{"_id":"693af0d05215f369c703a206","slug":"the-high-court-has-asked-the-centre-to-explain-its-efforts-to-make-tv-content-accessible-to-the-disabled-delhi-ncr-news-c-340-1-del1004-115770-2025-12-11","type":"story","status":"publish","title_hn":"Delhi NCR News: दिव्यांगों के लिए टीवी कंटेंट को सुलभ बनाने पर क्या किया, हाईकोर्ट ने केंद्र से मांगा जवाब","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
Delhi NCR News: दिव्यांगों के लिए टीवी कंटेंट को सुलभ बनाने पर क्या किया, हाईकोर्ट ने केंद्र से मांगा जवाब
विज्ञापन
विज्ञापन
- न्यायमूर्ति सचिन दत्त की एकल पीठ के मामले को 29 जनवरी के लिए सूचीबद्ध किया है
- याचिका में दावा टीवी केवल मनोरंजन नहीं बल्कि सूचना का भी माध्यम ऐसे में दिव्यांगों को वंचित नहीं कर सकते
अमर उजाला ब्यूरो
नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने दिव्यांगजनों के लिए टेलीविजन कंटेंट को सुलभ बनाने के लिए दायर याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। अदालत ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को ऑडियो डिस्क्रिप्शन मानकों के मुद्दे पर स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया। न्यायमूर्ति सचिन दत्ता की एकलपीठ ने मामले को 29 जनवरी 2026 के लिए सूचीबद्ध की।
याचिकाकर्ता राहुल बजाज ने तर्क दिया कि दृष्टिबाधित और श्रवणबाधित दर्शकों के लिए न्यूज, सीरियल और अन्य मुख्यधारा के टीवी कार्यक्रमों में ऑडियो डिस्क्रिप्शन, क्लोज्ड कैप्शनिंग और भारतीय सांकेतिक भाषा व्याख्या जैसी सुविधाओं का अभाव है। बजाज ने कहा कि टीवी न केवल मनोरंजन का साधन है, बल्कि सूचना और शिक्षा का महत्वपूर्ण माध्यम भी है, जो दिव्यांगों को सूचित रहने और बौद्धिक रूप से सक्रिय बनाए रखने में मदद करता है।
याचिका के मुख्य तर्क
- दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 की धारा 42 के तहत इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को सभी प्रकार के विकलांगों के लिए सुलभ बनाना अनिवार्य है, लेकिन अधिकांश भारतीय टीवी कंटेंट अभी भी अक्षम है।
- 2019 के दिव्यांगजनों के लिए टेलीविजन कार्यक्रमों में मानक के अनुसार, 2025 तक कम से कम 50% टीवी कंटेंट सुलभ होना चाहिए, जबकि विदेशी भाषा चैनलों के लिए 80%। हालांकि, इन मानकों को नियम 15 के तहत औपचारिक रूप से अधिसूचित नहीं किया गया, जिससे वे बाध्यकारी नहीं बने।
- मानक मुख्य रूप से श्रवणबाधितों (जैसे कैप्शनिंग) पर केंद्रित हैं, लेकिन दृष्टिबाधितों के लिए ऑडियो डिस्क्रिप्शन का प्रावधान नहीं है।
Trending Videos
- याचिका में दावा टीवी केवल मनोरंजन नहीं बल्कि सूचना का भी माध्यम ऐसे में दिव्यांगों को वंचित नहीं कर सकते
अमर उजाला ब्यूरो
नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने दिव्यांगजनों के लिए टेलीविजन कंटेंट को सुलभ बनाने के लिए दायर याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। अदालत ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को ऑडियो डिस्क्रिप्शन मानकों के मुद्दे पर स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया। न्यायमूर्ति सचिन दत्ता की एकलपीठ ने मामले को 29 जनवरी 2026 के लिए सूचीबद्ध की।
याचिकाकर्ता राहुल बजाज ने तर्क दिया कि दृष्टिबाधित और श्रवणबाधित दर्शकों के लिए न्यूज, सीरियल और अन्य मुख्यधारा के टीवी कार्यक्रमों में ऑडियो डिस्क्रिप्शन, क्लोज्ड कैप्शनिंग और भारतीय सांकेतिक भाषा व्याख्या जैसी सुविधाओं का अभाव है। बजाज ने कहा कि टीवी न केवल मनोरंजन का साधन है, बल्कि सूचना और शिक्षा का महत्वपूर्ण माध्यम भी है, जो दिव्यांगों को सूचित रहने और बौद्धिक रूप से सक्रिय बनाए रखने में मदद करता है।
विज्ञापन
विज्ञापन
याचिका के मुख्य तर्क
- दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 की धारा 42 के तहत इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को सभी प्रकार के विकलांगों के लिए सुलभ बनाना अनिवार्य है, लेकिन अधिकांश भारतीय टीवी कंटेंट अभी भी अक्षम है।
- 2019 के दिव्यांगजनों के लिए टेलीविजन कार्यक्रमों में मानक के अनुसार, 2025 तक कम से कम 50% टीवी कंटेंट सुलभ होना चाहिए, जबकि विदेशी भाषा चैनलों के लिए 80%। हालांकि, इन मानकों को नियम 15 के तहत औपचारिक रूप से अधिसूचित नहीं किया गया, जिससे वे बाध्यकारी नहीं बने।
- मानक मुख्य रूप से श्रवणबाधितों (जैसे कैप्शनिंग) पर केंद्रित हैं, लेकिन दृष्टिबाधितों के लिए ऑडियो डिस्क्रिप्शन का प्रावधान नहीं है।