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चाय की चुस्की में जहर: चमड़े वाले रंग से रंगी चायपत्ती... धंधेबाजों ने यूपी के इन जिलों में भी बनाया अड्डा
अमर उजाला नेटवर्क, गोरखपुर
Published by: शाहरुख खान
Updated Mon, 27 Jan 2025 11:54 AM IST
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सार
Toxic Tea In UP: चायपत्ती के धंधेबाजों ने पड़ोस के जिलों में भी अड्डा बना रखा है। देवरिया के अलावा इन जिलों में भी मिलावटी चायपत्ती जाती है। गोरखपुर और आसपास के जिलों में हर दिन करीब आठ हजार क्विंटल चायपत्ती की खपत होती है।

Fake Tea In Gorakhpur
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
Fake Tea In Gorakhpur: सस्ती और मिलावटी चायपत्ती का अड्डा गोरखपुर के अलावा पड़ोसी जिलों देवरिया, कुशीनगर और महराजगंज में भी है। देवरिया के गौरी बाजार वाले अड्डे से कई जगहों पर सप्लाई की जाती है। इसके अलावा कुशीनगर और महराजगंज में भी इसका बड़ा सेंटर है।
गोरखपुर के गोदाम संचालक के पास से देवरिया, कुशीनगर, महराजगंज, कानपुर आदि जिलों के दुकानदारों को भेजे गए माल का बिल मिला है, जिसकी जांच हो रही है। गोरखपुर और आसपास के जिलों में हर दिन करीब आठ हजार क्विंटल चायपत्ती की खपत होती है।
इसको देखते हुए यहां ब्रांडेड कंपनियों के अलावा कई छोटी-छोटी कंपनियों ने भी अपनी एजेंसी दे रखी है। इसके अलावा 25 किलो के बोरे में खुली चायपत्ती भी बड़े पैमाने पर आती है। ब्रांडेड चायपत्ती जहां 350 से 450 रुपये किलो की है, वहीं खुली चायपत्ती 120 से 150 रुपये किलो। सस्ती होने के चलते इस चायपत्ती की दुकानों पर अधिक मांग रहती है।
ग्रामीण बाजारों में खूब खपती है यह चायपत्ती
25 किलो के बोरे में आने वाली चायपत्ती की डिमांड शहर से अधिक ग्रामीण इलाके में रहती है। चाय के दुकानदारों के अलावा अन्य ग्राहक भी इसे सस्ती होने के नाते खरीदते हैं। थोक विक्रेता इसे गोरखपुर से 120-150 रुपये किलो के भाव खरीदते हैं और अपनी दुकान से 180 से 200 रुपये किलो के भाव बेच देते हैं।

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गोरखपुर के गोदाम संचालक के पास से देवरिया, कुशीनगर, महराजगंज, कानपुर आदि जिलों के दुकानदारों को भेजे गए माल का बिल मिला है, जिसकी जांच हो रही है। गोरखपुर और आसपास के जिलों में हर दिन करीब आठ हजार क्विंटल चायपत्ती की खपत होती है।
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इसको देखते हुए यहां ब्रांडेड कंपनियों के अलावा कई छोटी-छोटी कंपनियों ने भी अपनी एजेंसी दे रखी है। इसके अलावा 25 किलो के बोरे में खुली चायपत्ती भी बड़े पैमाने पर आती है। ब्रांडेड चायपत्ती जहां 350 से 450 रुपये किलो की है, वहीं खुली चायपत्ती 120 से 150 रुपये किलो। सस्ती होने के चलते इस चायपत्ती की दुकानों पर अधिक मांग रहती है।
ग्रामीण बाजारों में खूब खपती है यह चायपत्ती
25 किलो के बोरे में आने वाली चायपत्ती की डिमांड शहर से अधिक ग्रामीण इलाके में रहती है। चाय के दुकानदारों के अलावा अन्य ग्राहक भी इसे सस्ती होने के नाते खरीदते हैं। थोक विक्रेता इसे गोरखपुर से 120-150 रुपये किलो के भाव खरीदते हैं और अपनी दुकान से 180 से 200 रुपये किलो के भाव बेच देते हैं।
छोटे दाने वाली चायपत्ती जल्द घुलती है, रंग आता है गाढ़ा
धंधेबाजों ने चाय के दुकानदारों को इस तरह से धंधे में उलझाया है कि वे खुले में बिकने वाली चायपत्ती को ही असली और पैकेटबंद चायपत्ती को केवल प्रचार वाला मान रहे हैं। सिविल लाइंस में एक चाय की दुकान के सामने दिन भर ग्राहक दिखते हैं। दुकानदार की यह दूसरी पीढ़ी है।
धंधेबाजों ने चाय के दुकानदारों को इस तरह से धंधे में उलझाया है कि वे खुले में बिकने वाली चायपत्ती को ही असली और पैकेटबंद चायपत्ती को केवल प्रचार वाला मान रहे हैं। सिविल लाइंस में एक चाय की दुकान के सामने दिन भर ग्राहक दिखते हैं। दुकानदार की यह दूसरी पीढ़ी है।
