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गोरखपुर के 'मरीज माफिया': रात में सजता है बाजार...एक मरीज पर मिलते हैं 25 हजार- जानिए 'कमीशन' की पूरी कहानी
अमर उजाला नेटवर्क, गोरखपुर
Published by: गोरखपुर ब्यूरो
Updated Sat, 06 Sep 2025 01:40 AM IST
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सार
हाल ही में पुलिस ने एंबुलेंस माफिया पर शिकंजा कसा है। रात में मेडिकल कॉलेज के पास घूम रहे पांच एंबुलेंस को सीज कर दिया। इसके बाद से पुलिस लगातार रात में गश्त कर रही है। इससे काफी हद तक एंबुलेंस माफिया की गतिविधियां कम हुई हैं।

बीआरडी मेडिकल कॉलेज
- फोटो : सोशल मीडिया
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विस्तार
शहर में बीआरडी मेडिकल कॉलेज के आसपास मरीज माफिया काफी समय से सक्रिय हैं। रात के समय यह खेल और भी तेज हो जाता है। एंबुलेंस चालकों से लेकर दलालों और कुछ अस्पतालों से जुड़े लोगों तक की मिलीभगत से यह नेटवर्क काम करता है। एक-एक मरीज पर 25 हजार रुपये तक का कमीशन बांटा जाता है।
सूत्रों के अनुसार, यह पूरा खेल तब शुरू होता है जब किसी गंभीर मरीज को मेडिकल कॉलेज या अन्य सरकारी अस्पतालों में लाया जाता है। मरीज की हालत देखकर एंबुलेंस चालक या बिचौलिए परिजनों को बहकाते हैं और कहते हैं कि यहां इलाज सही से नहीं हो पाएगा। वे उन्हें निजी अस्पताल ले जाने के लिए तैयार करते हैं।

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सूत्रों के अनुसार, यह पूरा खेल तब शुरू होता है जब किसी गंभीर मरीज को मेडिकल कॉलेज या अन्य सरकारी अस्पतालों में लाया जाता है। मरीज की हालत देखकर एंबुलेंस चालक या बिचौलिए परिजनों को बहकाते हैं और कहते हैं कि यहां इलाज सही से नहीं हो पाएगा। वे उन्हें निजी अस्पताल ले जाने के लिए तैयार करते हैं।
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बीमारी की गंभीरता जितनी अधिक होती है, कमीशन की रकम भी उतनी ही ज्यादा तय होती है। सूत्रों ने बताया कि इस धंधे में कई बार अस्पताल से जुड़े कर्मचारी भी भूमिका निभाते हैं। जैसे ही उन्हें पता चलता है कि कोई मरीज आर्थिक रूप से सक्षम है और उसका इलाज लंबा चल सकता है, वे बिचौलियों से संपर्क साधते हैं। इसके बाद मरीज के परिजनों को डराकर या लालच देकर निजी अस्पताल ले जाया जाता है।
एक गंभीर मरीज को भर्ती कराने पर बिचौलियों को 15 से 25 हजार रुपये तक की रकम थमा दी जाती है। वहीं, सामान्य मरीजों पर भी पांच से 10 हजार रुपये तक का खेल चलता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि मेडिकल कॉलेज के आसपास देर रात इस तरह के बिचौलिए सक्रिय रहते हैं।
एक गंभीर मरीज को भर्ती कराने पर बिचौलियों को 15 से 25 हजार रुपये तक की रकम थमा दी जाती है। वहीं, सामान्य मरीजों पर भी पांच से 10 हजार रुपये तक का खेल चलता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि मेडिकल कॉलेज के आसपास देर रात इस तरह के बिचौलिए सक्रिय रहते हैं।
एंबुलेंस चालकों के लिए यह आय का बड़ा जरिया बन चुका है। यही कारण है कि कई बार वे मरीज को सरकारी अस्पताल तक पहुंचाने की बजाय सीधे निजी अस्पताल की ओर मोड़ देते हैं।
