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श्रीराम राघवन ने 'इक्कीस' में धर्मेंद्र के किरदार को लेकर किया खुलासा, बोले- 'कैमरा ऑन होते ही उनका दूसरा...'
एंटरटेनमेंट डेस्क, अमर उजाला
Published by: अंजू बाजपेई
Updated Wed, 26 Nov 2025 02:02 PM IST
सार
Sriram Raghavan Dharmendra Ikkis: धर्मेंद्र का सोमवार 89 साल की उम्र में निधन हो गया। जिसके बाद हर कोई उन्हें याद कर रहा है। फिल्म 'इक्कीस' के निर्देशक श्रीराम राघवन ने धर्मेंद्र के किरदार को लेकर कई खुलासे किए।
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श्रीराम राघवन और धर्मेंद्र
- फोटो : सोशल मीडिया
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विस्तार
धर्मेंद्र के करियर की आखिरी फिल्म का नाम 'इक्कीस' है। यह फिल्म 25 दिसंबर को सिनेमाघरों में रिलीज होगी। 'इक्कीस' के निर्देशक श्रीराम राघवन ने फिल्म में धर्मेंद्र के किरदार को लेकर बताया कि कैमरा ऑन होते ही उनका एक और पहलू सामने आ जाता था। राघवन और धर्मेंद्र ने इससे पहले 'जॉनी गद्दार' में काम किया है।
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राघवन ने धर्मेंद्र को डायरेक्ट करने की यादें साझा कीं
निर्देशक श्रीराम राघवन ने बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता धर्मेंद्र के साथ काम करने के अपने अनुभव को साझा किया। धर्मेंद्र का सोमवार को 89 साल की उम्र में निधन हो गया। यह उनके लिए यह बहुत व्यक्तिगत नुकसान है, क्योंकि वे उनकी फिल्में देखकर बड़े हुए हैं। राघवन ने धर्मेंद्र के साथ दो फिल्मों में काम किया। 2007 में आई 'जॉनी गद्दार' और दूसरी अभी आने वाली वॉर ड्रामा 'इक्कीस' है, जो धर्मेंद्र की आखिरी फिल्म है।
निर्देशक श्रीराम राघवन ने बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता धर्मेंद्र के साथ काम करने के अपने अनुभव को साझा किया। धर्मेंद्र का सोमवार को 89 साल की उम्र में निधन हो गया। यह उनके लिए यह बहुत व्यक्तिगत नुकसान है, क्योंकि वे उनकी फिल्में देखकर बड़े हुए हैं। राघवन ने धर्मेंद्र के साथ दो फिल्मों में काम किया। 2007 में आई 'जॉनी गद्दार' और दूसरी अभी आने वाली वॉर ड्रामा 'इक्कीस' है, जो धर्मेंद्र की आखिरी फिल्म है।
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कैमरा ऑन होते ही जादू हो जाता था
पीटीआई के अनुसार, राघवन ने बताया, ''इक्कीस' के सेट पर धर्मेंद्र जी थोड़े थके हुए आते थे, लेकिन जैसे ही कैमरा ऑन होता था, एकदम से उनका दूसरा रूप सामने आ जाता था। पूरी तरह चार्ज हो जाते थे। कोई जादू हो जाता था। यह बात राघवन ने ‘जॉनी गद्दार’ और ‘इक्कीस’ की शूटिंग के वक्त महसूस की है।
