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Delhi Blast: सेकेंड-हैंड कारों का अनाधिकृत बाजार बना दिल्ली-एनसीआर, संगठित अर्थव्यवस्था से फल-फूल रहा कारोबार
धनंजय मिश्रा, नई दिल्ली
Published by: दुष्यंत शर्मा
Updated Thu, 13 Nov 2025 04:22 AM IST
सार
बाजार में चोरी, क्लोनिंग और दस्तावेजी फर्जीवाड़ों की एक संगठित अर्थव्यवस्था भी पनप रही है। बाजार में चोरी की गाडिंयों को भी खपाया जाता है।
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- फोटो : Amarujala
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विस्तार
दिल्ली-एनसीआर का सेकंड-हैंड (कारों की बिक्री) कार बाजार सस्ते दामों और आसान डीलिंग की वजह से खरीदारों को आकर्षित करता है। इसी बाजार में चोरी, क्लोनिंग और दस्तावेजी फर्जीवाड़ों की एक संगठित अर्थव्यवस्था भी पनप रही है। बाजार में चोरी की गाडिंयों को भी खपाया जाता है। इसमें चेसिस और इंजन नंबर बदलकर, फर्जी आरसी और बीमा कागजात तक बनाए जाते हैं। दिल्ली पुलिस ने हाल में कई ऐसे गिरोह का खुलासा कर अपराधियों केे दबोचा है।
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सोमवार को लालकिले के पास हुए धमाके में इस्तेमाल की गई आई-20 कार को कई बार बेचा और खरीदा गया था। विशेष बात यह है कि कार खरीदी डॉक्टर उमर ने लेकिन वह उसके नाम पर नहीं थी। जानकारों का कहना है कि पुलिस और परिवहन विभाग की लापरवाही के कारण, यह अनधिकृत सेकेंड-हैंड कार बाजार अपराधियों के साथ ही आतंकवादियों के लिए कवर्ड ट्रांस्पोर्ट का बड़ा साधन बन चुका है। किसी भी कार को कितनी बार भी बेचा जा सकता है। बस उसके आरसी में खरीदार के नाम दर्ज करवाना होता है।
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दिल्ली परिवहन विभाग के पूर्व उपायुक्त डॉ. अनिल छिकारा का कहना है कि निजी और सार्वजनिक दोनों स्तरों पर ज्यादा कड़े सत्यापन, ऑनलाइन-पोर्टल्स की जिम्मेदारी और आरटीओ-पॉलिसियों का फॉलो-अप जरूरी है। साथ सरकार को सेकंड हैंड कारो की खरीद और बिक्री के लिए एक दिशा निर्देश भी जारी करना चाहिए। अन्यथा चोरी, क्लोनिंग जैसे जालसाजी न सिर्फ खरीदारों को आर्थिक नुकसान पहुंचाएंगी बल्कि सार्वजनिक सुरक्षा के लिहाज से भी खतरा बढ़ेंगी। वर्तमान में दिल्ली-एनसीआर में सेकंड-हैंड कारों की खरीद-बिक्री एक विशाल अनौपचारिक नेटवर्क के जरिये होती है जिस पर कोई ठोस निगरानी तंत्र नहीं है। आरटीओ केवल ओनरशिप ट्रांसफर तक सीमित है। इसके लिए कोई मानक सत्यापन या लाइसेंसिंग प्रणाली भी नहीं है। न ही कोई केंद्रीय डाटाबेस है जो यह बताए कि एक वाहन की ओनरशिप कितनी बार बदली गई है।
धमाकें के बाद जागी पुलिस...
लाल किला विस्फोट मामले के बाद दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने दिल्ली और आसपास के राज्यों में काम करने वाले सभी पुरानी कार विक्रेताओं को हालिया बिक्री और खरीदी के रिकॉर्ड की जांच कर साझा करने का निर्देश दिया है। दिल्ली के सभी डीसीपी को अपने-अपने जिलों में कार डीलरों से बैठक कर रिकॉर्ड की सत्यापन प्रक्रिया सुनिश्चित करने को कहा गया है। पुलिस ने डीलरों से कहा है कि हर ग्राहक के आधार, ड्राइविंग लाइसेंस और पते की जांच अनिवार्य रूप से करें और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की तुरंत सूचना दें।
इस तरह हो रहा फर्जीवाड़ा...
- क्लोनिंग : किसी वैध रजिस्ट्रेशन नंबर/मोबाइल प्लेट-लिखित गाड़ी की नकल कर चोरी वाहन पर वही नंबर चढ़ा देना।
- दस्तावेजी जालसाजी : नकली आरसी, नकली बीमा, और नकली पैन/आईडी बनाकर बिक्री।
- चेसिस/इंजन नंबर छेड़छाड़ : असल पहचान बदलकर वाहन को वैध दिखाना।
- ऑनलाइन फैंसी-लिस्टिंग का उपयोग : ऑनलाइन पोर्टल पर नकली लिस्टिंग कर वास्तविक मालिक का भरोसा जीतकर वाहन और कागजात लेकर भाग जाना।
इस पर ध्यान देना जरूरी...
- आरसी, बीमा और आईडी की ओरिजनल कॉपी मिलाकर आरटीओ के रिकॉर्ड से मिलान करें।
- चेसिस और इंजन नंबर स्वयं मौके पर चेक कराएं, नंबरों में कट-छांट या टेपरिंग के निशान देखें।
- ऑनलाइन प्लेटफार्म पर खरीद के पहले खरीददार और विक्रेता की पहचान करें।
- नामांतरण का फॉर्म तुरंत भरें और आरटीओ में अपलोड करें, बिना ट्रांसफर के वाहन पर लीगल रिस्क बना रहता है।
दिल्ली पुलिस की द्वारा हाल में पकड़े गए कुछ गिरोह...
- अक्तूबर 2024 में दिल्ली पुलिस ने एक ऐसे गिरोह का पकड़ा जिसने कम से कम 20 हाई-एंड एसयूवी चुराकर ऑनलाइन ऑटोप्लैटफॉर्म्स पर बेच दी, 13 गिरफ्तार हुए और कई वाहन बरामद किए गए। आरोपियों ने इंजन/चेसिस नंबर बदलकर दस्तावेज बनाए।
- सितंबर 2023 में दिल्ली में तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया। आरोपियों ने हाई-एंड कारों को चुरा कर चेसिस नंबर और फर्जी दस्तावेज बनाकर बेचते थे। आरोपियों के पास चोरी के कई वाहन बरामद किए गए।