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Noida News: पटवारी 600, तहसीलदार 1200 रुपये और एसडीएम के नाम से 10 हजार रुपये...
संवाद न्यूज एजेंसी, नोएडा
Updated Wed, 26 Nov 2025 02:06 AM IST
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हल्द्वानी। फर्जी तरीके से बनाए गए प्रमाण पत्रों की जांच के बीच सोशल मीडिया पर अरायजनवीस का वायरल वीडियो चर्चाओं में है। वीडियो में अरायजनवीस ने हल्द्वानी तहसील में पटवारी से लेकर एसडीएम तक के नाम से कार्यों के एवज में अलग-अलग सुविधा शुल्क लेने का आरोप लगाया है। मामले में डीएम ने जांच के आदेश दे दिए हैं।
यह वीडियो हल्द्वानी तहसील में कार्यरत योगेश नामक अरायजनवीस का बताया जा रहा है। वीडियो में योगेश का कहना है कि प्रमाणपत्रों की जांच के नाम पर अधिकारी तहसील के काउंटरों पर लाइसेंसधारकों को बेवजह परेशान कर उनका उत्पीड़न कर रहे हैं। आरोप है कि अधिकारी काउंटर में मौजूद अरायजनवीस, दस्तावेज लेखकों से बिजली के कनेक्शन, बिल, शटरबंद काउंटर, काउंटर में लगे लोहे आदि पर बेवजह के सवाल कर रहे हैं। कह रहे हैं कि यह सब अवैध है। योगेश वीडियो में यह कहते सुनाई दे रहे हैं कि जब मौके पर बिजली का कनेक्शन दिया होगा, तब भी तो कोई यहां तहसीलदार और एसडीएम रहा होगा। फिर खुद कह रहे हैं कि तब इंदिरा हृदयेश तत्कालीन कैबिनेट मंत्री थी। दीपक रावत डीएम थे और मोहन सिंह बिष्ट तहसीलदार थे। इन्होंने ही एनओसी दी।
रजिस्ट्रार दफ्तर व तितम्मा में होड़ मचा रखी है....
वीडियो में योगेश सवाल करता है कि काउंटर पर काम करने वाले अपने लैपटाॅप व प्रिंटर कहां रखेंगे। प्रशासन के कहने पर ही सारे काउंटर जालीदार बनवाए गए हैं। कहता है कि जहां हम जांच के लिए कहते हैं, वहां अधिकारी नहीं जा रहे। केवल हमारे लाइसेंसधारकों को परेशान किया जा रहा है। वायरल वीडियो में गुस्साए योगेश का कहना है कि अधिकारियों तब परमिशन क्यों नहीं दिखाते, जब पटवारी हर फाइल के छह सौ रुपये लेता है। तहसीलदार के नाम के 1200 रुपये लिए जाते हैं। दाखिलखारिज के तीन-तीन हजार रुपये और 143 की फाइलों में एसडीएम के नाम से दस हजार रुपये लिए जाते हैं? तब कहां गए इनके नियम-कानून। योगेश का कहना है कि रजिस्ट्रार दफ्तर व तितम्मा (रजिस्ट्री में नाम सुधार) में होड़ मचा रखी है।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वायरल वीडियो/पोस्ट में पटवारी, तहसीलदार एवं उपजिलाधिकारी पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। ऐसे आरोप राजकीय कार्यप्रणाली की पारदर्शिता एवं अखंडता को प्रभावित करते हैं। अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) शैलेंद्र सिंह नेगी को इस प्रकरण का जांच अधिकारी नामित किया है। जांच अलग-अलग बिंदुओं पर होनी है। आईओ को 15 दिसंबर तक जांच रिपोर्ट उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं।
-ललित मोहन रयाल, जिलाधिकारी नैनीताल
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यह वीडियो हल्द्वानी तहसील में कार्यरत योगेश नामक अरायजनवीस का बताया जा रहा है। वीडियो में योगेश का कहना है कि प्रमाणपत्रों की जांच के नाम पर अधिकारी तहसील के काउंटरों पर लाइसेंसधारकों को बेवजह परेशान कर उनका उत्पीड़न कर रहे हैं। आरोप है कि अधिकारी काउंटर में मौजूद अरायजनवीस, दस्तावेज लेखकों से बिजली के कनेक्शन, बिल, शटरबंद काउंटर, काउंटर में लगे लोहे आदि पर बेवजह के सवाल कर रहे हैं। कह रहे हैं कि यह सब अवैध है। योगेश वीडियो में यह कहते सुनाई दे रहे हैं कि जब मौके पर बिजली का कनेक्शन दिया होगा, तब भी तो कोई यहां तहसीलदार और एसडीएम रहा होगा। फिर खुद कह रहे हैं कि तब इंदिरा हृदयेश तत्कालीन कैबिनेट मंत्री थी। दीपक रावत डीएम थे और मोहन सिंह बिष्ट तहसीलदार थे। इन्होंने ही एनओसी दी।
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रजिस्ट्रार दफ्तर व तितम्मा में होड़ मचा रखी है....
वीडियो में योगेश सवाल करता है कि काउंटर पर काम करने वाले अपने लैपटाॅप व प्रिंटर कहां रखेंगे। प्रशासन के कहने पर ही सारे काउंटर जालीदार बनवाए गए हैं। कहता है कि जहां हम जांच के लिए कहते हैं, वहां अधिकारी नहीं जा रहे। केवल हमारे लाइसेंसधारकों को परेशान किया जा रहा है। वायरल वीडियो में गुस्साए योगेश का कहना है कि अधिकारियों तब परमिशन क्यों नहीं दिखाते, जब पटवारी हर फाइल के छह सौ रुपये लेता है। तहसीलदार के नाम के 1200 रुपये लिए जाते हैं। दाखिलखारिज के तीन-तीन हजार रुपये और 143 की फाइलों में एसडीएम के नाम से दस हजार रुपये लिए जाते हैं? तब कहां गए इनके नियम-कानून। योगेश का कहना है कि रजिस्ट्रार दफ्तर व तितम्मा (रजिस्ट्री में नाम सुधार) में होड़ मचा रखी है।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वायरल वीडियो/पोस्ट में पटवारी, तहसीलदार एवं उपजिलाधिकारी पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। ऐसे आरोप राजकीय कार्यप्रणाली की पारदर्शिता एवं अखंडता को प्रभावित करते हैं। अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) शैलेंद्र सिंह नेगी को इस प्रकरण का जांच अधिकारी नामित किया है। जांच अलग-अलग बिंदुओं पर होनी है। आईओ को 15 दिसंबर तक जांच रिपोर्ट उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं।
-ललित मोहन रयाल, जिलाधिकारी नैनीताल