पीटीआई के अनुसार, राघवन ने बताया, ''इक्कीस' के सेट पर धर्मेंद्र जी थोड़े थके हुए आते थे, लेकिन जैसे ही कैमरा ऑन होता था, एकदम से उनका दूसरा रूप सामने आ जाता था। पूरी तरह चार्ज हो जाते थे। कोई जादू हो जाता था। यह बात राघवन ने ‘जॉनी गद्दार’ और ‘इक्कीस’ की शूटिंग के वक्त महसूस की है।
‘इक्कीस’ में अहम रोल
राघवन ने 'इक्कीस' में धर्मेंद्र के किरदार को लेकर कहा, 'उनका रोल 'इक्कीस' की जान है। वो बहुत अच्छे लगे हैं। उम्मीद है यह फिल्म उनके लिए सबसे अच्छी श्रद्धांजलि बनेगी।' फिल्म का पोस्टर अभी-अभी लॉन्च हुआ था और लोगों का खूब प्यार मिल रहा था।
राघवन ने 'इक्कीस' में धर्मेंद्र के किरदार को लेकर कहा, 'उनका रोल 'इक्कीस' की जान है। वो बहुत अच्छे लगे हैं। उम्मीद है यह फिल्म उनके लिए सबसे अच्छी श्रद्धांजलि बनेगी।' फिल्म का पोस्टर अभी-अभी लॉन्च हुआ था और लोगों का खूब प्यार मिल रहा था।
पहली मुलाकात और नर्वस
2007 में जब राघवन 'जॉनी गद्दार' के लिए धर्मेंद्र से मिलने गए थे। तब वे बहुत घबरा रहे थे। उस समय धर्मेंद्र सांसद थे और फिल्मों से दूर थे। राघवन ने धर्मेंद्र से कहा, 'सर, मैं बहुत नर्वस हूं।' धर्मेंद्र ने मुस्कुरा कर जवाब दिया, 'नर्वस होना अच्छा है, इससे अलर्ट रहते हो।' बस इसी तरह बात शुरू हुई। इसके बाद राघवन ने धर्मेंद्र को फिल्म 'जॉनी गद्दार' की कहानी सुनाई, तो उन्हें बहुत मजा आया। उन्होंने दूसरे हिस्से को थोड़ा कमजोर बताया और सुझाव दिया। राघवन ने माना और बदलाव किए।
2007 में जब राघवन 'जॉनी गद्दार' के लिए धर्मेंद्र से मिलने गए थे। तब वे बहुत घबरा रहे थे। उस समय धर्मेंद्र सांसद थे और फिल्मों से दूर थे। राघवन ने धर्मेंद्र से कहा, 'सर, मैं बहुत नर्वस हूं।' धर्मेंद्र ने मुस्कुरा कर जवाब दिया, 'नर्वस होना अच्छा है, इससे अलर्ट रहते हो।' बस इसी तरह बात शुरू हुई। इसके बाद राघवन ने धर्मेंद्र को फिल्म 'जॉनी गद्दार' की कहानी सुनाई, तो उन्हें बहुत मजा आया। उन्होंने दूसरे हिस्से को थोड़ा कमजोर बताया और सुझाव दिया। राघवन ने माना और बदलाव किए।
फिल्म का मशहूर डायलॉग
'शुरुआत मजबूरी से होती है, धोरे-धीरे मजबूरी जरूरत बन जाती है, फिर जरूरत आदत बन जाती है'- यह लाइन खुद धर्मेंद्र ने दी थी। कई और डायलॉग्स भी उन्होंने जोड़े। 'जॉनी गद्दार' के बाद धर्मेंद्र राघवन से अक्सर पूछते थे, 'बेटा, मेरे लिए कोई रोल लिखा क्या?'। जब 'इक्कीस' की कहानी मिली तो राघवन को लगा कि यही परफेक्ट है। वे खुद कहानी सुनाने गए, धर्मेंद्र को बहुत पसंद आई।
'शुरुआत मजबूरी से होती है, धोरे-धीरे मजबूरी जरूरत बन जाती है, फिर जरूरत आदत बन जाती है'- यह लाइन खुद धर्मेंद्र ने दी थी। कई और डायलॉग्स भी उन्होंने जोड़े। 'जॉनी गद्दार' के बाद धर्मेंद्र राघवन से अक्सर पूछते थे, 'बेटा, मेरे लिए कोई रोल लिखा क्या?'। जब 'इक्कीस' की कहानी मिली तो राघवन को लगा कि यही परफेक्ट है। वे खुद कहानी सुनाने गए, धर्मेंद्र को बहुत पसंद आई।