जिंदा अपराधी की 'फर्जी मौत': जाली प्रमाण पत्र पर थे पूर्व पार्षद के साइन, 14 दिन में बताए पुलिस; ऐसे खुली पोल
वीरेंद्र विमल ने आपराधिक मामलों से बचने के लिए जाली मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाकर कोर्ट को गुमराह किया। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने उसकी पोल खोलकर उसे गिरफ्तार किया।

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दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा के सीनियर पुलिस अधिकारी ने बताया कि आरोपी ने दिल्ली नगर निगम से वर्ष 2021 में जाली मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाया था। आरोपी बदमाश वीरेंद्र विमल ने जाली मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए जो एप्लीकेशन दी थी उस पर बवाना की पूर्व निगम पार्षद पूनम के हस्ताक्षर थे। हालांकि सीनियर पुलिस अधिकारी ने हस्ताक्षर के असली-नकली होने की पुष्टि नहीं की और इसे जांच का विषय बताया।
पूर्व निगम पार्षद के पति पवन सेहरावत (बवाना से वर्तमान में निगम पार्षद) ने अमर उजाला को बताया कि उनकी पत्नी के हस्ताक्षर नहीं है। वह निर्दलीय चुनाव जीती थीं और बाद में भाजपा में शामिल हो गईं थीं। वह वर्ष 2021 तक निगम पार्षद थीं।
खुद को बचाने को रची ये कहानी
वीरेंद्र विमल ने आपराधिक मुकदमों से बचने के लिए खुद को मृत घोषित कर दिया। उसने दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) से अपनी मृत्यु का प्रमाण पत्र भी बनवा लिया। इसे अदालत में जमा करा दिया था। कोर्ट ने उसके खिलाफ चल रहे चार केसों को बंद कर दिया था। दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने जांच के बाद आरोपी बदमाश के झूठ से पर्दा उठाते हुए उसे जिंदा कर दिया।
आईएससी में तैनात इंस्पेक्टर सतेंद्र पूनिया व सोहनलाल की टीम ने उसे कोर्ट में पेश किया। कोर्ट ने उसे 6 मई, 2026 तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। पुलिस उपायुक्त आदित्य गौतम ने बताया कि दिल्ली के मुंगेशपुर में रह रहा वीरेंद्र विमल बाहरी उत्तरी जिले के बवाना थाना अंतर्गत घर में सेंधमारी, चोरी और अवैध हथियार रखने के कई मामलों में शामिल रहा है। उसने 24 अगस्त, 2021 को अपनी मौत का मृत्यु प्रमाण पत्र बनवा लिया था।
आरोपी की ऐसे खुली पोल
अपराध कुंडली एप्लिकेशन के माध्यम से डिजिटल सत्यापन से आरोपी की पहचान साबित कर दी गई। फेशियल रिकॉग्निशन सिस्टम (एफआरआरएस) ने उसकी वर्तमान तस्वीर का मिलान उसके पिछले पुलिस दस्तावेज से किया, जिससे यह संदेह दूर हो गया कि गिरफ्तार व्यक्ति वही व्यक्ति है जिसने अदालत में फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र जमा किया था। इसके खिलाफ चार आपराधिक मामले दर्ज हैं।