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Delhi Court: हाईकोर्ट में कई मामलों में हुई सुनवाई, जानें केजरीवाल और 1984 दंगों से जुड़े मामले में क्या कहा

अमर उजाला ब्यूरो, नई दिल्ली Published by: अनुज कुमार Updated Wed, 15 Oct 2025 08:28 AM IST
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सार

दिल्ली हाईकोर्ट में मंगलवार को कई मामलों पर सुनवाई हुई। जिसमें यूएपीए ट्रिब्यूनल के आदेश के खिलाफ पीएफआई की याचिका, 1984 के सिख विरोधी दंगों से जुड़े हत्या का मामला, केजरीवाल की जमानत के खिलाफ, संजय कपूर की वसीयत मामला, राजपाल यादव को दुबई जाने वाली याचिका और पैरोल आवेदनों पर बार-बार देरी करने के मामले में सुनवाई हुई। 

Several cases were heard in High Court and find out what Kejriwal said in case related to 1984 riots
दिल्ली हाईकोर्ट - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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हाईकोर्ट ने मंगलवार को अपने आदेश में कहा कि उसके पास गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) ट्रिब्यूनल के आदेश के खिलाफ याचिका पर विचार करने का अधिकार क्षेत्र है। यह फैसला पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) की याचिका पर आया, जिसमें संगठन ने केंद्र सरकार द्वारा लगाए गए पांच साल के प्रतिबंध को बरकरार रखने वाले ट्रिब्यूनल के आदेश को चुनौती दी थी।

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मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने कहा कि यूएपीए ट्रिब्यूनल के कार्यों को सिविल कोर्ट के कार्यों के समान नहीं माना जा सकता। कोर्ट ने केंद्र सरकार को पीएफआई की याचिका का जवाब देने के लिए छह सप्ताह का समय दिया और पीएफआई को जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया। मामले की अगली सुनवाई 20 जनवरी 2026 को होगी।
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केंद्र सरकार ने पीएफआई और इसके सहयोगी संगठनों, जैसे रिहैब इंडिया फाउंडेशन, कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया, नेशनल विमेंस फ्रंट आदि को सितंबर 2022 में यूएपीए के तहत गैरकानूनी संगठन घोषित किया था। केंद्र ने आरोप लगाया था कि पीएफआई का आईएसआईएस से संबंध है और यह देश में सांप्रदायिक नफरत फैलाने की कोशिश कर रहा है।  केंद्र ने कोर्ट में दलील दी थी कि चूंकि यूएपीए ट्रिब्यूनल की अध्यक्षता हाईकोर्ट के मौजूदा जज कर रहे हैं, इसलिए अनुच्छेद 226 के तहत याचिका सुनवाई योग्य नहीं है।

हालांकि, हाईकोर्ट ने इस दलील को खारिज करते हुए कहा कि ट्रिब्यूनल का आदेश सिविल कोर्ट के आदेश की तरह नहीं है, बल्कि यह केंद्र द्वारा की गई घोषणा को पुष्ट करने का कार्य करता है। कोर्ट ने कहा, हाईकोर्ट के पास ट्रिब्यूनल के आदेश के खिलाफ सर्टियोरारी रिट (निचली अदालतों या ट्रिब्यूनल के आदेशों को रद्द करने की शक्ति) जारी करने का अधिकार क्षेत्र है।

1984 सिख विरोधी दंगा मामले में सुनवाई 6 नवंबर को
राउज एवेन्यू कोर्ट में 1984 के सिख विरोधी दंगों से जुड़े हत्या के मामले में कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर के खिलाफ मंगलवार को सुनवाई हुई। इस दौरान गवाह अब्दुल वाहिद और केपी सिंह को व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट दी गई है। विशेष न्यायाधीश (पीसी अधिनियम) जितेंद्र सिंह ने मेडिकल दस्तावेजों के आधार पर आवेदनों को स्वीकार करते हुए अभियोजन पक्ष को साक्ष्य दर्ज करने और गवाह केपी सिंह की चिकित्सा स्थिति पर सत्यापन रिपोर्ट के लिए 6 और 7 नवंबर की तारीख तय की है। 

कोर्ट में पेश हुए दस्तावेजों के अनुसार, पहले गवाह अब्दुल वाहिद को जारी समन उचित तामील रिपोर्ट के साथ वापस प्राप्त हो चुके हैं। हालांकि, सीबीआई की ओर से वरिष्ठ सरकारी वकील ने बताया कि वाहिद बुखार से पीड़ित होने के कारण अदालत में हाजिर नहीं हो सके। उनके वकील ने सहायक चिकित्सा प्रमाण-पत्रों के साथ छूट का आवेदन दायर किया, जिसमें कहा गया कि गवाह अगली सुनवाई पर उपस्थित होंगे। न्यायाधीश ने इस आवेदन को मंजूर कर लिया और वाहिद को सुनवाई में पेश होने से छूट प्रदान की। 

गवाह केपी सिंह के मामले में भी समान स्थिति बनी। सिंह के वकील ने पूर्व आवेदनों का हवाला देते हुए दोहराया कि बुजुर्ग गवाह अल्जाइमर रोग से ग्रस्त हैं। उम्र संबंधी स्वास्थ्य समस्याओं के कारण अदालत में गवाही देने की स्थिति में नहीं हैं। सीबीआई के वकील ने स्पष्ट करने के लिए समय मांगा कि क्या अभियोजन पक्ष को सिंह से पूछताछ की आवश्यकता है। कोर्ट ने मुख्य सूचना अधिकारी को निर्देश दिए कि वे सिंह के आवास पर जाकर उनकी मौजूदा चिकित्सा स्थिति का सत्यापन करें और अगली तारीख पर रिपोर्ट प्रस्तुत करें।

