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Chandigarh-Haryana News: पंचकूला दिसंबर में विज्ञान व नवाचार की राजधानी बनेगी
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अमर उजाला ब्यूरो
चंडीगढ़। हरियाणा का पंचकूला दिसंबर में विज्ञान और नवाचार की राजधानी बन जाएगा। 6 से 9 दिसंबर तक होने वाला इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल (आईआईएसएफ)-2025 देश और दुनिया के वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं, उद्योगों और स्टार्टअप्स का सबसे बड़ा मंच बनने जा रहा है।
विज्ञान से समृद्धि फॉर आत्मनिर्भर भारत थीम के साथ आयोजित यह फेस्टिवल भारत की वैज्ञानिक दिशा, तकनीकी नेतृत्व और नवाचार क्षमता को रेखांकित करेगा। उच्च स्तरीय बैठक में मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी ने तैयारियों की समीक्षा करते हुए कहा कि प्रतिभागियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर का अनुभव मिले, इसके लिए सुरक्षा, परिवहन, आवास और मीडिया प्रबंधन पर विशेष व्यवस्था की जा रही है।
इस बार का आईआईएसएफ केवल प्रदर्शनी नहीं बल्कि भविष्य की विज्ञान आधारित भारत यात्रा का रोडमैप साबित होगा। क्वांटम तकनीक, एजीआई आधारित आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ग्रीन हाइड्रोजन, जीन एडिटिंग, स्पेस टेक्नोलॉजी और क्लीन एनर्जी जैसे विषयों पर विशेषज्ञ चर्चा करेंगे। रक्षा एवं अंतरिक्ष तकनीक की प्रदर्शनी में अगली पीढ़ी के यूएवी, उपग्रह उपकरण और आधुनिक रक्षा प्रणालियां भी प्रदर्शित की जाएंगी। विशेषज्ञों का मानना है कि इस फेस्टिवल में बनने वाली नई साझेदारियां आने वाले दशक में देश की वैज्ञानिक अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाई देंगी।
युवा नवाचार इस आयोजन की बड़ी ताकत होंगे। यंग साइंटिस्ट्स कॉन्क्लेव, स्टार्टअप शोकेस, साइंस ऑन स्फीयर और हैकाथॉन जैसे मंच छात्रों और नवप्रवर्तकों को राष्ट्रीय स्तर पर अपनी सोच पेश करने का मौका देंगे। उम्मीद है कि कई प्रभावी स्टार्टअप आइडिया यहीं से उद्योग तक पहुंचेंगे। हिमालय में बदलती जलवायु, ब्लू इकोनॉमी, क्लीन एनर्जी और थॉट लीडर्स राउंड टेबल जैसे सत्र वैश्विक चुनौतियों में भारत की भूमिका पर नई दृष्टि देंगे।
वहीं, पंचकूला का सुव्यवस्थित शहरी ढांचा और पिंजौर गार्डन, माता मनसा देवी मंदिर व मोरनी हिल्स जैसे स्थल इस आयोजन को और आकर्षक बनाएंगे। आईआईएसएफ-2025 केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि वह मंच बनने जा रहा है, जहां भारत विज्ञान की शक्ति के साथ अपनी भविष्य यात्रा की नई दिशा तय करेगा।
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चंडीगढ़। हरियाणा का पंचकूला दिसंबर में विज्ञान और नवाचार की राजधानी बन जाएगा। 6 से 9 दिसंबर तक होने वाला इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल (आईआईएसएफ)-2025 देश और दुनिया के वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं, उद्योगों और स्टार्टअप्स का सबसे बड़ा मंच बनने जा रहा है।
विज्ञान से समृद्धि फॉर आत्मनिर्भर भारत थीम के साथ आयोजित यह फेस्टिवल भारत की वैज्ञानिक दिशा, तकनीकी नेतृत्व और नवाचार क्षमता को रेखांकित करेगा। उच्च स्तरीय बैठक में मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी ने तैयारियों की समीक्षा करते हुए कहा कि प्रतिभागियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर का अनुभव मिले, इसके लिए सुरक्षा, परिवहन, आवास और मीडिया प्रबंधन पर विशेष व्यवस्था की जा रही है।
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इस बार का आईआईएसएफ केवल प्रदर्शनी नहीं बल्कि भविष्य की विज्ञान आधारित भारत यात्रा का रोडमैप साबित होगा। क्वांटम तकनीक, एजीआई आधारित आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ग्रीन हाइड्रोजन, जीन एडिटिंग, स्पेस टेक्नोलॉजी और क्लीन एनर्जी जैसे विषयों पर विशेषज्ञ चर्चा करेंगे। रक्षा एवं अंतरिक्ष तकनीक की प्रदर्शनी में अगली पीढ़ी के यूएवी, उपग्रह उपकरण और आधुनिक रक्षा प्रणालियां भी प्रदर्शित की जाएंगी। विशेषज्ञों का मानना है कि इस फेस्टिवल में बनने वाली नई साझेदारियां आने वाले दशक में देश की वैज्ञानिक अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाई देंगी।
युवा नवाचार इस आयोजन की बड़ी ताकत होंगे। यंग साइंटिस्ट्स कॉन्क्लेव, स्टार्टअप शोकेस, साइंस ऑन स्फीयर और हैकाथॉन जैसे मंच छात्रों और नवप्रवर्तकों को राष्ट्रीय स्तर पर अपनी सोच पेश करने का मौका देंगे। उम्मीद है कि कई प्रभावी स्टार्टअप आइडिया यहीं से उद्योग तक पहुंचेंगे। हिमालय में बदलती जलवायु, ब्लू इकोनॉमी, क्लीन एनर्जी और थॉट लीडर्स राउंड टेबल जैसे सत्र वैश्विक चुनौतियों में भारत की भूमिका पर नई दृष्टि देंगे।
वहीं, पंचकूला का सुव्यवस्थित शहरी ढांचा और पिंजौर गार्डन, माता मनसा देवी मंदिर व मोरनी हिल्स जैसे स्थल इस आयोजन को और आकर्षक बनाएंगे। आईआईएसएफ-2025 केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि वह मंच बनने जा रहा है, जहां भारत विज्ञान की शक्ति के साथ अपनी भविष्य यात्रा की नई दिशा तय करेगा।