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Public Problem: बसों की कमी से बिगड़ी राजधानी की रफ्तार, लाखों यात्री सड़कों पर भटकने और इंतजार को मजबूर
अमर उजाला नेटवर्क, दिल्ली
Published by: दुष्यंत शर्मा
Updated Fri, 17 Oct 2025 04:07 AM IST
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सार
कुछ महीनों में सड़कों से करीब 998 पुरानी बसें हट चुकी हैं। वहीं, जनवरी से अब तक 2,820 बसें परिचालन से बाहर हो चुकी हैं। इससे रोजाना बसों पर निर्भर करीब 30 लाख से अधिक यात्रियों को दिक्कतें झेलनी पड़ रही हैं।

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- फोटो : PTI
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विस्तार
त्योहारी सीजन में राजधानी की सड़कों पर भीड़ बढ़ रही है और बसों की भारी कमी का असर दिख रहा है। कुछ महीनों में सड़कों से करीब 998 पुरानी बसें हट चुकी हैं। वहीं, जनवरी से अब तक 2,820 बसें परिचालन से बाहर हो चुकी हैं। इससे रोजाना बसों पर निर्भर करीब 30 लाख से अधिक यात्रियों को दिक्कतें झेलनी पड़ रही हैं।

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राजधानी में पांच साल बाद पहली बार ऐसा हुआ है जब कुल बसों की संख्या घटकर 5,000 से नीचे आ गई है। एक वर्ष पहले तक राजधानी में 7,300 से अधिक बसें चल रही थीं लेकिन अब यह संख्या घटकर लगभग 4,900 रह गई है। इनमें 2,287 बसें डीटीसी की और 533 डीआईएमटीएस (क्लस्टर) की हैं जो तकनीकी कारणों या अनुबंध समाप्त होने की वजह से बंद हो गईं।
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राजधानी में बसें हटने का सीधा असर आम यात्रियों पर पड़ रहा है। कई इलाकों में बसों की आवृत्ति घटने से बस स्टॉप पर भीड़ बढ़ गई है। दफ्तर या स्कूल जाने वालों को सुबह-शाम लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। यात्रियों का कहना है कि पहले जहां 10–15 मिनट में बस मिल जाती थी अब कई बार आधा घंटे से भी अधिक इंतजार करना पड़ता है। इधर, डीटीसी अधिकारियों का कहना है कि कुछ बसें तकनीकी खराबी और अनुबंध अवधि समाप्त होने के कारण हटाई गई हैं।
जरूरत से आधी भी नहीं बसों की संख्या
दिल्ली परिवहन विभाग के पूर्व उपायुक्त डॉ. अनिल छिकारा का कहना है कि राजधानी की सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था पहले से ही बसों की कमी से जूझ रही थी। शहर की जरूरत के मुकाबले बसों की संख्या लगभग आधी रह गई है। राजधानी को मौजूदा मांग को पूरा करने के लिए करीब 11,000 बसों की जरूरत है।