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नौवें व दसवें गुरु न होते तो भारत में न हिंदू होते और न सिख : शाह

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-केंद्रीय गृह मंत्री ने 1984 के दंगा पीड़ित परिवारों के छह सदस्यों को दिए नियुक्ति पत्र, बाल दिवस की प्रदर्शनी का किया अवलोकन
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-सहकारिता सम्मेलन सहकार से समृद्धि में एक-दो महीने में भारत टैक्सी लाने की घोषणा की
-5061 नवनियुक्त पुलिस जवानों की पासिंग आउट परेड में शामिल हुए शाह

-अटल बिहारी वाजपेयी की 41 फीट ऊंची प्रतिमा का अनावरण और 250 ई-लाइब्रेरी का शुभारंभ किया
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चंडीगढ़। वीर बाल दिवस पर गुरु गोबिंद सिंह जी के छोटे साहिबजादों की शहादत को याद करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि अगर नौवें व दसवें गुरु न होते तो भारत में न तो हिंदू होते और न ही सिख। हमारे सभी धर्म व संस्कार खत्म हो जाते। इसलिए गुरु तेग बहादुर को पंजाब की नहीं बल्कि हिंद की चादर कहा गया है। इतने विशाल देश के सभी धर्मों के लिए उन्होंने अपना बलिदान दिया है और दशम पिता गुरु गोबिंद सिंह के बलिदान को कौन भूल सकता है। बोले-कई लोग आज भी यह बात कहने को झिझकते हैं, मगर वे हमेशा इसे कहते आए हैं।
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शाह बुधवार को अपने हरियाणा दौरे के दौरान तीन और कार्यक्रमों में भी शामिल हुए। सबसे पहले वे सहकारिता सम्मेलन सहकार से समृद्धि में पहुंचे। वहां उन्होंने कहा कि हरियाणा-पंजाब आज पूरे देश को रोटी दे रहा है। एक-दो महीने में वे भारत टैक्सी लेकर आएंगे जिसका पूरा मुनाफा सीधे संचालक की जेब में जाएगा। इसके बाद उन्होंने 5061 नवनियुक्त पुलिस जवानों की पासिंग आउट परेड में शिरकत की। एक अन्य कार्यक्रम में शाह ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की प्रतिमा का अनावरण किया। साथ ही पूरे प्रदेश में 250 ई-लाइब्रेरी का शुभारंभ किया। इन कार्यक्रमों के बाद वे पंचकूला में हरियाणा सरकार के वीर बाल दिवस पर कराए जा रहे राज्य स्तरीय कार्यक्रम में पहुंचे।
पंचकूला में वीर बाल दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में शाह केसरिया रंग की पगड़ी पहनकर पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा कार्यक्रम है जिससे मन शोक, दर्द व करुणा से भर जाता है और वहीं, गर्व की अनुभूति भी होती है। साहिबजादों को इतनी क्रूरता से मारा गया। वे शहीद हो गए। दूसरी तरफ उनकी वीरता देख छाती गर्व से फूल जाती है। बोले-बाबा जोरावर व बाबा फतेह सिंह जिनकी उम्र सिर्फ 9 व सात साल थी, उन्हें कई लोभ दिए गए लेकिन उन्होंने शहादत को स्वीकार किया। ये भावना इतनी कम आयु में पैदा भी नहीं हो सकती। शायद उनकी मां के ये संस्कार ही होंगे आज जब हम इतने सालों के बाद इस घटना को याद करते हैं तो रोंगटे खड़े हो जाते हैं।
इस दौरान शाह ने छोटे साहिबजादों को लेकर लिखी गई कॉफी टेबल बुक व हरियाणा विजन डॉक्यूमेंट 2047 का लोकार्पण किया। 1984 के दंगा पीड़ित परिवारों के छह सदस्यों को नियुक्ति पत्र भी दिए। इसके बाद उन्होंने बाल दिवस की प्रदर्शनी का अवलोकन किया।

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गुरुओं ने देश को एकसूत्र में पिरोया

शाह ने कहा कि मैं गुरु नानक देव से लेकर दशम पिता तक पूरी सिख गुरु परंपरा को प्रणाम करके पूरी श्रद्धा प्रकट करता हूं। यह बहुत दर्दनाक महीना माना जाता है। सिख गुरुओं ने भारत को एकसूत्र में पिरोया है, उनके योगदान को देश कभी भुला नहीं पाएगा। कहा कि ये भी गुरुओं की कृपा है कि हमारे प्रधानमंत्री के काल खंड में ही पहले गुरु से लेकर दशम गुरु से जुड़े कई बड़े कार्यक्रम आए और उनके कालखंड में कई काम हुए। अब सैनी जी ढूंढ-ढूंढकर शहीद परिवारों को नौकरी दे रहे हैं। ये बहुत हिम्मत की बात है।

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बलिदानी इतिहास को भुला दिया गया

गुरुओं व साहिबजादों के बलिदान को याद करते हुए शाह ने कहा कि धर्म व देश के प्रति शहीदी का भाव छिपाने की बात नहीं है बल्कि इसका महिमा मंडन होना चाहिए। छोटे बच्चों को साहिबजादों के बलिदान से प्रेरणा मिलनी चाहिए। पीएम मोदी ने तय किया था कि 26 दिसंबर को पूरे देश में वीर बाल दिवस मनाया जाएगा और पूरा देश वीर बालकों के प्रति शुक्राना अदा करेगा। वीर बाल दिवस को मनाते पूरे तीन साल हो गए हैं। हर प्रदेश में वीर बाल दिवस मनाया जाता है। उन पर निबंध लिखे जाते हैं और जाने कितने करोड़ों बच्चों के लिए दोनों वीर बालक प्रेरणास्रोत बन गए। पिताओं के लिए भी प्रेरणास्रोत बने हैं। कई पिता प्रार्थना करते होंगे कि उन्हें भी साहिबजादों जैसा बेटा देना, जो अमर कर दे इतिहास में।
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यह सप्ताह भारतीय इतिहास का सबसे शोकपूर्ण, लेकिन गौरवपूर्ण सप्ताह : सीएम सैनी

मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि 20 से 27 दिसंबर का यह सप्ताह भारतीय इतिहास का सबसे शोकपूर्ण, लेकिन सबसे गौरवपूर्ण सप्ताह है। इसी कालखंड में गुरु गोबिंद सिंह जी का संपूर्ण परिवार धर्म और न्याय की रक्षा के लिए बलिदान हो गया। चमकौर के युद्ध में बड़े साहिबजादों का शौर्य, छोटे साहिबजादों की अदम्य आस्था और माता गुजरी जी का त्याग, भारत की आत्मिक शक्ति के प्रतीक हैं। यह परंपरा गुरु तेग बहादुर साहिब जी के बलिदान से जुड़ी हुई है जिन्होंने देश और धर्म की रक्षा के लिए अपने प्राण अर्पित किए। मुख्यमंत्री सैनी ने कहा कि वीर बाल दिवस की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसलिए की, ताकि देश की नई पीढ़ी साहिबजादों के साहस, त्याग और नैतिक दृढ़ता से प्रेरणा ले सके। यह दिवस हमें सिखाता है कि राष्ट्र की नींव संस्कारों, मूल्यों और चरित्र से मजबूत होती है।
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