पुलिस की कार्रवाई के बाद कम हुई गतिविधि
हाल ही में पुलिस ने एंबुलेंस माफिया पर शिकंजा कसा है। रात में मेडिकल कॉलेज के पास घूम रहे पांच एंबुलेंस को सीज कर दिया। इसके बाद से पुलिस लगातार रात में गश्त कर रही है। इससे काफी हद तक एंबुलेंस माफिया की गतिविधियां कम हुई हैं।
पुलिस की कार्रवाई के बाद कम हुई गतिविधि
हाल ही में पुलिस ने एंबुलेंस माफिया पर शिकंजा कसा है। रात में मेडिकल कॉलेज के पास घूम रहे पांच एंबुलेंस को सीज कर दिया। इसके बाद से पुलिस लगातार रात में गश्त कर रही है। इससे काफी हद तक एंबुलेंस माफिया की गतिविधियां कम हुई हैं।
मामले दे रहे गवाही...यह खेल है बड़ा
अस्पताल कर्मियों ने गलत इंजेक्शन लगाकर मारने की दी थी धमकी
देवरिया जिले के सलेमपुर क्षेत्र के वार्ड नंबर 11 भरौली की लक्ष्मी देवी की तहरीर पर गुलरिहा पुलिस ने केस दर्ज किया था। तहरीर में बताया कि 17 जनवरी 2025 की रात करीब एक बजे उनकी देवरानी लीलावती के बच्चे के सीने में जकड़न होने पर देवरिया मेडिकल कॉलेज ले जाया गया। वहां से डॉक्टर ने बीआरडी मेडिकल कॉलेज गोरखपुर रेफर कर दिया।
108 नंबर की एंबुलेंस से मेडिकल कॉलेज गोरखपुर ले आने पर यहां बाल रोग संस्थान के कर्मचारियों ने बताया कि वेंटिलेटर खाली नहीं है, दो दिन इंतजार करना पड़ेगा। एंबुलेंस चालक और ईएमटी बच्चे की गंभीर हालत का हवाला देते हुए उन्हें एक निजी अस्पताल ले गए। वहां अस्पताल वालों ने एंबुलेंस चालक को पांच-पांच सौ रुपये के कई नोट दिए।
अस्पताल कर्मियों ने गलत इंजेक्शन लगाकर मारने की दी थी धमकी
देवरिया जिले के सलेमपुर क्षेत्र के वार्ड नंबर 11 भरौली की लक्ष्मी देवी की तहरीर पर गुलरिहा पुलिस ने केस दर्ज किया था। तहरीर में बताया कि 17 जनवरी 2025 की रात करीब एक बजे उनकी देवरानी लीलावती के बच्चे के सीने में जकड़न होने पर देवरिया मेडिकल कॉलेज ले जाया गया। वहां से डॉक्टर ने बीआरडी मेडिकल कॉलेज गोरखपुर रेफर कर दिया।
108 नंबर की एंबुलेंस से मेडिकल कॉलेज गोरखपुर ले आने पर यहां बाल रोग संस्थान के कर्मचारियों ने बताया कि वेंटिलेटर खाली नहीं है, दो दिन इंतजार करना पड़ेगा। एंबुलेंस चालक और ईएमटी बच्चे की गंभीर हालत का हवाला देते हुए उन्हें एक निजी अस्पताल ले गए। वहां अस्पताल वालों ने एंबुलेंस चालक को पांच-पांच सौ रुपये के कई नोट दिए।
अस्पताल वालों ने बच्चे की स्थिति गंभीर बताकर 60 हजार रुपये वसूल लिए। आरोप है कि बच्चे की हालत में सुधार न होने पर जब वापस मेडिकल कॉलेज ले जाने की बात की तो निजी अस्पताल कर्मियों ने गलत इंजेक्शन लगाकर जान से मारने की धमकी दी थी।
मामले में पुलिस ने मरीज बेचने के आरोपी एंबुलेंस चालक उरुवा थाना क्षेत्र के भवानीपुर निवासी मुनेंद्र कुमार और ईएमटी सहजनवां के बनकटिया निवासी मिथिलेश गुप्ता को गिरफ्तार कर जेल भिजवा दिया था।
मामले में पुलिस ने मरीज बेचने के आरोपी एंबुलेंस चालक उरुवा थाना क्षेत्र के भवानीपुर निवासी मुनेंद्र कुमार और ईएमटी सहजनवां के बनकटिया निवासी मिथिलेश गुप्ता को गिरफ्तार कर जेल भिजवा दिया था।