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Chandigarh-Haryana News: विशेषज्ञ डाॅक्टर अब दो एमटीपी सेंटरों पर ही कर सकेंगे गर्भपात
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स्वास्थ्य विभाग ला रहा है कानून विभाग प्रस्ताव बनाने में जुटा
अमर उजाला ब्यूरो
चंडीगढ़। हरियाणा के स्त्री रोग विशेषज्ञों को अब दो केंद्रों से अधिक स्थानों पर गर्भपात करने की अनुमति नहीं होगी। सरकार इस संबंध एक कानून लाने जा रही है। स्वास्थ्य विभाग इसका एक प्रस्ताव तैयार कर रही है जिसके तहत स्त्री रोग विशेषज्ञ अब दो से अधिक मेडिकल टर्मिनेशन आफ प्रेग्नेंसी (एमटीपी) केंद्रों पर पंजीकरण नहीं करा सकेंगे। इस संबंध में अभी कोई नियम नहीं है। एक डॉक्टर कई एमटीपी सेंटर पर रजिस्ट्रेशन करवा सकते थे। इससे सत्यापन करने में दिक्कतें आ रही थीं।
विभाग की ओर से बताया गया कि यह सख्ती एमटीपी केंद्रों में हो रहे अवैध गर्भपात को देखते हुए लिया गया है। विभाग के संज्ञान में आया है क इतनी सख्ती के बावजूद अवैध गर्भपात किए जा रहे हैं। विभाग की ओर से रिवर्स ट्रैकिंग में इसका खुलासा भी हो चुका है। स्वास्थ्य विभाग ने जांच में पाया कि 12 हफ्ते से ऊपर गर्भ के गर्भपात के 824 मामलों को ट्रेस किया था जिनमें से 38 निजी अस्पताल और क्लीनिक की भूमिका संदिग्ध पाई गई थी।
विभाग ने इन सभी को नोटिस देकर जवाब मांग लिया है। इसके साथ ही हर जिले वार बीएएमएस, जीएएमएस, बीएचएमएस चिकित्सकों की ओर से संचालित सभी क्लीनिक, नर्सिंग होम और अस्पतालों की लाइन-लिस्ट तैयार की जाए जिसमें यह स्पष्ट हो कि उनमें से कितने में पंजीकृत स्त्रीरोग विशेषज्ञ उपलब्ध हैं और कितने एमटीपी केंद्र के रूप में पंजीकृत हैं।
अवैध गर्भपात करने वालों को सजा दिलाने पर जोर... विभाग ने समीक्षा के दौरान यह भी पाया है कि पीएनडीटी मामलों में सजा दर काफी कम है। इससे निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग अदालत में विचाराधीन मामलों को पॉक्सो कोर्ट में शामिल करने पर विचार कर रहा है, ताकि इन मामलों की सुनवाई जल्द हो। स्वास्थ्य विभाग के एससीएस सुधीर राजपाल ने यह भी कहा है कि यदि जरूरत पड़े तो वकीलों को नियुक्त कर सकते हैं। उन्होंने कहा ऐसे मामलों सजा जरूरी है।
अमर उजाला ब्यूरो
चंडीगढ़। हरियाणा के स्त्री रोग विशेषज्ञों को अब दो केंद्रों से अधिक स्थानों पर गर्भपात करने की अनुमति नहीं होगी। सरकार इस संबंध एक कानून लाने जा रही है। स्वास्थ्य विभाग इसका एक प्रस्ताव तैयार कर रही है जिसके तहत स्त्री रोग विशेषज्ञ अब दो से अधिक मेडिकल टर्मिनेशन आफ प्रेग्नेंसी (एमटीपी) केंद्रों पर पंजीकरण नहीं करा सकेंगे। इस संबंध में अभी कोई नियम नहीं है। एक डॉक्टर कई एमटीपी सेंटर पर रजिस्ट्रेशन करवा सकते थे। इससे सत्यापन करने में दिक्कतें आ रही थीं।
विभाग की ओर से बताया गया कि यह सख्ती एमटीपी केंद्रों में हो रहे अवैध गर्भपात को देखते हुए लिया गया है। विभाग के संज्ञान में आया है क इतनी सख्ती के बावजूद अवैध गर्भपात किए जा रहे हैं। विभाग की ओर से रिवर्स ट्रैकिंग में इसका खुलासा भी हो चुका है। स्वास्थ्य विभाग ने जांच में पाया कि 12 हफ्ते से ऊपर गर्भ के गर्भपात के 824 मामलों को ट्रेस किया था जिनमें से 38 निजी अस्पताल और क्लीनिक की भूमिका संदिग्ध पाई गई थी।
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विभाग ने इन सभी को नोटिस देकर जवाब मांग लिया है। इसके साथ ही हर जिले वार बीएएमएस, जीएएमएस, बीएचएमएस चिकित्सकों की ओर से संचालित सभी क्लीनिक, नर्सिंग होम और अस्पतालों की लाइन-लिस्ट तैयार की जाए जिसमें यह स्पष्ट हो कि उनमें से कितने में पंजीकृत स्त्रीरोग विशेषज्ञ उपलब्ध हैं और कितने एमटीपी केंद्र के रूप में पंजीकृत हैं।
अवैध गर्भपात करने वालों को सजा दिलाने पर जोर... विभाग ने समीक्षा के दौरान यह भी पाया है कि पीएनडीटी मामलों में सजा दर काफी कम है। इससे निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग अदालत में विचाराधीन मामलों को पॉक्सो कोर्ट में शामिल करने पर विचार कर रहा है, ताकि इन मामलों की सुनवाई जल्द हो। स्वास्थ्य विभाग के एससीएस सुधीर राजपाल ने यह भी कहा है कि यदि जरूरत पड़े तो वकीलों को नियुक्त कर सकते हैं। उन्होंने कहा ऐसे मामलों सजा जरूरी है।