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Delhi NCR News: लाल किला ब्लास्ट की 6 माह में सुनवाई पूरी करने की मांग वाली याचिका खारिज
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- अदालत ने कहा अभी तक ट्रायल भी शुरू नहीं, आप चाहते हैं कि हम निगरानी करें
- पूर्व विधायक पंकज पुष्कर ने दाखिल की थी याचिका
अमर उजाला ब्यूरो
नई दिल्ली।
दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई से इनकार कर दिया। याचिका में लाल किला बम विस्फोट मामले की सुनवाई की निगरानी के लिए एक समिति गठित करने और मुकदमा छह महीने में पूरा करने का निर्देश देने की मांग थी। मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा कि वह एक ऐसे मुकदमे की निगरानी नहीं कर सकते, जिसकी सुनवाई शुरू भी नहीं हुई है।
न्यायमूर्ति गेडेला ने पूछा, यह क्या है? सुनवाई शुरू भी नहीं हुई है, और आप चाहते हैं कि हम निगरानी करें कि सुनवाई कैसे चलाई जाए? मैं समझ सकता था अगर यह सालों से लंबित होता, लेकिन यह तो शुरू भी नहीं हुआ। मुख्य न्यायाधीश उपाध्याय ने कहा कि याचिकाकर्ता यह दिखाने में विफल रहा है कि उसके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हुआ है। उन्होंने कहा, यह जनहित याचिका आपके इस अनुभव पर आधारित है कि पिछली सुनवाइयों में सालों लग गए। और इसलिए, हमें यह मान लेना चाहिए कि इस सुनवाई में भी समय लगेगा? आप जांच, आरोपपत्र दाखिल करने की निगरानी चाहते हैं। क्या हमें निगरानी करनी चाहिए?
यह है मामला
पूर्व विधायक डॉ. पंकज पुष्कर द्वारा दायर इस याचिका में मुकदमे के सभी चरणों की निगरानी के लिए अदालत-निगरानीकृत पर्यवेक्षण तंत्र या समिति गठित करने का निर्देश देने की मांग की गई थी। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) चेतन शर्मा ने केंद्र सरकार की ओर से कहा कि जनहित याचिका गलत धारणाओं पर आधारित है और याचिकाकर्ताओं ने यह तथ्य बताना जरूरी नहीं समझा कि अब जांच दिल्ली पुलिस के पास नहीं है, बल्कि इसे राष्ट्रीय अन्वेषण एजेंसी (एनआईए) को हस्तांतरित कर दिया गया है। शर्मा ने कहा कि अब यह मामला यूएपीए के तहत चलेगा।
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- पूर्व विधायक पंकज पुष्कर ने दाखिल की थी याचिका
अमर उजाला ब्यूरो
नई दिल्ली।
दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई से इनकार कर दिया। याचिका में लाल किला बम विस्फोट मामले की सुनवाई की निगरानी के लिए एक समिति गठित करने और मुकदमा छह महीने में पूरा करने का निर्देश देने की मांग थी। मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा कि वह एक ऐसे मुकदमे की निगरानी नहीं कर सकते, जिसकी सुनवाई शुरू भी नहीं हुई है।
न्यायमूर्ति गेडेला ने पूछा, यह क्या है? सुनवाई शुरू भी नहीं हुई है, और आप चाहते हैं कि हम निगरानी करें कि सुनवाई कैसे चलाई जाए? मैं समझ सकता था अगर यह सालों से लंबित होता, लेकिन यह तो शुरू भी नहीं हुआ। मुख्य न्यायाधीश उपाध्याय ने कहा कि याचिकाकर्ता यह दिखाने में विफल रहा है कि उसके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हुआ है। उन्होंने कहा, यह जनहित याचिका आपके इस अनुभव पर आधारित है कि पिछली सुनवाइयों में सालों लग गए। और इसलिए, हमें यह मान लेना चाहिए कि इस सुनवाई में भी समय लगेगा? आप जांच, आरोपपत्र दाखिल करने की निगरानी चाहते हैं। क्या हमें निगरानी करनी चाहिए?
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यह है मामला
पूर्व विधायक डॉ. पंकज पुष्कर द्वारा दायर इस याचिका में मुकदमे के सभी चरणों की निगरानी के लिए अदालत-निगरानीकृत पर्यवेक्षण तंत्र या समिति गठित करने का निर्देश देने की मांग की गई थी। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) चेतन शर्मा ने केंद्र सरकार की ओर से कहा कि जनहित याचिका गलत धारणाओं पर आधारित है और याचिकाकर्ताओं ने यह तथ्य बताना जरूरी नहीं समझा कि अब जांच दिल्ली पुलिस के पास नहीं है, बल्कि इसे राष्ट्रीय अन्वेषण एजेंसी (एनआईए) को हस्तांतरित कर दिया गया है। शर्मा ने कहा कि अब यह मामला यूएपीए के तहत चलेगा।