केजरीवाल की जमानत के खिलाफ ईडी को बहस के लिए अंतिम अवसर
दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को 2021-22 की आबकारी नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल को दी गई जमानत के खिलाफ याचिका पर बहस करने का आखिरी मौका दिया है। यह फैसला आम आदमी पार्टी (आप) के प्रमुख के वकील की ओर से बार-बार स्थगन के विरोध के बाद आया। कोर्ट ने सुनवाई के लिए 10 नवंबर की तारीख तय की और केजरीवाल के वकील की कड़ी आपत्ति को दर्ज किया, जिन्होंने कहा कि ईडी ने बिना कारण नौवीं बार स्थगन लिया है। न्यायमूर्ति रविंदर डुडेजा ने कहा कि अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू उपलब्ध नहीं हैं, याचिकाकर्ता विभाग (ईडी) को अंतिम अवसर दिया जाता है।

करिश्मा कपूर के बच्चों समायरा और कियान ने पिता की वसीयत पर उठाए सवाल
बॉलीवुड अभिनेत्री करिश्मा कपूर के बच्चों समायरा और कियान राज ने दिल्ली हाईकोर्ट में अपने दिवंगत पिता संजय कपूर की कथित वसीयत को चुनौती देते हुए एक चौंकाने वाला दावा किया है। उन्होंने कहा कि वसीयत में संजय कपूर का जिक्र स्त्रीलिंग सर्वनाम ’उस’ (शी) और ‘उसकी’ (हर) से किया गया है, जो साबित करता है कि यह वसीयत उनके पिता ने नहीं, बल्कि किसी महिला ने तैयार की है। यह दावा लगभग 30 हजार करोड़ रुपये की संपत्ति के बंटवारे से जुड़े मामले में किया गया। न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की एकल पीठ के समक्ष सुनवाई के दौरान बच्चों के वकील ने कहा, संजय कपूर अपनी समझदारी में ऐसी वसीयत पर कभी हस्ताक्षर नहीं कर सकते। कोर्ट ने मामले की सुनवाई बुधवार को जारी रखने का फैसला किया है।
 

राजपाल को राहत, दुबई यात्रा की अनुमति
चेक बाउंस मामले में फंसे बॉलीवुड अभिनेता राजपाल यादव को दिल्ली हाईकोर्ट ने दीपावली समारोह में हिस्सा लेने के लिए दुबई जाने की मंजूरी दे दी है। न्यायमूर्ति स्वर्णकांत शर्मा की एकल पीठ ने राजपाल को कुछ शर्तों के साथ यह राहत प्रदान की, जिसमें एक लाख रुपये की फिक्स्ड डिपॉजिट रसीद (एफडीआर) जमा करना और यात्रा के दौरान मोबाइल फोन चालू रखना शामिल है। 

अदालत ने आदेश दिया कि राजपाल यादव अपनी पत्नी का पासपोर्ट ट्रायल कोर्ट में जमानत के रूप में जमा करेंगे। दुबई से लौटने के बाद राजपाल को अपना पासपोर्ट भी निचली अदालत में सौंपना होगा। अदालत ने साफ निर्देश दिए कि यात्रा के दौरान उनका मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी सक्रिय रहे, ताकि अदालती कार्यवाही पर असर न पड़े।
 

पैरोल आवेदनों में देरी पर राज्य गृह सचिव तलब
जेल प्रशासन की ओर से पैरोल आवेदनों पर बार-बार देरी करने के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली के प्रधान सचिव (गृह) को तलब किया है। कोर्ट ने कड़े शब्दों में कहा कि सरकारी अधिकारी कानून और जेल में बंद व्यक्तियों के प्रति कोई सम्मान नहीं दिखाते। न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा ने नाराजगी जताते हुए गृह सचिव को 6 नवंबर 2025 को कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का आदेश दिया। उन्हें देरी का स्पष्टीकरण और इस समस्या के समाधान के लिए सुझाव प्रस्तुत करने को कहा गया है।  

कोर्ट ने कहा, यह कोर्ट इस तरह के मामलों से भरा हुआ है और बार-बार दिए गए निर्देशों का कोई परिणाम नहीं निकला है। कोर्ट का यह निर्देश एक हत्या के दोषी ललित उर्फ लकी को पैरोल देने के दौरान आया, जिसका आवेदन जुलाई 2025 से लंबित था। ललित ने अपने पिता की बिगड़ती सेहत और लंबी कैद के कारण मानसिक तनाव का हवाला देते हुए पैरोल मांगी थी। दिल्ली जेल नियम, 2018 में निर्धारित चार सप्ताह की समय-सीमा के बावजूद, अधिकारियों ने उनके आवेदन पर कोई कार्रवाई नहीं की।

अदालत ने कहा संवेदनशीलता नहीं दिखाते अधिकारी
न्यायमूर्ति कृष्णा ने अधिकारियों के रवैये पर गहरी नाराजगी जताई और कहा कि कई मामलों में जेल नियमों का उल्लंघन बेरोकटोक किया जा रहा है। उन्होंने कहा, अधिकारी कैदियों के प्रति कोई संवेदनशीलता नहीं दिखाते। पैरोल या फरलो का उद्देश्य कैदियों को परिवार से जोड़े रखना और लंबी कैद के कारण होने वाले तनाव से बचाना है। कोर्ट ने ललित की चार सप्ताह की पैरोल मंजूर कर ली।

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