Modi 3.0: टेनी की हार ने आसान की इस ब्राह्मण नेता के मंत्री बनने की राह! पहले ऐसे बन रहे थे सियासी समीकरण
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Modi 3.0: सियासी गलियारों में चर्चा थी कि अगर अजय मिश्रा टेनी और जितिन प्रसाद दोनों चुनाव जीतते हैं, तो अगल-बगल की सीटों से दो ब्राह्मण नेताओं को केंद्र में मंत्री बनाया जाना कठिन होता। हालांकि, टेनी की हार ने जितिन प्रसाद की राह आसान कर दी।
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विस्तार
कभी ब्राह्मण चेहरे के तौर पर उत्तर प्रदेश से मंत्री बनाए गए अजय मिश्रा टेनी की हार से केंद्र में मंत्री बनाए गए जितिन प्रसाद की राह आसान हो गई है। दरअसल जितिन की राह में मंत्री बनने की दौड़ टेनी की जीत के साथ थोड़ी चुनौतीपूर्ण मानी जा रही थी। दरअसल सियासी गलियारों में चर्चा इस बात की सबसे ज्यादा थीं कि अगर तत्कालीन केंद्रीय गृहराज्य मंत्री अजय मिश्रा और जितिन प्रसाद दोनों चुनाव जीतते हैं, तो अगल-बगल की सीटों से दो ब्राह्मण नेताओं को केंद्र में मंत्री बनाया जाना कठिन होता। लेकिन टेनी की हार ने जितिन प्रसाद की मंत्री पद की राह को और आसान कर दिया।
ऐसे आसान हुई भाजपा की राह
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट में उत्तर प्रदेश से 11 सांसदों ने मंत्रिपरिषद में शपथ ली है। जिसमें राजपूत, दलित, कुर्मी, जाट, लोधी और ब्राह्मण चेहरों को शामिल किया गया है। जिस ब्राह्मण चेहरे को भारतीय जनता पार्टी ने केंद्र में मंत्री बनाया है, वह पहले भी यूपीए की सरकार में केंद्र में मंत्री रह चुके हैं। जितिन प्रसाद को भारतीय जनता पार्टी ने अपने कद्दावर नेता वरुण गांधी की पीलीभीत लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ाया था। इसी पीलीभीत सीट से बिल्कुल सटी हुई लखीमपुर खीरी लोकसभा सीट पर ब्राह्मण नेता अजय मिश्रा टेनी भी चुनाव लड़ रहे थे। दोनों ब्राह्मण नेताओं के चुनाव लड़ने और जीतने की दशाओं में मोदी कैबिनेट में जगह पाने को लेकर पहले से ही खूब सियासत हो रही थी। कहा यही जा रहा था अगर दोनों ब्राह्मण चेहरे चुनाव जीतते हैं, तो किसी न किसी एक चेहरे को मोदी कैबिनेट से ड्रॉप होना पड़ेगा।
जितिन प्रसाद को लेकर पहले से थीं चर्चाएं
राजनीतिक जानकार ओपी विश्वकर्मा कहते हैं कि वैसे तो जितिन प्रसाद जब भारतीय जनता पार्टी में आए थे, तभी से यह चर्चाएं थीं कि देर-सबेर ही सही, वह केंद्र में मंत्री बनेंगे ही। विश्वकर्मा कहते हैं कि यह बात भी सच है कि अजय मिश्र टेनी के केंद्र में मंत्री बनने और लखीमपुर पीलीभीत के पड़ोस पड़ोस की सीटों पर दोनों ब्राह्मण चेहरों के जीतने पर मोदी कैबिनेट में जगह पाने का संशय तो बनना ही था। उनका कहना है कि यह संशय दोनों ब्राह्मण चेहरों के ड्रॉप होने या किसी एक चेहरे के बनाए जाने को लेकर था।
हालांकि ब्राह्मण चेहरे के तौर पर दावेदारी किसकी मजबूत है, यह भी यूपी की सियासत में चर्चा का विषय बना रहा। दरअसल केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने लखीमपुर की एक जनसभा में अजय मिश्रा टेनी को जिताकर भेजने की अपील में उनको "बड़ा आदमी" बनाए जाने का जिक्र किया था। उससे उनकी केंद्र में मंत्री बनने की दावेदारी और मजबूत मानी जा रही थी। वरिष्ठ पत्रकार नीरज तिवारी बताते हैं कि ऐसी दशा में जितिन प्रसाद के चुनाव जीतने पर उनका दावा थोड़ा कमजोर माना जा रहा था। हालांकि राजनीतिक जानकार ओपी विश्वकर्मा कहते हैं कि दावेदारी जितिन की अगर कमजोर होती तो वह उत्तर प्रदेश सरकार में एक महत्वपूर्ण महकमे के मंत्री नहीं होते।
टेनी हारे तो जितिन प्रसाद की राह हुई आसान
नीरज तर्क देते हुए कहते हैं कि आसपास की दो लोकसभा सीटों पर जीते हुए दो प्रत्याशियों और दोनों ब्राह्मण चेहरों को मोदी कैबिनेट में कैसे जगह दी जा सकती थी। हालांकि वह कहते हैं कि यह सवाल अब कोई मायने नहीं रखता। लेकिन इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि अजय मिश्रा टेनी के चुनाव हारने से जितिन प्रसाद के केंद्र में मंत्री बनने की राह बहुत आसान हुई है। हालांकि सियासी जानकारो का मानना है कि यह पहले से तय था कि इस बार मोदी कैबिनेट में मंत्रियों की संख्या पहले से कुछ कम रहेगी। इसलिए न सिर्फ जातिगत समीकरण बल्कि इलाके समीकरणों के लिहाज से भी बैलेंस बनाया जाना था।