी प्रमुख वजहें हैं। दिल्ली का ड्रेनेज सिस्टम करीब 50 साल पुराना है, जिसे 1986 में 50 मिमी बारिश को ध्यान में रखकर बनाया गया था।

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मौजूदा समय दिल्ली की आबादी 2 करोड़ से अधिक है और 2024 में 64 मिमी तक बारिश दर्ज की गई, जो सिस्टम की क्षमता से कहीं ज्यादा है। लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) 2064.08 किलोमीटर छोटे-बड़े नालों का प्रबंधन करता है, जो शहर के कुल जल निकासी नेटवर्क का 55 फीसदी है, लेकिन यह भारी बारिश में नाकाम साबित होता रहा है।
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सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) के अध्ययन के अनुसार, राजधानी के ड्रेनेज सिस्टम का डिजाइन पुराना है और यह आधुनिक शहरीकरण और जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाली तीव्र बारिश का सामना नहीं कर पाता। अनियोजित निर्माण और प्राकृतिक जल निकायों पर अतिक्रमण ने स्थिति को और जटिल किया है। विशेषज्ञों का कहना है कि नया ड्रेनेज मास्टर प्लान जरूरी है, लेकिन इसे अभी तक मंजूरी नहीं मिली है। राजधानी में जलभराव की समस्या का एक रोचक पहलू यह भी है कि 1970 के दशक में जब बसों के लिए सड़कों को ऊंचा किया गया था, इससे निचले इलाकों में पानी का जमाव शुरू हुआ, जो धीरे-धीरे एक बड़ी समस्या बन गया। शहरी नियोजक बताते हैं कि सड़कों के डिजाइन में जल निकासी को प्राथमिकता नहीं दी गई, जिसके परिणामस्वरूप नालों का पानी सड़कों पर फैलने लगा।

नया ड्रेनेज सिस्टम इसलिए है जरूरी
दिल्ली सरकार ने हाल ही में जल बोर्ड को स्वायत्तता प्रदान की है और यमुना की सफाई व नालों के उपचार के लिए कदम उठाए हैं। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने मानसून से पहले नालों की सफाई के लिए सख्त निर्देश दिए हैं। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक पुराने ड्रेनेज सिस्टम को पूरी तरह से अपग्रेड नहीं किया जाता, तब तक समस्या का स्थायी समाधान संभव नहीं है। दिल्ली का जलभराव संकट पुराने ड्रेनेज सिस्टम, अनियोजित शहरीकरण और प्राकृतिक जल निकायों के क्षरण का परिणाम है। 

विशेषज्ञों और सीएसई जैसे संगठनों के अध्ययन इस बात पर जोर देते हैं कि आधुनिक ड्रेनेज सिस्टम, रेनवाटर हार्वेस्टिंग और बेहतर शहरी नियोजन ही इस समस्या का समाधान हो सकता है। सरकार के ताजा प्रयास उम्मीद जगाते हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर अमल और समयबद्ध कार्यान्वयन ही दिल्ली को जलभराव से मुक्ति दिला सकता है। सीएसई के विशेषज्ञों का कहना है कि नालों की सफाई के साथ-साथ टिकाऊ शहरी ड्रेनेज सिस्टम जैसे उपायों की जरूरत है। लंदन और न्यूयॉर्क जैसे शहरों में रेन गार्डन्स और परमिएबल सतहों का उपयोग कर बाढ़ को प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया जाता है। दिल्ली में ऐसी प्रणालियों को लागू करने की दिशा में अभी बहुत काम बाकी है।

शहर की जल निकासी प्रणाली को दुरुस्त करने की जरूरत है। दिल्ली का ड्रेनेज सिस्टम पुराना है। इसे ठीक करने के साथ ही नालियों पर अतिक्रमण को हटाया जाए और इसकी सफाई ठीक तरह से हो। नालियों में सीवेज व कोई ठोस अपशिष्ट जाने की अनुमति न हो और बरसाती पानी सीवर सिस्टम में नहीं बहाया जाना चाहिए। यमुना नदी के बाढ़ क्षेत्र पर भी अतिक्रमण है। सभी जल निकासी के चैनल एक बॉटलनेक हो गए हैं। -एसए नकवी, संयोजक, सिटीजन फ्रंट फॉर वाटर डेमोक्रेसी

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