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Gurugram News: गाड़ी में आई थी खराबी, कंपनी देगी 50 हजार का मुआवजा
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2021 में खरीदी थी शिकायतकर्ता ने गाड़ी, इंजन में आ रही थी खराबी
संवाद न्यूज एजेंसी
गुरुग्राम। गाड़ी खरीदने के कुछ समय बाद से ही उसमें खराबी आने पर कंपनी को खरीदार को 50 हजार रुपये का मुआवजा देना होगा । यह आदेश जिला उपभोक्ता निवारण आयोग के अध्यक्ष संजीव जिंदल ने दिया है।
हरसरू तहसील के गढ़ी गांव निवासी रविंद्र कुमार ने आयोग में दायर की याचिका में बताया कि उन्होंने 2021 में निसान कंपनी की निसान मैग्नाइट गाड़ी खरीदी थी। इसके साथ ही उन्होंने फास्टैग के 500 रुपये और घर पर डिलीवरी करने के लिए 6500 रुपये दिए थे। उनका कहना है कि गाड़ी खरीदने के कुछ समय बाद से ही गाड़ी में कई प्रकार की खराबी आने लगी थी। इस दौरान उनकी गाड़ी का इंजन भी खराब हो गया था। उसको ठीक कराने के लिए उनका करीब 68 हजार रुपये का खर्च हुआ था। इसके साथ ही उन्होंने आयोग को बताया कि 7000 हजार रुपये देने के बावजूद उनको फास्टैग नहीं दिया गया। आयोग में मामले की सुनवाई के दौरान कंपनी की तरफ से 7000 हजार रुपये उन्हें वापस कर दिए गए थे।
आयोग ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद कंपनी को आदेश दिया है कि वह शिकायतकर्ता को 50 हजार रुपये का मुआवजा नौ प्रतिशत की दर से दे। कानूनी प्रक्रिया पर हुए खर्च के लिए 11 हजार रुपये भी दिए जाएं।
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संवाद न्यूज एजेंसी
गुरुग्राम। गाड़ी खरीदने के कुछ समय बाद से ही उसमें खराबी आने पर कंपनी को खरीदार को 50 हजार रुपये का मुआवजा देना होगा । यह आदेश जिला उपभोक्ता निवारण आयोग के अध्यक्ष संजीव जिंदल ने दिया है।
हरसरू तहसील के गढ़ी गांव निवासी रविंद्र कुमार ने आयोग में दायर की याचिका में बताया कि उन्होंने 2021 में निसान कंपनी की निसान मैग्नाइट गाड़ी खरीदी थी। इसके साथ ही उन्होंने फास्टैग के 500 रुपये और घर पर डिलीवरी करने के लिए 6500 रुपये दिए थे। उनका कहना है कि गाड़ी खरीदने के कुछ समय बाद से ही गाड़ी में कई प्रकार की खराबी आने लगी थी। इस दौरान उनकी गाड़ी का इंजन भी खराब हो गया था। उसको ठीक कराने के लिए उनका करीब 68 हजार रुपये का खर्च हुआ था। इसके साथ ही उन्होंने आयोग को बताया कि 7000 हजार रुपये देने के बावजूद उनको फास्टैग नहीं दिया गया। आयोग में मामले की सुनवाई के दौरान कंपनी की तरफ से 7000 हजार रुपये उन्हें वापस कर दिए गए थे।
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आयोग ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद कंपनी को आदेश दिया है कि वह शिकायतकर्ता को 50 हजार रुपये का मुआवजा नौ प्रतिशत की दर से दे। कानूनी प्रक्रिया पर हुए खर्च के लिए 11 हजार रुपये भी दिए जाएं।