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Delhi: दिल्ली के जल निकायों पर अतिक्रमण को लेकर एनजीटी सख्त, तीखे प्रश्नों के साथ DSWA से रिपोर्ट तलब

अमर उजाला नेटवर्क, दिल्ली Published by: दुष्यंत शर्मा Updated Fri, 26 Dec 2025 01:58 AM IST
सार

एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की अध्यक्षता वाली पीठ ने दिल्ली नमभूमि प्राधिकरण (डीएसडब्ल्यूए) को निर्देश दिया कि शहर की सभी जल निकायों से जुड़ी पूरी जानकारी एक तय फॉर्मेट में इकट्ठा कर के पेश की जाए। 

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The NGT has taken a strict stance on encroachment on Delhi's water bodies.
एनजीटी - फोटो : संवाद
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विस्तार
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दिल्ली में तालाबों, झीलों और अन्य जल निकायों पर बढ़ते अतिक्रमण को लेकर राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने कड़ा रुख अपनाया है। एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की अध्यक्षता वाली पीठ ने दिल्ली नमभूमि प्राधिकरण (डीएसडब्ल्यूए) को निर्देश दिया कि शहर की सभी जल निकायों से जुड़ी पूरी जानकारी एक तय फॉर्मेट में इकट्ठा कर के पेश की जाए। 

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अदालत ने कहा कि जिन सरकारी या निजी एजेंसियों के पास जल निकायों की जमीन है, लेकिन उन्होंने अब तक पूरी जानकारी नहीं दी है, उनसे अनिवार्य रूप से विवरण लिया जाए। इसमें यह बताना होगा कि किस जल निकायों पर कितना अतिक्रमण हुआ है और उनका स्वरूप क्या है और कुल कितने क्षेत्र पर कब्जा किया गया है।
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एनजीटी ने डीएसडब्ल्यूए से यह भी स्पष्ट करने को कहा कि जल निकाय की जमीन किन कानूनी शक्तियों या आदेशों के तहत अलॉट की गई थी। इसके अलावा यह जानकारी भी देनी होगी कि अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ अब तक क्या कार्रवाई की गई है और आगे क्या एक्शन प्लान है। अदालत ने कहा कि जल निकाय में किसी भी तरह का निर्माण, अतिक्रमण या कचरा डालना नमभूमि (संरक्षण और प्रबंधन) नियम, 2017 का सीधा उल्लंघन है। 

ऐसे मामलों में दोषियों को नियम 4 के तहत सजा दी जा सकती है। पीठ ने बताया कि डीएसडब्ल्यूए एक ऐसा कॉमन फॉर्मेट जारी करेगी, जिसमें सभी एजेंसियों से एक जैसी और पूरी जानकारी मांगी जाएगी। अदालत ने निर्देश दिया है कि अगली सुनवाई 10 मार्च 2026 से कम से कम एक हफ्ते पहले पूरी रिपोर्ट दाखिल की जाए। साथ ही यह भी बताया जाए कि नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ क्या कार्रवाई शुरू की गई है।

तीन महीने से पानी की गुणवत्ता का डेटा गायब
यमुना नदी की हालत पर एक बार फिर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के आदेश के बावजूद यमुना और बड़े नालों के पानी की गुणवत्ता से जुड़ा ताजा डेटा पिछले तीन महीनों से सार्वजनिक नहीं किया गया है। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) को हर महीने सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी), कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (सीईटीपी) और नालों के पानी की गुणवत्ता की रिपोर्ट अपलोड करनी होती है। लेकिन डीपीसीसी ने आखिरी बार सितंबर महीने में यह डेटा साझा किया था। 

वहीं, यमुना नदी और बड़े नालों को लेकर वेबसाइट पर उपलब्ध आखिरी रिपोर्ट अक्तूबर की है। विशेषज्ञों के अनुसार, डेटा का न होना इसलिए भी ज्यादा चिंताजनक माना जा रहा है, क्योंकि सर्दियों के मौसम में यमुना की हालत आमतौर पर और खराब हो जाती है। इस समय नदी में पानी का बहाव कम हो जाता है और तापमान गिरने से प्रदूषण बढ़ता है। इसी दौरान यमुना में झाग (फोम) की समस्या भी ज्यादा देखने को मिलती है। 

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