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RTI: प्रदूषण पर सिस्टम की आंख बंद, दिल्ली और आसपास के थर्मल पावर प्लांट्स की 10 साल से नहीं हुई प्रभावी जांच

अमर उजाला नेटवर्क, दिल्ली Published by: दुष्यंत शर्मा Updated Sun, 14 Dec 2025 06:56 AM IST
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The system is turning a blind eye to pollution; no inspections of thermal power plants for 10 years
सांकेतिक तस्वीर - फोटो : अमर उजाला
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दिल्ली और आसपास के क्षेत्र में स्थित थर्मल पावर प्लांट्स (टीपीपी) के उत्सर्जन की प्रभावी जांच पिछले 10 वर्षों के दौरान नहीं की गई है। यह चौंकाने वाला खुलासा आरटीआई से हुआ है। इसमें बताया गया कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने 300 किलोमीटर के दायरे में किसी भी कोयला आधारित थर्मल पावर प्लांट की पूरी स्टैक-एमिशन मॉनिटरिंग नहीं की है। बता दें कि 2015 में सरकार ने नियम बनाए थे, जिसके तहत सभी थर्मल पावर प्लांट्स को नियमित रूप से उत्सर्जन रिपोर्ट देने और पूरी जांच करने का आदेश दिया गया था।

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आरटीआई के जवाब में बताया गया कि केवल दो प्लांट्स, हरियाणा के दीनबंधु छोटूराम थर्मल पावर स्टेशन और पंजाब के गुरु हरगोबिंद थर्मल पावर प्लांट, की आंशिक मॉनिटरिंग की गई थी। हालांकि, इन प्लांट्स के लिए भी पूरी मॉनिटरिंग और उत्सर्जन परिणामों को अभी तक जमा नहीं किया गया है। दिल्ली के आसपास के चार प्रमुख थर्मल पावर प्लांट्स में से तीन ने प्रदूषण नियंत्रण सिस्टम लगाए हैं। 
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इनमें एनटीपीसी दादरी, महात्मा गांधी टीपीएस (झज्जर) और इंदिरा गांधी एसटीपीएस (हिसार) शामिल हैं। हालांकि, पानीपत टीपीएस ने अभी तक प्रदूषण नियंत्रण नियमों का पालन नहीं किया है और इसे 31 दिसंबर, 2027 तक का समय दिया गया है। स्टैक-एमिशन मॉनिटरिंग का मतलब चिमनियों से निकलने वाले प्रदूषकों की माप और विश्लेषण करना है।

एक दशक से पूरी तरह से मॉनिटरिंग नहीं होना चिंताजनक
आरटीआई दायर करने वाले अमित गुप्ता ने कहा कि यह खुलासा गंभीर प्रवर्तन विफलताओं को उजागर करता है। उन्होंने बताया कि थर्मल पावर प्लांट्स से अनियंत्रित उत्सर्जन दिल्ली के पीएम2.5 स्तरों में बड़ा योगदान देता है, जो हर सर्दी में दिल्ली की खराब हवा का कारण बनता है। उन्होंने कहा कि करीब एक दशक से पूरी तरह से मॉनिटरिंग न होना चिंताजनक है। साफ है कि नियमों को लागू करने में लगातार नाकामी हुई है।

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