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'न स्थिर आय और न स्थाई नौकरी': DTC कर्मचारियों से राहुल गांधी की मुलाकात का वीडियो साझा, दिल्ली सरकार को घेरा

पीटीआई, नई दिल्ली Published by: अनुज कुमार Updated Mon, 02 Sep 2024 01:03 PM IST
सार

कांग्रेस नेता राहुल गांधी का दिल्ली नगर निमग के कर्मचारियों से बातचीत का एक वीडियो पार्टी के आधिकारिक एक्स पर साझा किया गया है। जिसमें उन्होंने दिल्ली सरकार को घेरा है। 

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Rahul Gandhi took a dig at the Delhi government by meeting DTC employees
डीटीसी कर्मचारियों से मिले राहुल गांधी - फोटो : X/INCIndia
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विस्तार
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लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने सोमवार को डीटीसी कर्मचारियों से मुलाकात की और उनकी समस्याओं को जाना। राहुल गांधी ने मुलाकात के बाद कहा कि जो लोग हर रोज लाखों यात्रियों की यात्रा को सुगम बनाते हैं, उन्हें बदले में सिर्फ अन्याय ही मिला है।

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बीते हफ्ते दिल्ली परिवहन सेवा (डीटीसी) के कर्मचारियों के साथ बातचीत की थी। बस यात्रा का वीडियो साझा करते हुए राहुल गांधी ने एक्स पर कहा कि डीटीसी कर्मचारी सरकार से पूछ रहे हैं कि अगर वे स्थायी नागरिक हैं, तो उनकी नौकरी अस्थायी क्यों है।
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आगे कहा कि कुछ दिन पहले, दिल्ली में एक सुखद बस यात्रा के बाद मैंने डीटीसी कर्मचारियों के साथ बातचीत की और उनकी दिनचर्या और समस्याओं के बारे में जाना। उन्होंने बताया कि कोई सामाजिक सुरक्षा नहीं है। कोई स्थिर आय नहीं और कोई स्थायी नौकरी नहीं। संविदा श्रम ने बड़ी जिम्मेदारी वाली नौकरी को मजबूरी में बदल दिया है।
 
इन मुद्दों पर राहुल गांधी ने दिल्ली सरकार को घेरा
राहुल गांधी ने एक्स पर पोस्ट साझा करते हुए लिखा कि कर्मचारियों ने बताया कि  न सामाजिक सुरक्षा, न स्थिर आय और न की स्थाई नौकरी है।  कॉन्ट्रैक्ट मजदूरी ने एक बड़ी ज़िम्मेदारी के काम को मजबूरी के मुकाम पर पहुंचा दिया है। आगे कहा कि जहां ड्राइवर और कंडक्टर अनिश्चितताओं के अंधेरों में जीने पर विवश हैं। वहीं यात्रियों की सुरक्षा में निरंतर तैनात होमगार्ड्स छह महीनों से वेतनहीन हैं।

इस उपेक्षा से त्रस्त, देश भर के सरकारी कर्मचारियों की तरह डीटीसी वर्कर्स भी लगातार निजीकरण के डर के साए में जी रहे हैं। ये वो लोग हैं जो भारत को चलाते हैं, प्रतिदिन लाखों यात्रियों के सफर को सुगम बनाते हैं। लेकिन समर्पण के बदले उन्हें कुछ मिला है तो सिर्फ अन्याय। इनकी मांगें स्पष्ट हैं - समान काम, समान वेतन, पूरा न्याय। वो भारी मन और दुखी दिल से सरकार से पूछ रहे हैं कि हम नागरिक पक्के तो नौकरी कच्ची क्यों है। 
 

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