खुली चायपत्ती को ही असली बता रहे इस दुकानदार का कहना था कि बड़ा दाना घुलने में अधिक समय लेता है और रंग भी अच्छा नहीं आता, वहीं महीन दाने वाली खुली चायपत्ती का एक चम्मच पड़ते ही चाय का रंग आ जाता है। लोग इस चाय की तारीफ करते हैं। दोपहर करीब एक बजे दुकान पर पहुंचे तीन ग्राहकों ने चाय का आर्डर दिया।
चायपत्ती की बात निकाली तो दुकानदार ने कहा हम तो किराना की दुकान से महीन दाने वाली पत्ती लाते हैं। यह जल्द घुलती है और रंग भी गाड़ा होता है, वहीं मोटे दाने (ब्रांडेड) वाली पत्ती घुलने में अधिक वक्त लेती है और उसमें पहली बार उबालने पर रंग अच्छा नहीं आता। उसे देर तक पकाना भी पड़ता है, जिससे गैस अधिक जलती है।
यही हालत इंदिरा बाल विहार में चाय के स्टॉल पर था। सुबह से देर शाम तक यहां लोग चाय पीने आते हैं। चायपत्ती की मिलावट की बात पर एक ग्राहक शिवरतन शर्मा बोले, दुकानदार को तो केवल मुनाफे से मतलब है। अगर बाजार में बिना जांच पड़ताल के सस्ती चायपत्ती बिकेगी तो वह इसी का इस्तेमाल करेंगे।
चायपत्ती के बाद दूध की भी हुई जांच, 14 नमूने लिए गए
एक दिन पहले ही बड़ी मात्रा में मिलावटी चायपत्ती मिलने के बाद अब खाद्य सुरक्षा विभाग ने दूध की भी जांच के लिए सैंपल लिए हैं। शनिवार को शहर के अलग-अलग इलाकों से कुल 14 सैंपल लिए गए। इन्हें जांच के लिए भेजा जाएगा। दूध के नमूने इससे पहले फेल भी हो चुके हैं। पिछले सप्ताह पनीर के भी सैंपल लिए गए थे।
एक दिन पहले ही बड़ी मात्रा में मिलावटी चायपत्ती मिलने के बाद अब खाद्य सुरक्षा विभाग ने दूध की भी जांच के लिए सैंपल लिए हैं। शनिवार को शहर के अलग-अलग इलाकों से कुल 14 सैंपल लिए गए। इन्हें जांच के लिए भेजा जाएगा। दूध के नमूने इससे पहले फेल भी हो चुके हैं। पिछले सप्ताह पनीर के भी सैंपल लिए गए थे।
शहर में हर दिन करीब आठ से नौ लाख लीटर दूध की खपत होती है, जबकि केवल ढाई लाख लीटर दूध का ही उत्पादन होता है। शेष दूध पैकेट बंद आता है। दूध की डिमांड को पूरा करने के लिए मिलावट का धंधा खूब चलता है। दो बार दूध के सैंपल फेल भी हो चुके हैं। सहायक आयुक्त खाद्य सुरक्षा डॉ. सुधीर कुमार सिंह ने बताया कि कुछ जगहों से दूध में मिलावट की शिकायत मिली थी। इस पर मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी हितेंद्र मोहन त्रिपाठी और खाद्य सुरक्षा अधिकारी विभा समेत अन्य अफसरों ने अलग-अलग इलाके में जांच की। इस दौरान कुल 14 सैंपल लिए गए।
एक रेस्टोरेंट से भी लिए गए तीन नमूने
दोपहर में शहर में निकली खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम ने इंदिरा बाल विहार स्थित एक रेस्टोरेंट के स्टोर व किचन की जांच की। यहां सफाई की स्थिति ठीक मिली। टीम ने यहां से तीन नमूने लिए, जिन्हें जांच के लिए भेजा जाएगा। बताया जा रहा है कि एक व्यक्ति की शिकायत पर खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम यहां जांच के लिए पहुंची थी।
दोपहर में शहर में निकली खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम ने इंदिरा बाल विहार स्थित एक रेस्टोरेंट के स्टोर व किचन की जांच की। यहां सफाई की स्थिति ठीक मिली। टीम ने यहां से तीन नमूने लिए, जिन्हें जांच के लिए भेजा जाएगा। बताया जा रहा है कि एक व्यक्ति की शिकायत पर खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम यहां जांच के लिए पहुंची थी।
चायपत्ती के गोदाम की जांच के दौरान वहां गोरखपुर के अलावा देवरिया, कुशीनगर, महराजगंज और कानपुर के व्यापारियों का बिल मिला है। यहां बड़े पैमाने पर मिलावटी चायपत्ती का धंधा फैला है। सैंपल जांच के लिए भेजा गया है। रिपोर्ट आते ही केस दर्ज कराया जाएगा।- डॉ. सुधीर कुमार सिंह, सहायक आयुक्त खाद्य